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ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग में यूपी अव्वल, बाराबंकी का अहम रोल

भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली (Indian Criminal Justice System) के सभी स्तम्भों में आपसी सामंजस्य बनाकर अभियोजन कार्यों को सरल बनाने और उनकी गुणवत्ता बढ़ाने, डेटा और सूचनाओं को डिजिटलाइज्ड करने में उत्तर प्रदेश ने बाजी मारी है. IICJS के तहत ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग में यूपी को पहला स्थान मिला है. इसमें बाराबंकी जिले की खास भूमिका बताई गई है.

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ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग में यूपी अव्वल
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Published : Mar 12, 2022, 10:51 AM IST

बाराबंकी: भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली (Indian Criminal Justice System) के सभी स्तम्भों में आपसी सामंजस्य बनाकर अभियोजन कार्यों (Prosecution) को सरल बनाने और उनकी गुणवत्ता (Quality) बढ़ाने, डेटा और सूचनाओं (Data and Information) को डिजिटलाइज्ड (Digitalised) करने में उत्तर प्रदेश ने बाजी मारी है. Inter Operable Criminal Justice यानी (ICJS) System के तहत ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग (E-Prosecution Portal Feeding) में यूपी को पहला स्थान हासिल हुआ है.

इसके लिए भारत सरकार ने अभियोजन विभाग को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया है. डेटा फीडिंग में बाराबंकी जिले की खास भूमिका को देखते हुए ट्रॉफी को बाराबंकी लाया गया है, ताकि अभियोजन से जुड़े अधिकारियों का उत्साह बढ़ाया जा सके.

ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग में यूपी अव्वल


क्या है ICJS

आईसीजेएस मुख्य आईटी प्रणाली के एकीकरण के लिए एक राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म है, जिसका उपयोग पांच स्तम्भों (पुलिस, अभियोजन, न्यायालय, कारागार और विधि विज्ञान प्रयोगशाला) के जरिए देश में आपराधिक न्याय को लागू करने के लिए किया जाता है. आईसीजेएस प्लेटफॉर्म वाद और न्यायालय प्रबंधन के लिए एक प्रभावी साधन है. इन पांचों स्तम्भों को पोर्टल बनाकर डिजिटलाइज्ड किया जा रहा है. इसमें पुलिस का सीसीटीएनएस, अभियोजन का ई-प्रॉसिक्यूशन, कोर्ट का ई-कोर्ट, कारागार का ई-प्रिजन और विधि विज्ञान प्रयोगशाला का ई-लैब पोर्टल बनाया गया है. उनके डेटा को फीड कर उनको इन्टरलिंक किया जा रहा है. ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग में पूरे भारत में यूपी अव्वल आया है.

ई-प्रॉसिक्यूशन की शुरुआत जनवरी 2019 में हुई थी. अब तक उत्तर प्रदेश में करीब 70 लाख डेटा इंट्री हो चुकी है. बाराबंकी जिले की इंट्री 60 हजार से ज्यादा है. इसमें एफआईआर, केस डायरी, आरोप-पत्र जैसे तमाम दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं. साथ ही वादी और गवाहों के फोन नंबर्स भी फीड किए जाते हैं.

यह भी पढ़ें- 15 मार्च को शपथ ले सकते हैं योगी आदित्यनाथ और उनका मंत्रिमंडल, पीएम मोदी के समारोह में आने की उम्मीद

यह हैं इस प्रणाली के लाभ

आईसीजेएस प्रणाली के डिजिटलाइज्ड होने के कई फायदे होंगे. इसके चलते मामलों की निगरानी आसान होगी. विवेचक और अभियोजन में सामंजस्य बढ़ेगा. साथ ही वादकारी अपने वाद की प्रगति से भी अपडेट रहेंगे. ट्रांसफर हो चुके गवाहों को एसएमएस के जरिये गवाही की तारीख की सूचना भी दी जा सकेगी. इसके अलावा आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी स्तम्भों के बीच त्वरित डेटा हस्तांतरण सुनिश्चित किया जा सकेगा. इससे पूरे देश में किसी वांछित या अपराधी के नाम को क्षेत्रीय भाषाओं में भी खोजने में मदद मिलेगी.

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बाराबंकी: भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली (Indian Criminal Justice System) के सभी स्तम्भों में आपसी सामंजस्य बनाकर अभियोजन कार्यों (Prosecution) को सरल बनाने और उनकी गुणवत्ता (Quality) बढ़ाने, डेटा और सूचनाओं (Data and Information) को डिजिटलाइज्ड (Digitalised) करने में उत्तर प्रदेश ने बाजी मारी है. Inter Operable Criminal Justice यानी (ICJS) System के तहत ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग (E-Prosecution Portal Feeding) में यूपी को पहला स्थान हासिल हुआ है.

इसके लिए भारत सरकार ने अभियोजन विभाग को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया है. डेटा फीडिंग में बाराबंकी जिले की खास भूमिका को देखते हुए ट्रॉफी को बाराबंकी लाया गया है, ताकि अभियोजन से जुड़े अधिकारियों का उत्साह बढ़ाया जा सके.

ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग में यूपी अव्वल


क्या है ICJS

आईसीजेएस मुख्य आईटी प्रणाली के एकीकरण के लिए एक राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म है, जिसका उपयोग पांच स्तम्भों (पुलिस, अभियोजन, न्यायालय, कारागार और विधि विज्ञान प्रयोगशाला) के जरिए देश में आपराधिक न्याय को लागू करने के लिए किया जाता है. आईसीजेएस प्लेटफॉर्म वाद और न्यायालय प्रबंधन के लिए एक प्रभावी साधन है. इन पांचों स्तम्भों को पोर्टल बनाकर डिजिटलाइज्ड किया जा रहा है. इसमें पुलिस का सीसीटीएनएस, अभियोजन का ई-प्रॉसिक्यूशन, कोर्ट का ई-कोर्ट, कारागार का ई-प्रिजन और विधि विज्ञान प्रयोगशाला का ई-लैब पोर्टल बनाया गया है. उनके डेटा को फीड कर उनको इन्टरलिंक किया जा रहा है. ई-प्रॉसिक्यूशन पोर्टल फीडिंग में पूरे भारत में यूपी अव्वल आया है.

ई-प्रॉसिक्यूशन की शुरुआत जनवरी 2019 में हुई थी. अब तक उत्तर प्रदेश में करीब 70 लाख डेटा इंट्री हो चुकी है. बाराबंकी जिले की इंट्री 60 हजार से ज्यादा है. इसमें एफआईआर, केस डायरी, आरोप-पत्र जैसे तमाम दस्तावेज अपलोड किए जाते हैं. साथ ही वादी और गवाहों के फोन नंबर्स भी फीड किए जाते हैं.

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यह हैं इस प्रणाली के लाभ

आईसीजेएस प्रणाली के डिजिटलाइज्ड होने के कई फायदे होंगे. इसके चलते मामलों की निगरानी आसान होगी. विवेचक और अभियोजन में सामंजस्य बढ़ेगा. साथ ही वादकारी अपने वाद की प्रगति से भी अपडेट रहेंगे. ट्रांसफर हो चुके गवाहों को एसएमएस के जरिये गवाही की तारीख की सूचना भी दी जा सकेगी. इसके अलावा आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी स्तम्भों के बीच त्वरित डेटा हस्तांतरण सुनिश्चित किया जा सकेगा. इससे पूरे देश में किसी वांछित या अपराधी के नाम को क्षेत्रीय भाषाओं में भी खोजने में मदद मिलेगी.

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