बुलंदशहर: खुर्जा जंक्शन क्षेत्र के 27 गांवों के किसान पिछले एक साल से धरने पर हैं. ये किसान रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. वहीं इन लोगों ने रविवार को काला दिवस मनाने का ऐलान किया है. पिछले साल जून माह में खुर्जा क्षेत्र के मदनपुर गांव में किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर धरने की शुरुआत की थी.
क्या है पूरा मामला
- पूरा मामला खुर्जा जंक्शन क्षेत्र के मदनपुर गांव का है. यहां के किसान पिछले साल से ही रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के खिलाफ मुआवजे की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं.
- अधिग्रहित की गई जमीन के एक समान मुआवजे की मांग पर करीब 27 गांव के किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं.
- भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के विरोध में किसान धरना दिए हुए हैं.
- किसानों की मांग है कि उन्हें एक समान मुआवजा दिया जाए.
- मुआवजा को लेकर कई बार प्रशासन, फ्रेट कॉरिडोर के अधिकारियों और किसानों के बीच में वार्ता की कोशिश भी की गई, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई.
- इतना ही नहीं लोकसभा 2019 के चुनावों से ठीक पहले धरना दे रहे किसानों ने चुनाव में बहिष्कार करने की घोषणा की थी.
- इसके बाद जिला प्रशासन ने किसानों को यह कहकर मना लिया था कि चुनाव के बाद उनके इस प्रकरण पर बिंदुवार समीक्षा के बाद हल निकाला जाएगा, लेकिन ऐसा हो न सका.
इस बात को लेकर आंदोलित हैं किसान
- दरअसल, 2 जून 2018 को जिले के प्रशासनिक अफसरों ने रेलवे के जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी में मदनपुर गांव में अधिग्रहित जमीन को किसानों से मुक्त कराने के लिए खड़ी फसल पर बुलडोजर चलवा दिया था.
- जिसके बाद कई किसान नेताओं को जेल भी भेजा गया था, उसके ठीक बाद से किसान आंदोलन की राह पकड़े हुए हैं.
- कई बार जिला प्रशासन के द्वारा प्रयास भी किए गए हैं कि किसानों को समझाया जाए, लेकिन अभी तक इस मामले में जो भी मीटिंग हुई हैं, बेनतीजा ही रही है.
- फिलहाल किसानों का साफ तौर पर कहना है कि अब वह 2 जून को काला दिवस के रूप में मनाएंगे.
अन्नदाता एक साल से मांगों को लेकर अपना काम-धाम छोड़कर आंदोलन की राह पर हैं. इनकी मांगें पूरी तरह से जायज हैं, लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है. यही वजह है कि 2 जून को सभी 27 गांव के लोग 2 जून को काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है.
-बब्बन चौधरी, किसान नेता, बुलंदशहर