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लॉकडाउन का एक साल: अब परदेश नहीं जाएगा याकूब, दोस्त ने गोद में तोड़ा था दम

बस्‍ती के देवरी गांव निवासी मोहम्मद याकूब के जेहन में लॉकडाउन का वो खौफनाक मंजर आज भी ताजा है. जब याकूब के गोद में उसके जिगरी दोस्त अमृत का सिर, सिसकती सांसे थीं मदद की उम्मीद में ही उसके दोस्त अमृत की मौत हो गई थी. मजबूरी, बेबसी और रोती आत्मा को दर्शाती एक फोटो जब कैमरे से निकलकर दुनिया भर में वायरल हुई तो यकीन मानिए जिसने भी इस फोटो को देखा उसका कलेजा मुंह को आ गया, याकूब ने अंतिम सांस तक अपने दोस्त अमृत का साथ नही छोड़ा था. अमृत अब इस इस दुनिया में नहीं है. दोस्त की सांसे टूटने के साथ उसका सपना भी टूट गया है. अपने जिगरी दोस्त अमृत रंजन को खो चुका याकूब दोबारा लौटकर सूरत नहीं गया बल्कि गांव में ही वेल्डिंग की दुकान खोलकर अपना और अपने परिवार की जीविका चला रहा है.

लॉकडाउन का एक साल
लॉकडाउन का एक साल
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Published : Mar 29, 2021, 4:38 PM IST

बस्‍ती: याकूब के गोद में उसके जिगड़ी दोस्त अमृत का सिर, सिसकती सांस और रोती आत्मा को दर्शाती एक फोटो जब कैमरे से निकलकर दुनिया भर में वायरल हुई तो यकीन मानिए जिसने भी इस फोटो को देखा उसका कलेजा मुंह को आ गया. याकूब ने अंतिम सांस तक अपने दोस्त अमृत का साथ नहीं छोड़ा था. अमृत तो अब इस दुनिया में नहीं है मगर लॉकडाउन का एक साल बीत जाने के बाद याकूब किस हाल में है, इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम लखनऊ से 230 किलोमीटर दूर बनकटी ब्लॉक के देवरी गांव में पहुंची. यहां रह रहे याकूब के सपने टूट चुके है, याकूब दोबारा लौटकर रोजी रोटी की तलाश मुंबई या सूरत नहीं गया क्योंकि वो मंजर उसे दोबारा लौटने की इजाजत नहीं देता. अब याकूब गांव में ही वेल्डिंग की दुकान खोलकर काम कर रहा है. याकूब का सपना था कि वो किसी शहर में अपना घर बना सके, लेकिन अब उसका सपना टूट चुका है.

अमृत रंजन को खो चुका याकूब दोबारा लौटकर सूरत नहीं गया
क्या हुआ था लॉकडाउन के दौरान
कुछ रिश्ते हिंदू-मुस्लिम, धर्म-जाति से परे होते हैं. इंसानी रिश्तों का सबसे खूबसूरत चेहरा होती है दोस्ती. कोरोना काल में एक ऐसी ही दोस्ती मिसाल बन गई. दरअसल, लॉकडाउन लगने के बाद लोग अपने घर पहुंचने की हर संभव कोशिश कर रहे थे. रोजाना हजारों की भीड़ सड़कों पर नजर आ रही थी. ऐसे में दोस्ती की एक तस्वीर सामने आई थी, जहां एक दोस्त ने मरते दम तक अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ा. देवरी गांव के रहने वाले याकूब ने अपने दोस्त के लिए इंसानियत की मिसाल कायम की.

क्या था मामला

दरअसल, कोरोना काल में 24 साल का अमृत गुजरात के सूरत से यूपी के बस्ती जिले में अपने घर एक ट्रक से लौट रहा था. उस ट्रक में कई और लोग भी सवार थे. ट्रक जब मध्य प्रदेश के शिवपुरी-झांसी फोर लेन से गुजर रहा था, तभी अमृत की तबीयत बिगड़ने लगी. ट्रक में सवार लोगों को लगा कि अमृत को कोरोना हो गया है, इसलिए डरकर लोगों ने उसे अमृत को ट्रक से उतार दिया और आगे बढ़ गए. इन सबके बीच अमृत का दोस्त याकूब मोहम्मद भी ट्रक से उतर गया. उसने अपने दोस्त अमृत के साथ रहने का फैसला किया. इस दौरान अमृत की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी. कोरोना संक्रमित होने के बाद भी याकूब ने अमृत का साथ नहीं छोड़ा. उसका सिर अपनी गोद में रखे मदद की आस में बैठा रहा. याकूब अपने दोस्त अमृत से लगातार कहता रहा कि थोड़ी देर में एंबुलेंस आएगी और वो ठीक होकर अपने गांव लौट जाएंगे, लेकिन एंबुलेंस आते-आते बहुत देर हो गई और वह इस दुनिया को छोड़कर चला गया.

