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बुलंदशहर: मुआवजे को लेकर किसानों का आंदोलन तेज, मनाएंगे काला दिवस - railway freight corridor in bulandshahar

जिले में 27 गांव के किसान पिछले साल से ही रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. वहीं प्रशासन की लचर रवैया देखते हुए किसानों ने 2 जून को काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है.

काला दिवस मनाएंगे किसान.
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Published : Jun 2, 2019, 10:38 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: खुर्जा जंक्शन क्षेत्र के 27 गांवों के किसान पिछले एक साल से धरने पर हैं. ये किसान रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. वहीं इन लोगों ने रविवार को काला दिवस मनाने का ऐलान किया है. पिछले साल जून माह में खुर्जा क्षेत्र के मदनपुर गांव में किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर धरने की शुरुआत की थी.

काला दिवस मनाएंगे किसान.

क्या है पूरा मामला

  • पूरा मामला खुर्जा जंक्शन क्षेत्र के मदनपुर गांव का है. यहां के किसान पिछले साल से ही रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं.
  • अधिग्रहित की गई जमीन के एक समान मुआवजे की मांग पर करीब 27 गांव के किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं.
  • भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के विरोध में किसान धरना दिए हुए हैं.
  • किसानों की मांग है कि उन्हें एक समान मुआवजा दिया जाए.
  • मुआवजा को लेकर कई बार प्रशासन, फ्रेट कॉरिडोर के अधिकारियों और किसानों के बीच में वार्ता की कोशिश भी की गई, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई.
  • इतना ही नहीं लोकसभा 2019 के चुनावों से ठीक पहले धरना दे रहे किसानों ने चुनाव में बहिष्कार करने की घोषणा की थी.
  • इसके बाद जिला प्रशासन ने किसानों को यह कहकर मना लिया था कि चुनाव के बाद उनके इस प्रकरण पर बिंदुवार समीक्षा के बाद हल निकाला जाएगा, लेकिन ऐसा हो न सका.

इस बात को लेकर आंदोलित हैं किसान

  • दरअसल, 2 जून 2018 को जिले के प्रशासनिक अफसरों ने रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी में मदनपुर गांव में अधिग्रहित जमीन को किसानों से मुक्त कराने के लिए खड़ी फसल पर बुलडोजर चलवा दिया था.
  • जिसके बाद कई किसान नेताओं को जेल भी भेजा गया था, उसके ठीक बाद से किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं.
  • कई बार जिला प्रशासन के द्वारा प्रयास भी किए गए हैं कि किसानों को समझाया जाए, लेकिन अभी तक इस मामले में जो भी मीटिंग हुई हैं, बेनतीजा ही रही है.
  • फिलहाल किसानों का साफ तौर पर कहना है कि अब वह 2 जून को काला दिवस के रूप में मनाएंगे.

अन्नदाता एक साल से मांगों को लेकर अपना काम-धाम छोड़कर आंदोलन की राह पर हैं. इनकी मांगें पूरी तरह से जायज हैं, लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है. यही वजह है कि 2 जून को सभी 27 गांव के लोग 2 जून को काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है.

-बब्बन चौधरी, किसान नेता, बुलंदशहर

बुलंदशहर: खुर्जा जंक्शन क्षेत्र के 27 गांवों के किसान पिछले एक साल से धरने पर हैं. ये किसान रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. वहीं इन लोगों ने रविवार को काला दिवस मनाने का ऐलान किया है. पिछले साल जून माह में खुर्जा क्षेत्र के मदनपुर गांव में किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर धरने की शुरुआत की थी.

काला दिवस मनाएंगे किसान.

क्या है पूरा मामला

  • पूरा मामला खुर्जा जंक्शन क्षेत्र के मदनपुर गांव का है. यहां के किसान पिछले साल से ही रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं.
  • अधिग्रहित की गई जमीन के एक समान मुआवजे की मांग पर करीब 27 गांव के किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं.
  • भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के विरोध में किसान धरना दिए हुए हैं.
  • किसानों की मांग है कि उन्हें एक समान मुआवजा दिया जाए.
  • मुआवजा को लेकर कई बार प्रशासन, फ्रेट कॉरिडोर के अधिकारियों और किसानों के बीच में वार्ता की कोशिश भी की गई, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई.
  • इतना ही नहीं लोकसभा 2019 के चुनावों से ठीक पहले धरना दे रहे किसानों ने चुनाव में बहिष्कार करने की घोषणा की थी.
  • इसके बाद जिला प्रशासन ने किसानों को यह कहकर मना लिया था कि चुनाव के बाद उनके इस प्रकरण पर बिंदुवार समीक्षा के बाद हल निकाला जाएगा, लेकिन ऐसा हो न सका.

