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मां ने कुंडल तक रख दिया था गिरवी, बेटे ने KBC में जीते 50 लाख रुपये

"कौन कहता है आसमान में सुराख हो नहीं सकता एक पत्थर तबियत से उछालो तो यारो" इस कहावत को सही साबित किया है बरेली के तेज बहादुर ने, जिन्होंने अपनी पढ़ाई और ज्ञान की बदौलत केबीसी में 50 लाख रुपये जीत लिए हैं.

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तेजबहादुर की तमन्ना आईएएस बनने की है
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Published : Dec 4, 2020, 7:04 PM IST

बरेली: जिले के बहेड़ी कस्बे के एक गांव में रहने वाले तेज बहादुर केबीसी के विजेता बन चुके हैं. केबीसी उन्होंने 50 लाख रुपये जीते हैं. पॉलीटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे है तेज बहादुर खेती किसानी करने के बाद पेन किलर खाकर पढ़ाई करते थे, उनकी फीस जमा करने के लिए उनकी मां ने कुंडल तक गिरवी रख दिए थे. 3 दिसंबर को प्रसारित हुए "कौन बनेगा करोड़पति" के शो तेज बहादुर ने अपनी पढ़ाई और ज्ञान की बदौलत केबीसी में पचास लाख रुपये जीत लिए हैं. केबीसी में अपने तेज दिमाग से बड़ी धनराशि जीतने वाले तेजबहादुर की तमन्ना आईएएस बनने की है.

तेजबहादुर की तमन्ना आईएएस बनने की है

तेज बहादुर ने कभी हौसला नहीं खोया

बेहद गरीबी में संघर्ष पूर्ण जीवन बिताने वाले तेज बहादुर आज लखपति बन गए हैं. हौसला और मेहनत आदमी की तकदीर बदल देती है. कुछ ऐसा ही हुआ बरेली के बहेड़ी कस्बे के एक गांव में रहने वाले तेज बहादुर के साथ, तेज़ बहादुर ने कभी हौसला नहीं खोया और अपनी बद -किस्मती को हरा कर उन्होंने अपने दुख दूर कर लिए. तेज बहादुर ने "कौन बनेगा करोड़पति" में अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठ कर पचास लाख रुपये जीत लिये, उनका ऐपिसोड तीन दिसंबर की रात को प्रसारित किया गया.

तेज बहादुर के लिए यह सफर इतना आसान नहीं था. तेज बहादुर का परिवार बेहद साधारण है ,पिता के पास थोड़ी सी खेती की जमीन है, जिससे बमुश्किल गुजरा चलता था. बेटे की पढ़ाई के खर्च के लिये वह एक स्कूल में प्राइवेट नौकरी भी करते थे, लेकिन लॉकडाउन में वो नौकरी भी छूट गई साथ ही पिता बीमार पड़ गए. अब पढ़ाई के साथ सारी जिम्मेदारी तेज बहादुर पर आ गई, उन्होंने खेती संभालने के साथ पढ़ाई भी जारी रखी. खेत में काम करने से शरीर में दर्द होता था, पेन किलर खाकर उन्होंने सिविल इंजीनिरिंग की पढ़ाई की.

पॉलिटेक्निक की फीस जमा करने के तेज बहादुर की मां को जेवर तक गिरवी रखना पड़ा. केबीसी में पचास लाख रुपये जीतने के बाद तेज बहादुर अब सबसे पहले अपनी मां के गिरवी पड़े कुंडल छुड़वाएंगे और अपने टूटे हुऐ घर को सही कराएंगे. पढ़ाई को लेकर संजीदा तेज बहादुर सिविल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा के बाद आईएएस बनना चाहते हैं, ताकि वह अपने गांव में एक स्कूल खुलवा सके.

बरेली: जिले के बहेड़ी कस्बे के एक गांव में रहने वाले तेज बहादुर केबीसी के विजेता बन चुके हैं. केबीसी उन्होंने 50 लाख रुपये जीते हैं. पॉलीटेक्निक से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे है तेज बहादुर खेती किसानी करने के बाद पेन किलर खाकर पढ़ाई करते थे, उनकी फीस जमा करने के लिए उनकी मां ने कुंडल तक गिरवी रख दिए थे. 3 दिसंबर को प्रसारित हुए "कौन बनेगा करोड़पति" के शो तेज बहादुर ने अपनी पढ़ाई और ज्ञान की बदौलत केबीसी में पचास लाख रुपये जीत लिए हैं. केबीसी में अपने तेज दिमाग से बड़ी धनराशि जीतने वाले तेजबहादुर की तमन्ना आईएएस बनने की है.

तेजबहादुर की तमन्ना आईएएस बनने की है

तेज बहादुर ने कभी हौसला नहीं खोया

बेहद गरीबी में संघर्ष पूर्ण जीवन बिताने वाले तेज बहादुर आज लखपति बन गए हैं. हौसला और मेहनत आदमी की तकदीर बदल देती है. कुछ ऐसा ही हुआ बरेली के बहेड़ी कस्बे के एक गांव में रहने वाले तेज बहादुर के साथ, तेज़ बहादुर ने कभी हौसला नहीं खोया और अपनी बद -किस्मती को हरा कर उन्होंने अपने दुख दूर कर लिए. तेज बहादुर ने "कौन बनेगा करोड़पति" में अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठ कर पचास लाख रुपये जीत लिये, उनका ऐपिसोड तीन दिसंबर की रात को प्रसारित किया गया.

तेज बहादुर के लिए यह सफर इतना आसान नहीं था. तेज बहादुर का परिवार बेहद साधारण है ,पिता के पास थोड़ी सी खेती की जमीन है, जिससे बमुश्किल गुजरा चलता था. बेटे की पढ़ाई के खर्च के लिये वह एक स्कूल में प्राइवेट नौकरी भी करते थे, लेकिन लॉकडाउन में वो नौकरी भी छूट गई साथ ही पिता बीमार पड़ गए. अब पढ़ाई के साथ सारी जिम्मेदारी तेज बहादुर पर आ गई, उन्होंने खेती संभालने के साथ पढ़ाई भी जारी रखी. खेत में काम करने से शरीर में दर्द होता था, पेन किलर खाकर उन्होंने सिविल इंजीनिरिंग की पढ़ाई की.

पॉलिटेक्निक की फीस जमा करने के तेज बहादुर की मां को जेवर तक गिरवी रखना पड़ा. केबीसी में पचास लाख रुपये जीतने के बाद तेज बहादुर अब सबसे पहले अपनी मां के गिरवी पड़े कुंडल छुड़वाएंगे और अपने टूटे हुऐ घर को सही कराएंगे. पढ़ाई को लेकर संजीदा तेज बहादुर सिविल इंजीनियरिंग के डिप्लोमा के बाद आईएएस बनना चाहते हैं, ताकि वह अपने गांव में एक स्कूल खुलवा सके.

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