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देश भर में करवा चौथ के व्रत के लिए महिलाओं में दिखा उत्साह, बाजारों में दिखी रौनक - karwa chauth celebration in bareilly

गुरुवार को देशभर में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रहीं. इस दौरान बाजारों में महिलाएं बुधवार को व्रत सामग्री खरीदती नजर आईं. करवा चौथ के अवसर पर अलग-अलग शहरों से देखिये ये स्पेशल रिपोर्ट...

करवा चौथ व्रत के लिये महिलाओं में दिखा खासा उत्साह
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Published : Oct 17, 2019, 8:54 PM IST

बरेली: गुरुवार को देश भर में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. बाजारों में काफी साज सजावट के साथ बिकने वाले पीतल और स्टील के करवों के बिकने से मिट्टी के करवों का चलन अब खत्म होता जा रहा है, लेकिन इन करवों से बाजारों की रौनक देखते ही बनती है.

करवा चौथ व्रत के लिए खरीदारी करती महिलाएं.

वहीं मिर्जापुर के बाजारों में करवा चौथ की खरीदारी के लिए महिलाओं का मेला सा लगा हुआ था. बुधवार को शहर के पास वासलीगंज, पक्के घाट, सिविल लाइन और घंटाघर बाजारों में महिलाओं की खासा भीड़ देखने को मिली.

हाईटेक हो रहा करवा चौथ
परम्परागत मिट्टी के करवों का स्थान पीतल और स्टील के आकर्षक करवों ने ले लिया है. साथ ही बाजारों में कहीं पर तो चांदी के करवे भी दखने को मिल जाते हैं. अब मिट्टी के करवों का स्थान छिनता जा रहा है.

एक तरफ जहां पीतल के रंग-बिरंगे, नये-नये डिजाइंस में बने करवे बाजारों की रौनक बढ़ा रहे हैं. तो वहीं व्यापारियों का कहना है कि वह भी मिट्टी के करवों को भिन्न प्रकार का रूप देने की कोशिश करते हैं ताकि महिलाएं मिट्टी के करवों को खरीदें.

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एक तो प्लास्टिक के बर्तनों के कारण हमारा काम वैसे ही सही नहीं चल रहा है. दिवाली के समय जो मिट्टी की करवे बनते थे, उसे भी इन पीतल ओर स्टील के करवों ने कम कर दिया है.
-चंदशेन, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर

चंद्रमा को पूजने का है संयोग
करवाचौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन मूल रूप से भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की उपासना होती है. चंद्रमा को आमतौर पर आयु-सुख और शांति का कारक माना जाता है, इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं.

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70 साल बाद है ऐसा संयोग
बरेली में चन्द्र दर्शन सायंकाल 8 बजकर 03 मिनट पर होगा. ज्योतिषाचार्य पंडित अनुपम कौशिक ने बताया कि इस दिन प्रातः काल स्त्रियां स्नान, आचमन, सुख सौभाग्य का संकल्प करके व्रत करती हैं. व्रत में शिव पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चन्द्रमा का पूजन करने का विधान है. स्त्रियां चन्द्रोदय होने के बाद अर्घ्य देकर जल और भोजन ग्रहण करती हैं.

इस बार करवा चौथ पर पूरे 70 साल बाद मंगल योग बन रहा है. इस साल करवा चौथ में रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग है, जिसे बेहद फलदाई माना जाता है.

इसे भी पढ़ें:- जल्द ही हमारे पक्ष में आएगा फैसला: महंत कमल नयन दास

बाजारों में दिखी रौनक
गुरुवार को पड़ने वाले करवा चौथ के व्रत सामग्री के लिए मिर्जापुर के बाजारों में महिलाओं का मेला सा लगा हुआ था. इस खास पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है. बुधवार को शहर के पास वासलीगंज, पक्के घाट, सिविल लाइन और घंटाघर बाजारों में महिलाओं की खासा भीड़ देखने को मिली. इस दौरान महिलाएं चलनी, कुशा, मिट्टी के बर्तन सहित रोली चंदन पूजा सामग्री की खरीदारी करती नजर आईं.


इसे भी पढ़ें:- मिर्जापुर: एस एन फ्लैग्स फाउंडेशन को SDM ने जारी किया कुर्की का नोटिस
महिलाओं का कहना है कि लोग इस व्रत का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं. यह पति के दीर्घायु के लिए रखते हैं. सभी करवा चौथ के व्रत की खरीदारी कर रहे हैं. इस साल थोड़ी सी महंगाई है, लेकिन फिर भी व्रत बड़े उत्साह के साथ मनाएंगे.

बरेली: गुरुवार को देश भर में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. बाजारों में काफी साज सजावट के साथ बिकने वाले पीतल और स्टील के करवों के बिकने से मिट्टी के करवों का चलन अब खत्म होता जा रहा है, लेकिन इन करवों से बाजारों की रौनक देखते ही बनती है.

करवा चौथ व्रत के लिए खरीदारी करती महिलाएं.

वहीं मिर्जापुर के बाजारों में करवा चौथ की खरीदारी के लिए महिलाओं का मेला सा लगा हुआ था. बुधवार को शहर के पास वासलीगंज, पक्के घाट, सिविल लाइन और घंटाघर बाजारों में महिलाओं की खासा भीड़ देखने को मिली.

हाईटेक हो रहा करवा चौथ
परम्परागत मिट्टी के करवों का स्थान पीतल और स्टील के आकर्षक करवों ने ले लिया है. साथ ही बाजारों में कहीं पर तो चांदी के करवे भी दखने को मिल जाते हैं. अब मिट्टी के करवों का स्थान छिनता जा रहा है.

