ETV Bharat / state

Bareilly में पारंपरिक खेती छोड़ किसान ने शुरू की बेर की खेती, 4 बीघा से ऐसे कमा रहे लाखों का मुनाफा - jujube farming in Bareilly

बरेली में आधुनिक तरीके से खेती (modern farming in Bareilly) कर किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. एप्पल बेर, सुंदरी बेर के पौधे एक बार लगाए जाने के बाद 18-20 साल तक फल देते हैं.

jujube farming in Bareilly
jujube farming in Bareilly
author img

By

Published : Mar 7, 2023, 10:17 AM IST

बेर की खेती के बारे में जानकारी देते नसीर अंसारी

बरेलीः जिले के मीरगंज तहसील क्षेत्र के किसान आधुनिक तरीके से खेती कर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. पारंपरिक खेती में ज्यादा फायदा नहीं होने के कारण बहुत से किसानों ने आधुनिक तरीके से खेती की शुरुआत की. ऐसे ही किसानों में शामिल हैं नंदगांव के निवासी नसीर अंसारी. जो एप्पल बेर, सुंदरी बेर (jujube farming in Bareilly) और अमरूद की खेती कर 4 बीघा जमीन में 3 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं.

नसीर अंसारी ने बताया कि गेहूं और धान की फसल से अच्छा मुनाफा नहीं होने पर गनेशपुर में बेर की बगिया देख उन्होंने इस तरह की खेती शुरू की. वहां पर किसान बेर की खेती कर रहे थे. उसे देखकर उन्होंने बेर की खेती का मन बना लिया. नसीर अंसारी ने बताया कि उन्होंने 4 बीघा जमीन में अगस्त 2022 में एप्पल बेर व सुदंरी बेर के 260 और अमरूद के 64 पौधे लगाएं. इसमें बहुत ज्यादा लागत भी नहीं आई. उन्होंने 50 से 60 हजार रुपये खर्च कर 260 पौधे लगाए. पहली फसल से ही उनकी लागत निकल गई. एक बार इन पौधों पर पैसे खर्च करने के बाद किसी भी तरह का खर्च नहीं होता. 18 से 20 साल तक लगातार इन पौधों से फल ले सकते हैं और काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

एक पौधो से 10 किलो तक निकल रहा बेरः नसीर ने बताया कि पहली बार में उन्हें एक पौधे से 8 से 10 किलो बेर का फल प्राप्त हुआ. इनमें एप्पल बेर कम से कम 60 से 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती है. एप्पल बेर के पौधे को रोपने से पहले 15 फीट की दूरी पर तीन फीट गड्ढे खोदने होते हैं. उसके बाद उनमें गोबर की खाद डालकर उन्हें तैयार करना पड़ता है. उन गड्ढों में पौधों की रोपाई की जाती है. खास बात यह है कि एप्पल बेर में बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती. बेर पर फल लगने से कुछ समय पूर्व ही चारों तरफ जाल लगा दिया जाता है, ताकि फल उगने पर उन्हें पक्षियों से बचाया जा सके.

नसीर ने बताया कि उन्होंने बेर और अमरुद के पेड़ों के बीच की जगह में बांकला लगाया है. बांकला को बाजारों में बेच रहे हैं. बांकला खत्म होते ही काली तोरिया लगाने की तैयारी है. पौधे तैयार कर रखे हैं. नसीर ने बताया कि बेर और अमरूद की लागत अन्य फसलें आसानी से निकाल देती हैं.

ये भी पढ़ेंः बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक मेरठ का डंका, यहां तैयार हुआ था बाहुबली और गॉडजिला फिल्म का ड्रेस

बेर की खेती के बारे में जानकारी देते नसीर अंसारी

बरेलीः जिले के मीरगंज तहसील क्षेत्र के किसान आधुनिक तरीके से खेती कर लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. पारंपरिक खेती में ज्यादा फायदा नहीं होने के कारण बहुत से किसानों ने आधुनिक तरीके से खेती की शुरुआत की. ऐसे ही किसानों में शामिल हैं नंदगांव के निवासी नसीर अंसारी. जो एप्पल बेर, सुंदरी बेर (jujube farming in Bareilly) और अमरूद की खेती कर 4 बीघा जमीन में 3 लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं.

नसीर अंसारी ने बताया कि गेहूं और धान की फसल से अच्छा मुनाफा नहीं होने पर गनेशपुर में बेर की बगिया देख उन्होंने इस तरह की खेती शुरू की. वहां पर किसान बेर की खेती कर रहे थे. उसे देखकर उन्होंने बेर की खेती का मन बना लिया. नसीर अंसारी ने बताया कि उन्होंने 4 बीघा जमीन में अगस्त 2022 में एप्पल बेर व सुदंरी बेर के 260 और अमरूद के 64 पौधे लगाएं. इसमें बहुत ज्यादा लागत भी नहीं आई. उन्होंने 50 से 60 हजार रुपये खर्च कर 260 पौधे लगाए. पहली फसल से ही उनकी लागत निकल गई. एक बार इन पौधों पर पैसे खर्च करने के बाद किसी भी तरह का खर्च नहीं होता. 18 से 20 साल तक लगातार इन पौधों से फल ले सकते हैं और काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

एक पौधो से 10 किलो तक निकल रहा बेरः नसीर ने बताया कि पहली बार में उन्हें एक पौधे से 8 से 10 किलो बेर का फल प्राप्त हुआ. इनमें एप्पल बेर कम से कम 60 से 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती है. एप्पल बेर के पौधे को रोपने से पहले 15 फीट की दूरी पर तीन फीट गड्ढे खोदने होते हैं. उसके बाद उनमें गोबर की खाद डालकर उन्हें तैयार करना पड़ता है. उन गड्ढों में पौधों की रोपाई की जाती है. खास बात यह है कि एप्पल बेर में बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती. बेर पर फल लगने से कुछ समय पूर्व ही चारों तरफ जाल लगा दिया जाता है, ताकि फल उगने पर उन्हें पक्षियों से बचाया जा सके.

नसीर ने बताया कि उन्होंने बेर और अमरुद के पेड़ों के बीच की जगह में बांकला लगाया है. बांकला को बाजारों में बेच रहे हैं. बांकला खत्म होते ही काली तोरिया लगाने की तैयारी है. पौधे तैयार कर रखे हैं. नसीर ने बताया कि बेर और अमरूद की लागत अन्य फसलें आसानी से निकाल देती हैं.

ये भी पढ़ेंः बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक मेरठ का डंका, यहां तैयार हुआ था बाहुबली और गॉडजिला फिल्म का ड्रेस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.