बस्ती: यूपी में सरकारी अस्पतालों का बदहाल इंतेजाम किसी-किसी परिवार को ऐसा दर्द देता है, जिसे वह ताउम्र नहीं भूल पाते. सरकार की ओर से बीमारों को नया जीवन देने के लिए सरकारी अस्पताल खोले गए हैं. लेकिन दुर्व्यवस्था और हालात इतने बद्तर हैं कि बस्ती के जिला अस्पताल में एक महिला मरीज स्ट्रेचर के अभाव पहले तो जमीन पर घिसटने को मजबुर हुई. जब हालत गंभीर होने लगी तो परिजनों ने डॉक्टर को इलाज के लिए बुलाया, लेकिन डॉक्टर अपनी कुर्सी से हिले तक नहीं. इन सबके बीच एक महिला का जीवन सरकारी बदइंतेजामों के आगे दम तोड़ दिया.
दरअसल, बस्ती जिला अस्पताल की पोल उस वक्त खुल गई, जब एक महिला मरीज इलाज के लिए पहुंची, लेकिन अस्पताल में न तो स्ट्रेचर मिला और न ही कोई अटेंडेंट. तीमारदारों के लगभग 20 से 30 मिनट तक बुलाने के बाद भी इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर देखने तक नहीं आए. पूछने पर डॉक्टर ने जवाब दिया कि भीड़ है, दिखाने के लिए समय देना पड़ता है. मरीज के मर जाने के बाद डॉक्टर खाना पूर्ति करने के लिए गए और अपना कोरम पूरा कर लिया. वहीं परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने अगर समय रहते इलाज की कोशिश की होती तो मरीज की जान बचाई जा सकती है.
वहीं इस मामले को प्रभारी सीएमओ डॉक्टर फकरेयार ने गंभीरता से लिया और मामले में जांच कराके दोषी डॉक्टर पर कार्रवाई की बात कही है. उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है कि डॉक्टर ने ऐसा किया, जबकि डॉक्टर का पहला कर्तव्य है कि मरीज की जान बचाई जाए.