एक तरफ जहां पीतल के रंग-बिरंगे, नये-नये डिजाइंस में बने करवे बाजारों की रौनक बढ़ा रहे हैं. तो वहीं व्यापारियों का कहना है कि वह भी मिट्टी के करवों को भिन्न प्रकार का रूप देने की कोशिश करते हैं ताकि महिलाएं मिट्टी के करवों को खरीदें.

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एक तो प्लास्टिक के बर्तनों के कारण हमारा काम वैसे ही सही नहीं चल रहा है. दिवाली के समय जो मिट्टी की करवे बनते थे, उसे भी इन पीतल ओर स्टील के करवों ने कम कर दिया है.
-चंदशेन, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर

चंद्रमा को पूजने का है संयोग
करवाचौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन मूल रूप से भगवान गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की उपासना होती है. चंद्रमा को आमतौर पर आयु-सुख और शांति का कारक माना जाता है, इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं.

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70 साल बाद है ऐसा संयोग
बरेली में चन्द्र दर्शन सायंकाल 8 बजकर 03 मिनट पर होगा. ज्योतिषाचार्य पंडित अनुपम कौशिक ने बताया कि इस दिन प्रातः काल स्त्रियां स्नान, आचमन, सुख सौभाग्य का संकल्प करके व्रत करती हैं. व्रत में शिव पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चन्द्रमा का पूजन करने का विधान है. स्त्रियां चन्द्रोदय होने के बाद अर्घ्य देकर जल और भोजन ग्रहण करती हैं.

इस बार करवा चौथ पर पूरे 70 साल बाद मंगल योग बन रहा है. इस साल करवा चौथ में रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग है, जिसे बेहद फलदाई माना जाता है.

इसे भी पढ़ें:- जल्द ही हमारे पक्ष में आएगा फैसला: महंत कमल नयन दास

बाजारों में दिखी रौनक
गुरुवार को पड़ने वाले करवा चौथ के व्रत सामग्री के लिए मिर्जापुर के बाजारों में महिलाओं का मेला सा लगा हुआ था. इस खास पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है. बुधवार को शहर के पास वासलीगंज, पक्के घाट, सिविल लाइन और घंटाघर बाजारों में महिलाओं की खासा भीड़ देखने को मिली. इस दौरान महिलाएं चलनी, कुशा, मिट्टी के बर्तन सहित रोली चंदन पूजा सामग्री की खरीदारी करती नजर आईं.


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महिलाओं का कहना है कि लोग इस व्रत का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं. यह पति के दीर्घायु के लिए रखते हैं. सभी करवा चौथ के व्रत की खरीदारी कर रहे हैं. इस साल थोड़ी सी महंगाई है, लेकिन फिर भी व्रत बड़े उत्साह के साथ मनाएंगे.

Intro:एंकर: अब धीरे-धीरे करवा चौथ का त्यौहार भी हाईटेक होता जा रहा है महिलाएं ज्यादातर पीतल के करबे और स्टील के करबे को ज्यादा पसंद कर रही हैं क्योंकि यह काफी सजे हुए होते हैं और इनकी क्वालिटी भी काफी अच्छी होती है जिसके करण धीरे-धीरे मिट्टी के करबो का चलन महिलाओं के बीच कम होता जा रहा है जिसके कारण मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों को और उन व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है जो इसका काम कर रहे हैं।





Body:Vo1:--परम्परागत मिट्टी के करवों का स्थान पीतल , स्टील के आकर्षक करवों ने ले लिय है । कहीं कहीं तो चाँदी के करवे भी बाजार में उपलब्ध हैं । पीतल के रंग - बिरंगे नये - नये डिजाइंस में बाजारों की रौनक बढ़ा रहे हैं वहीं पीतल स्टील के करवे चलने से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले व्यापारियों काफी नुकसान हो रहा है हम भी मिट्टी के करबो को भिन्न प्रकार का रूप देकर कोशिश करते हैं ताकि महिलाएं मिट्टी के  को खरीदें।

बाइट:-अंकित  प्रजापति व्यापारी

Vo2:- पीतल और स्टील के करवे बनने से सबसे ज्यादा नुकसान मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों को हो रहा है इन कारीगरों का कहना है कि एक तो प्लास्टिक के बर्तनों के कारण हमारा काम वैसे ही नहीं है दिवाली के टाइम जो मिट्टी की करवे बनते थे उससे भी इन पीतल ओर स्टील के करवो ने कम कर दिया है

बाइट:-चंदशेन  मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर




Conclusion:Fvo:-त्योहार कोई भी क्यों न हो उस पर व्यापारियों की नजर पड़ ही जाती है । ऐसा होते ही हर त्योहार हाईटेक हो जाता है । त्योहारों का व्यावसायीकरण करके ही व्यापारी हर त्योहार पर कुछ न कुछ नया करके अपनी तिजोरियाँ भरने का साधन ढूंढ ही लेते हैं । यही कारण है कि चंद दिन बाद मनाये जाने वाले करवा चौथ के त्योहार का व्यावसायीकरण शुरू कर दिया गया हाईटेक युग में करवाचौथ पर्व भी आधुनिक होता जा रहा है । बाजार की रौनक देख कर इस पर्व के हाईटेक होने का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है । 

रंजीत शर्मा।

9536666643

ईटीवी भारत, बरेली।


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