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बस्ती: पशु अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, गंभीर बीमारियों के कारण पालतू पशु गंवा रहे हैं जान - बस्ती में पशु डॉक्टरों की कमी

पशु अस्पतालों में डॉक्टरों के स्टाफ की कमी के कारण पालतू पशुओं का सही से इलाज नहीं हो पा रहा है. पालतू पशु गलाघोटू, खसरा जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं.

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पशु अस्पतालों में डॉक्टरों के स्टाफ की कमी के कारण पालतू पशुओं का इलाज नहीं हो रहा है
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Published : Dec 2, 2019, 7:54 AM IST

बस्ती: उत्तर प्रदेश सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है. दूसरी तरफ पालतू जानवर गला घोंटू, खसरा, जैसी बीमारियों की चपेट में आकर मर रहे हैं. पशु चिकित्सालयों में डॉक्टरों की कमी के कारण पालतू मवेशियों का सही तरीके से इलाज नहीं हो रहा है.

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा पशु चिकित्सालय

जानकारी के अनुसार सरकारी पशु अस्पतालों में डॉक्टर अक्सर नदारद मिलते हैं. पालतू पशुओं की इस समस्या को लेकर बस्ती जिले के उप चिकित्साधिकारी डॉ. सत्यप्रकाश यादव ने बताया कि अस्पताल में स्टाफ की कमी है. स्टाफ की कमी के कारण पशुओं को वर्ष भर में सिर्फ एक बार टीका लगा पाते हैं. हमारे पास स्टाफ न होने के कारण हर छमाही टीका लगाना मुश्किल है.

उन्होंने बताया कि इस संबंध में शासन को पत्र लिखा गया है. पत्र के माध्यम से डॉक्टर, स्टाफ की मांग की गई है. डॉ. सत्यप्रकाश यादव ने बताया कि स्टाफ की कमी पूरी होने पर अधिक क्षेत्रों मे पशुओं को गलाघोटू, खसरा जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए टीका लगवाएंगे. उन्होंने बताया कि जिन पशुओं का बीमा किया गया था. यदि बीमा की समय अवधि के भीतर पशुओं की मौत होती है, तो पशुपालकों को बीमा राशि दिलवायी जाती है.

बस्ती: उत्तर प्रदेश सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है. दूसरी तरफ पालतू जानवर गला घोंटू, खसरा, जैसी बीमारियों की चपेट में आकर मर रहे हैं. पशु चिकित्सालयों में डॉक्टरों की कमी के कारण पालतू मवेशियों का सही तरीके से इलाज नहीं हो रहा है.

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा पशु चिकित्सालय

जानकारी के अनुसार सरकारी पशु अस्पतालों में डॉक्टर अक्सर नदारद मिलते हैं. पालतू पशुओं की इस समस्या को लेकर बस्ती जिले के उप चिकित्साधिकारी डॉ. सत्यप्रकाश यादव ने बताया कि अस्पताल में स्टाफ की कमी है. स्टाफ की कमी के कारण पशुओं को वर्ष भर में सिर्फ एक बार टीका लगा पाते हैं. हमारे पास स्टाफ न होने के कारण हर छमाही टीका लगाना मुश्किल है.

उन्होंने बताया कि इस संबंध में शासन को पत्र लिखा गया है. पत्र के माध्यम से डॉक्टर, स्टाफ की मांग की गई है. डॉ. सत्यप्रकाश यादव ने बताया कि स्टाफ की कमी पूरी होने पर अधिक क्षेत्रों मे पशुओं को गलाघोटू, खसरा जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए टीका लगवाएंगे. उन्होंने बताया कि जिन पशुओं का बीमा किया गया था. यदि बीमा की समय अवधि के भीतर पशुओं की मौत होती है, तो पशुपालकों को बीमा राशि दिलवायी जाती है.

Intro:रिपोर्ट- प्रशांत सिंह
मो.9161087094
मो- 8317019190

बस्ती: जहां एक तरफ योगी सरकार किसानों की आय दुगनी करने और पशुपालन को बढ़ावा देने की बात करती है. लेकिन सरकारी दावों और फाइलों से इतर मवेशियों की हालत भयावह है. बस्ती में मवेशियों के बिमार होने पर उनकी दवा भी ठीक से नही हो पा रही है, जिसके कारण किसानों के मवेशी इलाज न होने पर खसरा, गलाघोटू जैसी बिमारी से मर रहे हैं.

दरअसल मवेशी गलाघोटू जैसे बिमारी से मर रहे हैं. पशु अस्पताल में एक भी चिकित्सक नहीं मिलते, जिससे की इलाज हो सके. इतना ही नही पशुओं के मरने के बाद भी बीमा की राशि भी नही मिलती. उन्होंने बताया कि पशु अस्पताल तो गांवों मे खुले हैं लेकिन डाँक्टर साहब का पता नही कब आते है और कब चले जाते है. एक-एक डाँ. पर तीन-चार अस्पताल का चार्ज है. जिससे समय से पशुओं को टीका भी नही लग पाता है और असमय ही किसानों व पशुपालकों को अपने मवेशियों से हाथ धोना पडता है.Body:जब इसके बारे मे पशु अस्पताल के डाँ से बात की तो उन्होंने ने बताया कि पशुओं को वर्ष भर में एक ही बार टीका लगा पाते है. इसका सबसे बड़ा कारण स्टाफ की कमी है. हमारे पास स्टाफ़ न होने के कारण हर छमाही टीका लगना मुश्किल है. उन्होंने बताया कि शासन को पत्र लिखा गया है और स्टाफ़ की माँग की गयी है.

डॉक्टर ने बताया कि स्टाफ़ की कमी पूरी होते ही हम ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों मे पशुओं को गलाघोटू, खसरा जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए टीका लगवाएंगे. वहीं बीमा के बारे मे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जिन पशुओं का बीमा किया गया था. यदि बीमा के समय मे पशुओं की मौत होती है तो पशुपालकों को बीमा राशि दिलवाया जाता है. जिनका बीमा खत्म हो गया था, उन्हें बीमा राशि नही मिल पायेगा.

बाइट- डॉ सत्यप्रकाश यादव, उप चिकित्साधिकारी, हरैया

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