बस्ती: देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग अपने घरों के लिए जा रहे हैं. कहीं पैदल, साइकिल, तो कहीं ठेले पर सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकले लोगों की तस्वीरें अब आम बात हो गई हैं. लॉकडाउन के बावजूद पलायन का न रुकना सवाल खड़े करता है. इन लोगों को कोरोना का भय नहीं है. यह किसी तरह बस अपने घर पहुंचना चाहते हैं. ऐसे ही कुछ यात्री हरियाणा और लखनऊ से बस्ती होते हुए बिहार के भागलपुर और बेतिया जाते हुए मिले. यह सभी लोग पैदल ही निकल पड़े हैं.
लॉकडाउन के बावजूद सड़क पर निकलने का कारण पूछे जाने पर हरियाणा से बिहार के भागलपुर जाने वाले युवकों ने बताया कि यह लोग हरियाणा के नरेला में रहते हैं और वहां किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं थी, इसलिये घर जाना ठीक समझा. लगभग एक हफ्ते का सफर उन्होंने लिफ्ट लेकर और पैदल यात्रा कर बिताया और किसी तरह बस्ती तक पहुंचे. इन युवकों ने कहा कि इतने दिनों में इन्हें भोजन नसीब नहीं हुआ. बस्ती में पुलिस चौकी पर इन्हें फल खाने को दिया गया था, लेकिन किसी प्रकार की जांच नहीं की गई और न ही इन्हें क्वारेन्टीन करने की जहमत उठाई गई. पुलिस ने हाईवे से लिफ्ट लेकर आगे जाने का आईडिया भी दे दिया.
ऐसा ही कुछ हाल लखनऊ से पैदल बेतिया के लिए निकले युवकों का भी है. उन्होंने बताया कि लखनऊ में काम बंद होने की वजह से पैसा खत्म हो गया. कमरे का किराया देना मुश्किल हो गया था, जिसके बाद यह लोग बिहार के लिए निकल पड़े. युवकों ने बताया कि रास्ते मे पुलिस मिली थी, उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे निकल जाओ. हैरानी की बात यह भी है कि हरियाणा और लखनऊ से यह सब लोग बस्ती पहुंच गए, लेकिन रास्ते में किसी ने जांच तक नहीं की और न ही इन्हें जागरूक करने की कोशिश की. इस तरह के पलायन सरकार की तैयारियों पर भी सवालिया निशान लगा रहे हैं.
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