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बाराबंकी: घाघरा खतरे के निशान के पार, बाढ़ से 70 से अधिक गांव प्रभावित - घाघरा नदी में आई बाढ़

बाराबंकी जिले में घाघरा नदी खतरे के निशान के पार बह रही है. शुक्रवार को आई बाढ़ के कारण करीब 70 गांव प्रभावित हुए हैं. लोगों को बंधे की ओर भेजा जा रहा है. जिला प्रशासन ग्रामीणों के राहत बचाव कार्य में जुटा है.

बाराबंकी जिलाधिकारी.
ऊफान पर है घाघरा नदी.
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Published : Aug 1, 2020, 12:44 PM IST

बाराबंकी: नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान के एक मीटर ऊपर बह रहा है. नदी के बाढ़ से करीब 70 गांव चपेट में आ गए हैं. जलस्तर को देखते हुए जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है. बंधे पर बस रहे लोगों के लिए प्रशासन राहत सामग्री पहुंचाने में जुटा है.

जानकारी देते जिलाधिकारी.

हर वर्ष घाघरा नदी में आने वाली बाढ़ से बाराबंकी जिले के तीन तहसीलों रामसनेहीघाट, सिरौलीगौसपुर और रामनगर के सैकड़ों गांव तबाह हो जाते हैं. नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा ऊफान पर बहने लगती है. बाढ़ के चपेट में कई तटवर्ती गांव आ जाते हैं. तटवर्ती खेतों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं.

पिछले दो दिनों से लगातार घाघरा का जल स्तर बढ़ रहा है. शुक्रवार को घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे किनारे के गांवों में पानी घुस आया. तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग अब सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं. जिला प्रशासन समेत पीएसी बटालियन बचाव कार्य में जुटा है.

प्रशासन ने अलर्ट जारी कर तटवर्ती इलाके के लोगों को बंधे पर जाने की सलाह दी है. ग्रामीणों को बंधे पर बसाया गया है. बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. प्रशासन लगातार तटवर्ती इलाकों में बसने वालों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटा है.

घाघरा नदी का जलस्तर जब 105.070 मीटर हो जाता है, तो किनारे बसने वालों के लिए चेतावनी जारी कर दी जाती है. जलस्तर 106.070 मीटर होने पर खतरे का संकेत होता है. शुक्रवार को जलस्तर इस खतरे के निशान को पार करते हुए 107.046 मीटर पर पहुंच गया.

जिला प्रशासन के मुताबिक सिरौलीगौसपुर, रामनगर और राम सनेहीघाट इन तीन तहसीलों के करीब 70 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं, जिनमें बसने वाली करीब 36,606 ग्रामीण बाढ़ पीड़ित हैं. प्रभावित लोगों की मदद के लिए 9 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं. बचाव कार्य के लिए एक मोटरबोट और 114 नावें लगाई गई हैं. मेडिकल टीम लगातार कैम्प कर रही है.

बाराबंकी: नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान के एक मीटर ऊपर बह रहा है. नदी के बाढ़ से करीब 70 गांव चपेट में आ गए हैं. जलस्तर को देखते हुए जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है. बंधे पर बस रहे लोगों के लिए प्रशासन राहत सामग्री पहुंचाने में जुटा है.

जानकारी देते जिलाधिकारी.

हर वर्ष घाघरा नदी में आने वाली बाढ़ से बाराबंकी जिले के तीन तहसीलों रामसनेहीघाट, सिरौलीगौसपुर और रामनगर के सैकड़ों गांव तबाह हो जाते हैं. नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा ऊफान पर बहने लगती है. बाढ़ के चपेट में कई तटवर्ती गांव आ जाते हैं. तटवर्ती खेतों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं.

पिछले दो दिनों से लगातार घाघरा का जल स्तर बढ़ रहा है. शुक्रवार को घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया, जिससे किनारे के गांवों में पानी घुस आया. तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग अब सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं. जिला प्रशासन समेत पीएसी बटालियन बचाव कार्य में जुटा है.

प्रशासन ने अलर्ट जारी कर तटवर्ती इलाके के लोगों को बंधे पर जाने की सलाह दी है. ग्रामीणों को बंधे पर बसाया गया है. बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. प्रशासन लगातार तटवर्ती इलाकों में बसने वालों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटा है.

घाघरा नदी का जलस्तर जब 105.070 मीटर हो जाता है, तो किनारे बसने वालों के लिए चेतावनी जारी कर दी जाती है. जलस्तर 106.070 मीटर होने पर खतरे का संकेत होता है. शुक्रवार को जलस्तर इस खतरे के निशान को पार करते हुए 107.046 मीटर पर पहुंच गया.

जिला प्रशासन के मुताबिक सिरौलीगौसपुर, रामनगर और राम सनेहीघाट इन तीन तहसीलों के करीब 70 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं, जिनमें बसने वाली करीब 36,606 ग्रामीण बाढ़ पीड़ित हैं. प्रभावित लोगों की मदद के लिए 9 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं. बचाव कार्य के लिए एक मोटरबोट और 114 नावें लगाई गई हैं. मेडिकल टीम लगातार कैम्प कर रही है.

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