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बुलंदशहर: मुनाफे के सीजन में मंदी से गुजर रही खुर्जा पॉटरी इंडस्ट्री - मुनाफे के सीजन में मंदी से गुजर रही खुर्जा पॉटरी इंडस्ट्री

त्योहारों के सीजन में प्रत्येक व्यापार और व्यवसाय में मुनाफा होता दिखता है. वहीं, देश में ही नहीं विदेशों में अपनी एक अलग पहचान रखने वाली यूपी के बुलंदशहर की खुर्जा पॉटरी इंडस्ट्री मंदी से गुजर रही है.

मंदी से गुजर रही खुर्जा पॉटरी इंडस्ट्री
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Published : Oct 23, 2019, 5:22 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: त्योहारों के सीजन में हर कोई खरीदारी करता है. हर कोई अपने घर में कुछ नया लेकर जाना चाहता है. इस वजह से प्रत्येक व्यापार और व्यवसाय में मुनाफा होता दिखता है. इस बार देश भर में ही नहीं देश के बाहर भी अपनी अलग पहचान रखने वाली खुर्जा की पॉटरी इंडस्ट्री मंदी से गुजर रही है.

मंदी से गुजर रही खुर्जा पॉटरी इंडस्ट्री.

एनजीटी के दिशा-निर्देश के बाद पॉटरी उद्योग के लिए गैस की अनिवार्यता कर दी गई थी. कभी कोयले से पॉटरी उद्योग की चिमनियों से इस शहर की पहचान होती थी. समय बदला और धुआं निगलने वाली चिमनियों की जगह फ्यूल ने ले ली, लेकिन फिर एक बार उद्यमियों को नए दिशा-निर्देश जारी किए गए. इस निर्देश मे कहा गया कि जहां गैस की उपलब्धता है, वहां फ्यूल की जगह गैस का उपयोग किया जाए.

यह भी पढ़ें: NCRB ने जारी की अपराध आंकड़ों की रिपोर्ट, अपहरण की घटनाओं में बढ़ोतरी

निर्देश से व्यवसाय में आया व्यवधान
दीपावली जैसे त्योहार से पहले पॉटरी नगरी के उद्यमियों के लिए ये नया फरमान किसी 11 हजार वोल्ट के विधुत के करंट जैसा था, क्योंकि फ्यूल से गैस पर आने के लिए लाखों रुपये खर्च कर सेटअप जमाना किसी व्यवधान की तरह था. फ्यूल से गैस के इस्तेमाल पर आने के लिए बहुत खर्चा होता है. इसके कारण जहां कई इकाइयां बंद होने की कगार पर आ गई है. वहीं, कई इकाइयों का बजट गड़बड़ा गया है. वो भी ऐसे वक्त में जब त्योहारों को लेकर तमाम उद्यमी अपनी कार्य योजना बना रहे थे.

नामुमकिन था सेटअप चेंज करना
इस पेशे से जुड़े उद्यमी कहते हैं कि गैस की कीमतें ज्यादा है और उसके लिए पूरा सेटअप चेंज करना एकदम से नामुमकिन था. इस वजह से कई उद्यमी मंदी की कगार पर है. वहीं, कुछ किसी तरह इसे चला रहे हैं. इस उद्योग में नौकरियां भी घटी है. इतना ही नहीं सप्लायर्स भी काफी परेशान हैं. आलम ये है कि कुछ लोग आज तक जीएसटी और नोटबंदी का रोना रो रहे हैं. फिलहाल उद्यमियों का मानना है कि रोशनी के त्योहार पर उन्हें खासे आर्डर मिलते थे, लेकिन इस बार जो स्थिति है, वो बिल्कुल उलट है.

यह भी पढ़ें: महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध के मामले में यूपी नंबर वनः NCRB रिपोर्ट

बुलंदशहर: त्योहारों के सीजन में हर कोई खरीदारी करता है. हर कोई अपने घर में कुछ नया लेकर जाना चाहता है. इस वजह से प्रत्येक व्यापार और व्यवसाय में मुनाफा होता दिखता है. इस बार देश भर में ही नहीं देश के बाहर भी अपनी अलग पहचान रखने वाली खुर्जा की पॉटरी इंडस्ट्री मंदी से गुजर रही है.

