बुलंदशहर: त्योहारों के सीजन में हर कोई खरीदारी करता है. हर कोई अपने घर में कुछ नया लेकर जाना चाहता है. इस वजह से प्रत्येक व्यापार और व्यवसाय में मुनाफा होता दिखता है. इस बार देश भर में ही नहीं देश के बाहर भी अपनी अलग पहचान रखने वाली खुर्जा की पॉटरी इंडस्ट्री मंदी से गुजर रही है.
एनजीटी के दिशा-निर्देश के बाद पॉटरी उद्योग के लिए गैस की अनिवार्यता कर दी गई थी. कभी कोयले से पॉटरी उद्योग की चिमनियों से इस शहर की पहचान होती थी. समय बदला और धुआं निगलने वाली चिमनियों की जगह फ्यूल ने ले ली, लेकिन फिर एक बार उद्यमियों को नए दिशा-निर्देश जारी किए गए. इस निर्देश मे कहा गया कि जहां गैस की उपलब्धता है, वहां फ्यूल की जगह गैस का उपयोग किया जाए.
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निर्देश से व्यवसाय में आया व्यवधान
दीपावली जैसे त्योहार से पहले पॉटरी नगरी के उद्यमियों के लिए ये नया फरमान किसी 11 हजार वोल्ट के विधुत के करंट जैसा था, क्योंकि फ्यूल से गैस पर आने के लिए लाखों रुपये खर्च कर सेटअप जमाना किसी व्यवधान की तरह था. फ्यूल से गैस के इस्तेमाल पर आने के लिए बहुत खर्चा होता है. इसके कारण जहां कई इकाइयां बंद होने की कगार पर आ गई है. वहीं, कई इकाइयों का बजट गड़बड़ा गया है. वो भी ऐसे वक्त में जब त्योहारों को लेकर तमाम उद्यमी अपनी कार्य योजना बना रहे थे.
नामुमकिन था सेटअप चेंज करना
इस पेशे से जुड़े उद्यमी कहते हैं कि गैस की कीमतें ज्यादा है और उसके लिए पूरा सेटअप चेंज करना एकदम से नामुमकिन था. इस वजह से कई उद्यमी मंदी की कगार पर है. वहीं, कुछ किसी तरह इसे चला रहे हैं. इस उद्योग में नौकरियां भी घटी है. इतना ही नहीं सप्लायर्स भी काफी परेशान हैं. आलम ये है कि कुछ लोग आज तक जीएसटी और नोटबंदी का रोना रो रहे हैं. फिलहाल उद्यमियों का मानना है कि रोशनी के त्योहार पर उन्हें खासे आर्डर मिलते थे, लेकिन इस बार जो स्थिति है, वो बिल्कुल उलट है.
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