बस्ती : शिक्षा के मंदिर में कुर्सी की चाहत तेज होने लगी है. कॉलेज का प्रधानाचार्य बनने के लिए गुरु जी अब अपना असली काम छोड़कर राजनीति करने में लग गए हैं. मामला सदर तहसील के गनेशपुर हंसराज लाल इंटर कॉलेज का है जहां तैनात तीन प्रवक्ताओं के बीच प्रधानाचार्य की कुर्सी हथियाने के लिए होड़ मची हुई है.
दरअसल, पिछले 31 मार्च को तत्कालीन प्रधानाचार्य अवध नारायण मिश्र रिटायर हुए तो कॉलेज में इस पद के लिए यहां के तीन शिक्षकों ने दावा ठोंक दिया. इसके बाद विवाद पैदा हो गया. मामला सीधा अधिकारियों के दफ्तर पहुंचा जहां डीआईओएस आर.एस यादव ने तीनों दावेदार प्रवक्ताओं की नियुक्ति के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की.
इसमें राजेश कुमार चौधरी की नियुक्ति 2012 के आधार पर उन्हें सबसे वरिष्ठ मानते हुए कॉलेज का प्रधानाचार्य नियुक्त करने का निर्णय लिया. मगर कॉलेज प्रबंध समिति ने अपने चहेते शिक्षक कमल किशोर शुक्ला को प्रधानाचार्य बना दिया. उनकी नियुक्ति 2016 में हुई थी. ऐसे में वरिष्ठ प्रवक्ता टीचर को नजरंदाज करते हुए नियम का उल्लंघन कर कमल किशोर को कुर्सी पर बैठा दिया गया.
वरिष्ठ प्रवक्ता राजेश ने इसका पुरजोर विरोध किया. इसके बाद मामला अब जेडी दफ्तर पहुंचा है. जेडी ने इस मामले में डीआईओएस के रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए उस पर रोक लगा दी. विवाद खत्म होने तक किसी तीसरे टीचर को कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त करने का विवादित आदेश दे दिया.
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टीचर राजेश चौधरी का कहना है कि उनकी नियुक्ति चयन बोर्ड द्वारा सहायक अध्यापक पद पर हुई है. जुलाई 2012 में उनका प्रवक्ता पद पर प्रमोशन हुआ था. वहीं, दूसरे टीचर कमल किशोर का वेतन कोर्ट के आदेश पर निकल रहा है. गलत तरीके से 2016 में उन्हें भी नियमित करा दिया गया जबकि 2016 के शासनादेश में यह व्यवस्था दी गई थी कि जिनका वेतन कोर्ट के आदेश पर निकल रहा है, उन्हें नियमित ना किया जाए.
ऐसे में प्रबंध समिति द्वारा मनमाने तरीके से उन्हें विनियमित करते हुए 31 मार्च 2021 को जबरन राजेश कुमार चौधरी से एक पंजिका पर हस्ताक्षर कराकर कमल किशोर को कार्यभार दे दिया गया. पीड़ित प्रवक्ता राजेश चौधरी ने कहा कि जिला विद्यालय निरीक्षक और संयुक्त निदेशक शिक्षा से इस मामले की शिकायत कर कार्रवाई की उनके द्वारा मांग की गई है.
इस मामले को लेकर संयुक्त शिक्षा निदेशक मनोज द्विवेदी ने बताया कि हंसराज इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद को लेकर विवाद था. इसकी शिकायत पहले डीआईओएस से की गई और जब शिकायतकर्ता इससे संतुष्ट नहीं हुआ तो उसने हमारे यहां अपील की.
बताया कि इसपर उन्होंने डीआईओएस के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने मौलिक नियुक्ति तारीख के आधार पर वरिष्ठता सूची निर्धारित की थी. जेडी ने कहा कि डीआईओएस ने अपने अधिकार से बाहर जाकर यह आदेश किया है जिसे लेकर उनके द्वारा उस आदेश को खारिज करते हुए मामले की सुनवाई की जा रही है. 14 जून को सभी पक्षों को सुनकर निर्णय लिया जाएगा.