इस बात को लेकर आंदोलित हैं किसान

  • दरअसल, 2 जून 2018 को जिले के प्रशासनिक अफसरों ने रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी में मदनपुर गांव में अधिग्रहित जमीन को किसानों से मुक्त कराने के लिए खड़ी फसल पर बुलडोजर चलवा दिया था.
  • जिसके बाद कई किसान नेताओं को जेल भी भेजा गया था, उसके ठीक बाद से किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं.
  • कई बार जिला प्रशासन के द्वारा प्रयास भी किए गए हैं कि किसानों को समझाया जाए, लेकिन अभी तक इस मामले में जो भी मीटिंग हुई हैं, बेनतीजा ही रही है.
  • फिलहाल किसानों का साफ तौर पर कहना है कि अब वह 2 जून को काला दिवस के रूप में मनाएंगे.

अन्नदाता एक साल से मांगों को लेकर अपना काम-धाम छोड़कर आंदोलन की राह पर हैं. इनकी मांगें पूरी तरह से जायज हैं, लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है. यही वजह है कि 2 जून को सभी 27 गांव के लोग 2 जून को काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है.

-बब्बन चौधरी, किसान नेता, बुलंदशहर

Intro:बुलंदशहर के खुर्जा जंक्शन क्षेत्र के 27 गांवों के किसान पिछले 1 साल से धरने पर हैं रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे लोगों ने रविवार को काला दिवस मनाने का ऐलान कर दिया है। काबिलेगौर है कि पिछले साल जून माह में खुर्जा क्षेत्र के मदनपुर गांव में किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर धरने की शुरुआत की थी जो कि तभी से लगातार मुआवजे की मांग पर प्रदर्शन जारी है।

note...सम्बन्धित खबर के विसुअल्स व बाइट एफटीपी से प्रेषित किये जा रहे हैं।

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Body:बुलन्दशहर के ख़ुर्जा जंक्शन क्षेत्र के मदनपुर गांव में पिछले एक साल से रेलवे के बहुआयामी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के कार्य के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के एक समान मुआवजे की मांग पर करीब 27 गांव के किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के विरोध में किसान धरना दिए हुए हैं, किसानों की मांग है कि उन्हें एक समान मुआवजा दिया जाए जिस पर कई बार प्रशासन व फ्रेट कॉरिडोर के अधिकारियों और किसानों के बीच में वार्ता की कोशिश भी की गई, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई, जिसकी वजह से किसान लगातार धरना प्रदर्शन किए हुए हैं। इतना ही नहीं हम आपको बता दें कि लोकसभा 2019के चुनावों से ठीक पहले धरना दे रहे किसानों ने लोकसभा चुनाव में वोट न करने का फैंसला लेकर बहिष्कार करने की घोषणा की थी,जिसके बाद जिला प्रशासन ने किसानों को यह कहकर मना लिया था की चुनाव के बाद उनके इस प्रकरण पर बिंदुवार समीक्षा के बाद कोई हल निकाला जाएगा ,लेकिन ऐसा हो न सका और जो किसान तब चुनाव में बहिष्कार की बात कर रहे थे प्रशासन ने उन्हें उस वक्त किसी तरह मना कर मतगणना में मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मना लिया था, लेकिन अब किसान लगातार आंदोलन की राह पर है, यहां आपको यह बताना जरूरी होगा कि 2 जून 2018 को किसानों की खड़ी फसलों पर प्रशासन के सहयोग से जेसीबी चलाकर कब्जा लिया गया था, जिससे उस वक्त किसानों की फसल भी चौपट हुई थी,हालांकि कुछ ही दिनों में फिर से भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों ने अपने अपने खेतों पर पुनः कब्जा कर लिया था, फिलहाल किसानों का साफ तौर पर कहना है कि अब वह 2 जून को काला दिवस के रूप में मनाएंगे ।
हम आपको बता दें कि पिछले साल 2 जून को जिले के प्रशासनिक अफसरों ने रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी में मदनपुर गांव में अधिग्रहित जमीन को किसानों से मुक्त कराने के लिए जमीन पर खड़ी फसल पर बुलडोजर चलवा दिया था, जिसके बाद कई किसान नेताओं को जेल भी भेजा गया था, उसके ठीक बाद से किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं, कई बार जिला प्रशासन के द्वारा प्रयास भी किए गए हैं कि किसानों को समझाया जाए लेकिन अभी तक भी इस मामले में जो भी मीटिंग हुई हैं, इस बारे में हुई सभी मीटिंग बेनतीजा ही रही हैं,फिलहाल अब एक बार फिर क्षेत्र के सभी किसान एकजुट होने शुरू हो गए हैं और उन्होंने 2 जून यानी रविवार को काला दिवस के रूप में मनाने का ऐलान कर दिया है।

किसान नेता बब्बन चौधरी का कहना है कि अन्नदाता एक साल से अपनी जायज मांगों को लेकर अपना काम धाम छोड़ कर आन्दोलन कि राह पर है ,और उनकी मांगें भी पूरी तरह से जायज हैं लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला जैसे कोई भी नहीं है यही वजह है कि 2 जून को सभी 27 गांव के लोग रेलवे फ्रेट कॉरिडोर और जिला प्रशासन पर लापरवाही पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगा रहा है।

बाइट...बब्बन चौधरी, किसान नेता ।

बाइट...बब्बन चौधरी,


Conclusion:बुलन्दशहर,

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Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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