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बस्ती: ईंधन के अभाव में कई एंबुलेंस के पहिए थमे, सवाल-जिम्मेदार मौन?

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Published : Jul 31, 2020, 12:01 PM IST

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में ईंधन के अभाव में एम्बुलेस के पहिए थम गए हैं. दरअसल, फ्यूल कार्ड में पैसा न होने के चलते एम्बुलेंस चालकों को काफी असुविधा हो रही है.

एम्बुलेंस के पहिए थमे.
एम्बुलेंस के पहिए थमे.

बस्ती: जिले में ईंधन के अभाव में एम्बुलेंस के पहिए थम गए हैं. फ्यूल कार्ड में पैसा न होने के चलते चालकों को असुविधा हो रही है. एम्बुलेंस सेवा संचालित करने वाली GVK कम्पनी के जिम्मेदार मामले का संज्ञान नहीं ले रहे हैं. एम्बुलेंस चालक कमला उपाध्याय ने बताया कि जिला प्रभारी आशीष साहू को बताने के बाद भी तीन दिन से फ्यूल कार्ड में कम्पनी ने पैसा लोड नहीं कराया है. तेल के अभाव में करीब 18 एम्बुलेंस खड़ी हैं.

एम्बुलेंस के पहिए थमे.

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए वरदान साबित हो रही 108, 102 एम्बुलेंस सेवा के संचालन में फंड की कमी से संकट गहरा गया है. इतना ही नहीं, एम्बुलेंस चालकों को भी तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है. जिलाध्यक्ष चन्द्र शेखर ने बताया कि हम सभी एम्बुलेंस चालक बार-बार सूचना जिम्मेदारों को देते हैं, लेकिन इस पर कोई भी ध्यान देने वाला नहीं है, जिसके चलते जनपद में करीब डेढ़ दर्जन एम्बुलेंस अस्पताल परिसर में खड़ी हैं. इतना ही नहीं, चालकों को तीन माह से वेतन भी नहीं मिला है.

वहीं सीएससी हरैया के प्रभारी डॉ. आरके सिंह ने इस बाबत बताया कि जिम्मेदारों को पत्र लिखा गया है, लेकिन किसी को कोई चिंता नहीं है. ऊपर अगर बताया जाता है तो वहां से दूसरी एंबुलेंस भेज दी जाती है, जबकि अस्पताल पर जो खड़ी है, उसमें तेल की व्यवस्था नहीं की जा रही है. फिर भी अगर किसी मरीज को एंबुलेंस की जरूरत होती है तो प्रयास किया जाता है कि कोई परेशानी न हो.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ ले, तो सरकार पर निर्भर उन गरीब जनता का क्या होगा, जो यही सोचकर सरकारी अस्पतालों में आते हैं कि उन्हें यहां अच्छा इलाज मिलेगा. सरकारी व्यवस्था ही भगवान भरोसे हो जाएं, तो ऐसे में गरीबों और जरूरतमंदों की कौन सुनेगा?

बस्ती: जिले में ईंधन के अभाव में एम्बुलेंस के पहिए थम गए हैं. फ्यूल कार्ड में पैसा न होने के चलते चालकों को असुविधा हो रही है. एम्बुलेंस सेवा संचालित करने वाली GVK कम्पनी के जिम्मेदार मामले का संज्ञान नहीं ले रहे हैं. एम्बुलेंस चालक कमला उपाध्याय ने बताया कि जिला प्रभारी आशीष साहू को बताने के बाद भी तीन दिन से फ्यूल कार्ड में कम्पनी ने पैसा लोड नहीं कराया है. तेल के अभाव में करीब 18 एम्बुलेंस खड़ी हैं.

एम्बुलेंस के पहिए थमे.

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए वरदान साबित हो रही 108, 102 एम्बुलेंस सेवा के संचालन में फंड की कमी से संकट गहरा गया है. इतना ही नहीं, एम्बुलेंस चालकों को भी तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है. जिलाध्यक्ष चन्द्र शेखर ने बताया कि हम सभी एम्बुलेंस चालक बार-बार सूचना जिम्मेदारों को देते हैं, लेकिन इस पर कोई भी ध्यान देने वाला नहीं है, जिसके चलते जनपद में करीब डेढ़ दर्जन एम्बुलेंस अस्पताल परिसर में खड़ी हैं. इतना ही नहीं, चालकों को तीन माह से वेतन भी नहीं मिला है.

वहीं सीएससी हरैया के प्रभारी डॉ. आरके सिंह ने इस बाबत बताया कि जिम्मेदारों को पत्र लिखा गया है, लेकिन किसी को कोई चिंता नहीं है. ऊपर अगर बताया जाता है तो वहां से दूसरी एंबुलेंस भेज दी जाती है, जबकि अस्पताल पर जो खड़ी है, उसमें तेल की व्यवस्था नहीं की जा रही है. फिर भी अगर किसी मरीज को एंबुलेंस की जरूरत होती है तो प्रयास किया जाता है कि कोई परेशानी न हो.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ ले, तो सरकार पर निर्भर उन गरीब जनता का क्या होगा, जो यही सोचकर सरकारी अस्पतालों में आते हैं कि उन्हें यहां अच्छा इलाज मिलेगा. सरकारी व्यवस्था ही भगवान भरोसे हो जाएं, तो ऐसे में गरीबों और जरूरतमंदों की कौन सुनेगा?

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