बाराबंकी: उर्दू जुबां दिलों को जोड़ती है, इसमें एक कशिश है, जिससे लोग अपनाइयत से आसानी से जुड़ जाते हैं. यह कहना है पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेत्री मोहसिना किदवई का.
मोहसिना शनिवार को बाराबंकी में साझी विरासत के बैनर तले आयोजित एक मुशायरा और कवि सम्मेलन में बोल रहीं थीं. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जंग-ए-आजादी में उर्दू का बड़ा अहम किरदार था. आजादी की लड़ाई में उर्दू शायरों और उर्दू अदीबों का बड़ा योगदान था. साथ ही कहा कि उर्दू और हिंदी दो बहनें हैं.
राजकीय इंटर कॉलेज के ऑडिटोरियम में नगर की एक संस्था साझी विरासत द्वारा आयोजित गंगा-जमुनी कवि सम्मेलन और मुशायरे का उद्घाटन करने पहुंची मोहसिना किदवई सम्बोधन के दौरान भावुक हो गईं. काफी अरसे बाद गृह जनपद आईं मोहसिना ने इस तरह के आयोजनों की सराहना भी की.
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कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री ने कहा कि इससे आपस में मोहब्बत और भाईचारा बढ़ता है. उन्होंने कहा कि बाराबंकी हमेशा से ही साझी विरासत की मिसाल रहा है. उन्होंने लोगों से अपील की कि इस विरासत को हमेशा बचाए रखना है.