मंदी से गुजर रही खुर्जा पॉटरी इंडस्ट्री.

एनजीटी के दिशा-निर्देश के बाद पॉटरी उद्योग के लिए गैस की अनिवार्यता कर दी गई थी. कभी कोयले से पॉटरी उद्योग की चिमनियों से इस शहर की पहचान होती थी. समय बदला और धुआं निगलने वाली चिमनियों की जगह फ्यूल ने ले ली, लेकिन फिर एक बार उद्यमियों को नए दिशा-निर्देश जारी किए गए. इस निर्देश मे कहा गया कि जहां गैस की उपलब्धता है, वहां फ्यूल की जगह गैस का उपयोग किया जाए.

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निर्देश से व्यवसाय में आया व्यवधान
दीपावली जैसे त्योहार से पहले पॉटरी नगरी के उद्यमियों के लिए ये नया फरमान किसी 11 हजार वोल्ट के विधुत के करंट जैसा था, क्योंकि फ्यूल से गैस पर आने के लिए लाखों रुपये खर्च कर सेटअप जमाना किसी व्यवधान की तरह था. फ्यूल से गैस के इस्तेमाल पर आने के लिए बहुत खर्चा होता है. इसके कारण जहां कई इकाइयां बंद होने की कगार पर आ गई है. वहीं, कई इकाइयों का बजट गड़बड़ा गया है. वो भी ऐसे वक्त में जब त्योहारों को लेकर तमाम उद्यमी अपनी कार्य योजना बना रहे थे.

नामुमकिन था सेटअप चेंज करना
इस पेशे से जुड़े उद्यमी कहते हैं कि गैस की कीमतें ज्यादा है और उसके लिए पूरा सेटअप चेंज करना एकदम से नामुमकिन था. इस वजह से कई उद्यमी मंदी की कगार पर है. वहीं, कुछ किसी तरह इसे चला रहे हैं. इस उद्योग में नौकरियां भी घटी है. इतना ही नहीं सप्लायर्स भी काफी परेशान हैं. आलम ये है कि कुछ लोग आज तक जीएसटी और नोटबंदी का रोना रो रहे हैं. फिलहाल उद्यमियों का मानना है कि रोशनी के त्योहार पर उन्हें खासे आर्डर मिलते थे, लेकिन इस बार जो स्थिति है, वो बिल्कुल उलट है.

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Intro:देश विदेश में अपने उत्पादों के जरिए जिले की अलग पहचान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली खुर्जा की पॉटरी नगरी में मंदी का असर देखा जा सकता है ,जिसके पीछे कई मूल वजह यहां के उद्यमी और व्यापारी मानकर चल रहे हैं ,पिछले महीनों एनजीटी के द्वारा पॉटरी उद्योग में गैस के इस्तेमाल की अनिवार्यता कर दी गई थी जिसके बाद से पॉटरी उद्यमी दुविधा में हैं तो वही महंगाई की मार से पॉटरी उद्योग भी अछूता नहीं है। देखिए आखिर क्यों उदास हैं पॉटरी नगरी के उद्यमी और व्यवसायी ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव खबर।


