बस्ती: जिले में बाढ़ से हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. राहत के नाम पर प्रशासन खाद्य सामग्री देकर खानापूर्ति कर रहा है. बाढ़ प्रभावित लोगों को 15 दिन की खाद्य सामग्री सिर्फ एक हफ्ते की ही मिल रही है. इतना ही नहीं प्रशासन की अनदेखी है कि लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. अभी तक बाढ़ पीड़ितों को सामुदायिक केंद्रों व स्कूलों में शरण नहीं दी गई है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में हर सुविधा देने की बात कही है, लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. जानवरों के लिए न पर्याप्त चारा है और न ही पीने का शुद्ध पानी. प्रशासन की तरफ से एक बार राहत सामग्री वितरित कर दिया गया. उसके बाद इन बाढ़ पीडितों की सुध लेने कोई भी नहीं आया.
बस्ती जिले में घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. इसके किनारे बसे लगभग 65 गांव के हजारों की संख्या में लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. लगभग 25 गांव घाघरा नदी के बाढ़ से जलमग्न हो चुके है. दुबौलिया विकास खण्ड के गांव विशनदासपुर, खजांची का पुरवा, सुविखा बाबू, अशोक पुर, टकटकवा, खलवा सहित कई गांव के लोग पलायन कर तटबंध पर पन्नी तानकर जीवन यापन करने को मजबूर है.
ग्रामीणों ने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से एक बार राहत सामग्री मिली थी, लेकिन वह राशन एक हफ्ते भी नहीं चलता है. उसके बाद किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली. जानवरों के लिए भी पर्याप्त भूसा-चारा नहीं दिया गया. नदी गांव के किनारे कटान कर रही है. कटान जारी रहा तो पूरा गांव ही बह जाएगा. प्रशासन से कई बार दूसरी जगह विस्थापित करने की मांग की गई, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला.
वहीं एडीएम रमेश चन्द्र ने बताया कि जनपद में दो तहसील हरैया और सदर बाढ़ प्रभावित हैं. घाघरा नदी 78 सेमी. खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. बाढ़ प्रभावित गांव में कुल 90 नाव चलाई जा रही हैं. बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. लगभग 3600 लोगों को राहत सामग्री दी गई है. अन्य गांव के लिए भी राहत किट मंगाई गई है, जल्द ही वहां भी उपलब्ध करा दिया जाएगा.