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बस्ती: इस शिवलिंग को दोनों हाथों में नही पकड़ सका कोई, रावण ने की थी स्थापना

बस्ती जिले का ये प्रचीनतम शिव लिंग बेहद ही अनूठा. मान्यता है कि यह मंदिर त्रेतायुग का है. इस शिवलिंग की स्थापना रावण ने की थी. लेकिन इस शिव लिंग की महानता इतनी भर ही नहीं है, आज तक कोई ऐसा भक्त नहीं हुआ, जो इस शिव लिंग को अपनी दोनों बांहों में ले सके. इस शिव लिंग का आकार अपने आप बढ़ जाता है. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर दूर-दूर से भक्त इस शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने पहुंचे. दूर-दूर से आए भक्त इस शिव लिंग का दर्शन कर अपने आप को धन्य समझ रहे थे.

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त्रेतायुग का है ये शिवलिंग
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Published : Feb 21, 2020, 2:07 PM IST

बस्ती: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भोले बाबा के पौराणिक मंदिर भदेश्वरनाथ धाम में सुबह से ही भक्तों का रेला लगा रहा. रात 2 बजे कपाट खुले और फिर भोलेनाथ का श्रृंगार और आरती हुई. 2.45 बजे से जलाभिषेक शुरू हो गया. लाखों लोगों ने भदेश्वरनाथ धाम में जलाभिषेक किया,

कई पौराणिक कथाओं को समेटे बस्ती का बाबा भदेश्वरनाथ मंदिर पूरे मण्डल की पहचान है. लोक मान्यताओं के अनुसार रावण हर रोज कैलाश जाकर भगवान शिव की पूजा करता था, और वहां से एक शिवलिंग लेकर आता था. उसी दौरान ये शिवलिंग भी रावण कैलाश से लेकर आया था.

भदेश्वरनाथ धाम की महिमा है अपरमपार

रावण ने की थी इस शिव लिंग की स्थापना

मान्यता यह भी है कि इस शिवलिंग को आज तक कोई भी भक्त अपनी दोनों बांहों में नहीं ले सका है. भक्त जब शिवलिंग को अपनी बांहों में लेना चाहते हैं, तो शिवलिंग का आकार अपने आप बड़ा हो जाता है. पिछले कई सालों से शिवलिंग की बनावट में काफी बदलाव हुआ है. लोगों के अनुसार शिवलिंग का आकार पहले बहुत छोटा था, लेकिन अब वह काफी बड़ा हो गया है.

बताया जाता है कि कुछ चोरों ने शिवलिंग की खुदाई भी की, लेकिन काफी खुदाई के बाद भी जब शिवलिंग का अंत नहीं मिला, तब चोर भागने लगे, तो उनकी गाड़ी का पहिया वहीं धंस गया और पत्थर बन गया. जो आज भी मंदिर परिसर में देखा जा सकता है.

मान्यता के अनुसार यह मंदिर त्रेतायुग का है. शिवपुराण में भी इस मंदिर का भद्र नाम से उल्लेख किया गया है. मंदिर के पुजारी का कहना है, कि बस्ती के राजा ने 1734 में दो पुजारियों गंगा और जमुना को मंदिर में पूजा करने के लिए नियुक्त किया था. वो सब उन्हीं के वंशज हैं.

1927 में मंदिर का जीर्णोद्धार कर इसका वर्तमान स्वरूप दिया गया. मंदिर परिसर में शिव मंदिर के साथ ही माता पार्वती, नंदी का मंदिर और कुआनों तट पर देवरथ मंदिर है. आज शिवरात्रि के दिन लाखों भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंचे. मंदिर परिसर में सुरक्षा के भी व्यापक प्रबंध रहे. डारीडीहा चौराहा से लेकर मंदिर परिसर तक बम-बम भोले के नारों से चारों दिशाएं गूंज उठी.

इसे भी पढ़ें: शिव ही आदि शिव ही अनंत, जानें देवाधिदेव के 108 नाम

बस्ती: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भोले बाबा के पौराणिक मंदिर भदेश्वरनाथ धाम में सुबह से ही भक्तों का रेला लगा रहा. रात 2 बजे कपाट खुले और फिर भोलेनाथ का श्रृंगार और आरती हुई. 2.45 बजे से जलाभिषेक शुरू हो गया. लाखों लोगों ने भदेश्वरनाथ धाम में जलाभिषेक किया,

कई पौराणिक कथाओं को समेटे बस्ती का बाबा भदेश्वरनाथ मंदिर पूरे मण्डल की पहचान है. लोक मान्यताओं के अनुसार रावण हर रोज कैलाश जाकर भगवान शिव की पूजा करता था, और वहां से एक शिवलिंग लेकर आता था. उसी दौरान ये शिवलिंग भी रावण कैलाश से लेकर आया था.

भदेश्वरनाथ धाम की महिमा है अपरमपार

रावण ने की थी इस शिव लिंग की स्थापना

मान्यता यह भी है कि इस शिवलिंग को आज तक कोई भी भक्त अपनी दोनों बांहों में नहीं ले सका है. भक्त जब शिवलिंग को अपनी बांहों में लेना चाहते हैं, तो शिवलिंग का आकार अपने आप बड़ा हो जाता है. पिछले कई सालों से शिवलिंग की बनावट में काफी बदलाव हुआ है. लोगों के अनुसार शिवलिंग का आकार पहले बहुत छोटा था, लेकिन अब वह काफी बड़ा हो गया है.

बताया जाता है कि कुछ चोरों ने शिवलिंग की खुदाई भी की, लेकिन काफी खुदाई के बाद भी जब शिवलिंग का अंत नहीं मिला, तब चोर भागने लगे, तो उनकी गाड़ी का पहिया वहीं धंस गया और पत्थर बन गया. जो आज भी मंदिर परिसर में देखा जा सकता है.

मान्यता के अनुसार यह मंदिर त्रेतायुग का है. शिवपुराण में भी इस मंदिर का भद्र नाम से उल्लेख किया गया है. मंदिर के पुजारी का कहना है, कि बस्ती के राजा ने 1734 में दो पुजारियों गंगा और जमुना को मंदिर में पूजा करने के लिए नियुक्त किया था. वो सब उन्हीं के वंशज हैं.

1927 में मंदिर का जीर्णोद्धार कर इसका वर्तमान स्वरूप दिया गया. मंदिर परिसर में शिव मंदिर के साथ ही माता पार्वती, नंदी का मंदिर और कुआनों तट पर देवरथ मंदिर है. आज शिवरात्रि के दिन लाखों भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंचे. मंदिर परिसर में सुरक्षा के भी व्यापक प्रबंध रहे. डारीडीहा चौराहा से लेकर मंदिर परिसर तक बम-बम भोले के नारों से चारों दिशाएं गूंज उठी.

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