Body:आमतौर पर देखा जाता है कि त्योहारों की वजह से प्रत्येक व्यापार और व्यवसाय में मुनाफा होता दिखता है और हो भी क्यों नहीं क्योंकि त्योहारी सीजन में हर कोई खरीदारी करता है और हर कोई अपने घर में कुछ नया लेकर जाना चाहता है ,तो वहीं देश भर में ही नहीं देश के बाहर भी अपनी अलग पहचान रखने वाली पॉटरी इंडस्ट्री इन दिनों काफी दिक्कतों से गुजर रही है ,जिसके पीछे कई मूल वजह हैं इस बारे में ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो रिपोर्ट तैयार की है, ईटीवी भारत की टीम ने रुख किया बुलन्दशहर जिले की विश्वप्रसिद्द खुर्जा पॉटरी नगरी का और वहां जानी जमीनी हकीकत कि रोशनी के त्योहार दीपावली को लेकर किस तरह से तैयारियां उद्योगों में चल रही हैं और इस बार मार्केट में क्या नयापन दिख रहा है ,अगर देखा जाए तो जहां एक तरफ जो इंडस्ट्री चल रही हैं वह महंगाई की मार से अपने आप को प्रभावित बताकर चल रहे हैं ,उनका कहना है कि अब क्योंकि एनजीटी के दिशा निर्देश के बाद अगस्त में पॉटरी उद्योग के लिए गैस की अनिवार्यता कर दी गई थी,कभी कोयले से पॉटरी उधोग की चिमनियों से इस शहर की पहचान होती थी,समय बदला व धुंआ निगलने वाली चिमनियों की जगह फ्यूल ने ले ली,लेकिन अब कुछ माह पूर्व फिर एक बार उधमियों को नए दिशानिर्देश जारी किए गए,की अब झा गैस की उपलब्धता है वहां सिर्फ पॉटरी उधोग में फ्यूल की जगह गैस का उपयोग किया जाए,हालांकि ख़ुर्जा नगरी में गैस उपलब्ध है, लेकिन दीपावली जैसे अतिमहत्वपूर्ण त्योहार से पहले पॉटरी नगरी के उधमियों के लिए ये नया फरमान किसी 11 हजार वोल्ट के विधुत के करंट जैसा था, क्योंकि एक तो त्यौहार का सीजन और ऊपर से फूल से गैस पर आने के लिए प्रत्येक इकाई को लाखों रुपए खर्च के सेटअप जमाना भी कहीं न कहीं उनके काम में किसी व्यवधान की तरह ही था,क्योंकि फ्यूल से गैस के इश्तेमाल पर आने में प्रत्येक इकाई को खर्चा तो होना ही था साथ ही कहीं न कहीं जो पॉटरी के पास काम था वो भी प्रभावित होना लाजिमी था,जिससे कई इकाइयां बंद होने की बातें सामने आ रही हैं तो वहीं कई का बजट गड़बड़ा गया,वो भी ऐसे वक्त में जब त्योहार त्योहार को लेकर तमाम उद्यमी अपनी-अपनी कार्य योजना बना रहे थे इस पैसे से जुड़े उधमी कहते हैं कि क्योंकि गैस की कीमतें ज्यादा है और उसके लिए पूरा सेटअप चेंज करना एकदम से नामुमकिन था तो इस वजह से कई उद्यमियों ने इससे परेशान होकर कई इकाइयां बंदी की कगार पर है तो वहीं कुछ इसी तरह इसे चला रही है तो वहीं दूसरी तरफ बताया कि उद्योग में संभावनाएं जिसके बाद यहां नौकरियां भी घटी है इतना ही नहीं जो सप्लायर्स जिले से अलग अलग देश के कोनों में अपने उत्पाद भेजने का काम करते हैं या फिर इस पेशे से जुड़े हैं वो भी काफी परेशान हैं,अमलम ये है कि जहां कुछ लोग अब तक भी जीएसटी और नोटबंदी का रोना रोते देखे जा सकते हैं ,तो वहीं इस क्षेत्र में मंदी की मूल वजह गिनाते देखे जा रहे हैं।,फिलहाल इस दीपावली यहां के उद्यमियों का मानना है कि कमोवेश रोशनी के त्योहार पर उन्हें खासे आर्डर मिलते थे,लेकिन इस बार जो स्थिति है वो बिल्कुल उलट है,और बाजार में ग्राहक का तोता मानकर चल रहे हैं।

one to one with....व्योम बंसल,युवा पॉटरी उद्यमी,
मोहम्मद सलीम कुरेशी, दुकानदार

श्रीपाल तेवतिया, बुलन्दशहर।






Conclusion:9213400888.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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