बिजनौर: गन्ने की खेती से परेशान कई किसान अब फूलों की खेती कर रहे हैं, जिसमें गन्ने की खेती के मुकाबले फूलों की खेती करने से 10 गुना मुनाफा ज्यादा होने के साथ-साथ रुपया भी नकद मिल रहा है, जिसे लेकर किसान बेहद खुश नजर आ रहे हैं.
बिजनौर से सटे अगरी, खारी और मंडावर में कई किसान पिछले कई सालों से गन्ने की खेती छोड़कर फूलों की खेती को अपना रहे हैं. बिजनौर के रहने वाले किसान अखिलेश चौधरी जो विदेश की नौकरी छोड़कर अपनी खेती की जमीन में फूलों का पॉलीहाउस लगाकर खेती कर रहे हैं. साल 2016 में अखिलेश ने दो एकड़ जमीन में फूलों की खेती की शुरुआत की थी.
अखिलेश की मानें तो गन्ने के मुकाबले 10 फीसदी फूलों की खेती में फायदा है. साथ ही गन्ने का पेमेंट देरी से होने की वजह से और एक मुफ्त किस्त न मिलने की वजह से किसान बचत भी नहीं कर पा रहा है. अखिलेश चार से पांच फूलों की वैरायटी की खेती कर दिल्ली में फूलों को नकद दामों में बेच रहे हैं. फूलों की खेती से ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है.
वहीं गन्ने की खेती छोड़ फूलों की खेती करने वाले मजदूर सुधीर और मंजीत सिंह का कहना है कि फूलों की खेती से अच्छी पगार मिल रही है. गन्ने की पत्ती से हाथों में जख्म हो जाता था. गन्ने की मजदूरी में पगार कम मिलने के साथ-साथ किसानों को गन्ने के मुनासिब दाम व शुगर मिलो से गन्ने का भुगतान न होने की वजह से किसान बेहद परेशान थे, लेकिन अब जिले में सैकड़ों किसानों ने गन्ने की खेती को छोड़कर फूल की खेती की है. फूलों की खेती में पसीना बहाने के साथ-साथ फूलों की खेती से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है.