याकूब ने बयां की दास्तां

याकूब ने बताया कि वो दोनों गुजरात के सूरत में एक फैक्ट्री में मशीन से कपड़ा बुनने का काम करते थे. लॉकडाउन के कारण सूरत से ट्रक में 4-4 हजार रुपये किराया देकर नासिक, इंदौर होते हुए कानपुर जा रहे थे. सफर के दौरान अचानक अमृत की तबीयत बिगड़ गई. अमृत को तेज बुखार आया. ट्रक में बैठे 55-60 लोगों ने अमृत को उतारने की जिद की तो ट्रक वाले ने अमृत को उतार दिया. इसी दौरान वो भी अमृत का ख्याल रखने के लिए ट्रक से उतर गया. बस्ती के लालगंज थाना अंतर्गत देउरी गांव के रहने वाले अमृत का शव मध्य प्रदेश के शिवपुरी व उत्तर प्रदेश के झांसी जिला प्रशासन ने घर भिजवा दिया. वहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया.

इसे भी पढ़ें- कोरोना संदिग्ध को गोद में लिए बैठा रहा मुस्लिम दोस्त, आखिरी वक्त तक रहा साथ

बस्‍ती: याकूब के गोद में उसके जिगड़ी दोस्त अमृत का सिर, सिसकती सांस और रोती आत्मा को दर्शाती एक फोटो जब कैमरे से निकलकर दुनिया भर में वायरल हुई तो यकीन मानिए जिसने भी इस फोटो को देखा उसका कलेजा मुंह को आ गया. याकूब ने अंतिम सांस तक अपने दोस्त अमृत का साथ नहीं छोड़ा था. अमृत तो अब इस दुनिया में नहीं है मगर लॉकडाउन का एक साल बीत जाने के बाद याकूब किस हाल में है, इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम लखनऊ से 230 किलोमीटर दूर बनकटी ब्लॉक के देवरी गांव में पहुंची. यहां रह रहे याकूब के सपने टूट चुके है, याकूब दोबारा लौटकर रोजी रोटी की तलाश मुंबई या सूरत नहीं गया क्योंकि वो मंजर उसे दोबारा लौटने की इजाजत नहीं देता. अब याकूब गांव में ही वेल्डिंग की दुकान खोलकर काम कर रहा है. याकूब का सपना था कि वो किसी शहर में अपना घर बना सके, लेकिन अब उसका सपना टूट चुका है.

अमृत रंजन को खो चुका याकूब दोबारा लौटकर सूरत नहीं गया
क्या हुआ था लॉकडाउन के दौरानकुछ रिश्ते हिंदू-मुस्लिम, धर्म-जाति से परे होते हैं. इंसानी रिश्तों का सबसे खूबसूरत चेहरा होती है दोस्ती. कोरोना काल में एक ऐसी ही दोस्ती मिसाल बन गई. दरअसल, लॉकडाउन लगने के बाद लोग अपने घर पहुंचने की हर संभव कोशिश कर रहे थे. रोजाना हजारों की भीड़ सड़कों पर नजर आ रही थी. ऐसे में दोस्ती की एक तस्वीर सामने आई थी, जहां एक दोस्त ने मरते दम तक अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ा. देवरी गांव के रहने वाले याकूब ने अपने दोस्त के लिए इंसानियत की मिसाल कायम की.

क्या था मामला

दरअसल, कोरोना काल में 24 साल का अमृत गुजरात के सूरत से यूपी के बस्ती जिले में अपने घर एक ट्रक से लौट रहा था. उस ट्रक में कई और लोग भी सवार थे. ट्रक जब मध्य प्रदेश के शिवपुरी-झांसी फोर लेन से गुजर रहा था, तभी अमृत की तबीयत बिगड़ने लगी. ट्रक में सवार लोगों को लगा कि अमृत को कोरोना हो गया है, इसलिए डरकर लोगों ने उसे अमृत को ट्रक से उतार दिया और आगे बढ़ गए. इन सबके बीच अमृत का दोस्त याकूब मोहम्मद भी ट्रक से उतर गया. उसने अपने दोस्त अमृत के साथ रहने का फैसला किया. इस दौरान अमृत की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी. कोरोना संक्रमित होने के बाद भी याकूब ने अमृत का साथ नहीं छोड़ा. उसका सिर अपनी गोद में रखे मदद की आस में बैठा रहा. याकूब अपने दोस्त अमृत से लगातार कहता रहा कि थोड़ी देर में एंबुलेंस आएगी और वो ठीक होकर अपने गांव लौट जाएंगे, लेकिन एंबुलेंस आते-आते बहुत देर हो गई और वह इस दुनिया को छोड़कर चला गया.

याकूब ने बयां की दास्तां

याकूब ने बताया कि वो दोनों गुजरात के सूरत में एक फैक्ट्री में मशीन से कपड़ा बुनने का काम करते थे. लॉकडाउन के कारण सूरत से ट्रक में 4-4 हजार रुपये किराया देकर नासिक, इंदौर होते हुए कानपुर जा रहे थे. सफर के दौरान अचानक अमृत की तबीयत बिगड़ गई. अमृत को तेज बुखार आया. ट्रक में बैठे 55-60 लोगों ने अमृत को उतारने की जिद की तो ट्रक वाले ने अमृत को उतार दिया. इसी दौरान वो भी अमृत का ख्याल रखने के लिए ट्रक से उतर गया. बस्ती के लालगंज थाना अंतर्गत देउरी गांव के रहने वाले अमृत का शव मध्य प्रदेश के शिवपुरी व उत्तर प्रदेश के झांसी जिला प्रशासन ने घर भिजवा दिया. वहां उसका अंतिम संस्कार कर दिया.

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