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बाराबंकी : किशोरियों के पोषण के लिए स्वास्थ्य विभाग और आंगनबाड़ी ने चलाया अभियान - आयरन की कमी

बाराबंकी के 353 केंद्रों पर 15 दिनों का कुपोषण जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम यह कोशिश कर रही है कि बच्चियों और किशोरियों में कुपोषण की समस्या खासकर आयरन की कमी को दूर किया जाए.

बच्ची का वजन तौलती एएनएम कार्यकर्ता
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Published : Mar 9, 2019, 11:54 PM IST

बाराबंकी : 8 मार्च से 22 मार्च तक बच्चियों और किशोरियों में कुपोषण खत्म करने का 15 दिनों का अभियान चलाया जा रहा है. शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की एएनएम कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी की कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से दूसरे दिन अभियान चलाकर अपने-अपने क्षेत्र की बच्चियों और किशोरियों की जांच की. जिले के 353 केंद्रों पर यह कार्यक्रम चल रहा है.

एएनएम कार्यकर्ता ने दी जानकारी

बाराबंकी के जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम यह कोशिश कर रही है कि बच्चियों और किशोरियों में कुपोषण की समस्या खासकर आयरन की कमी इत्यादि को दूर किया जाए, जिससे कि वह स्वस्थ रहें. बड़ी संख्या में लोगों को यह मालूम ही नहीं होता है कि उनके शरीर में आयरन की कमी है. इसी समस्या से निपटने और पहले से तैयार रहने के लिए ही इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

कुपोषण मुक्त अभियान के इस पखवाड़े में खून की जांच करके यह देखा जा रहा है कि जिनके रक्त नमूने में 9 मिलीग्राम से कम हिमोग्लोबिन हैं, उन्हें आयरन की गोली दी जा रही है. ऐसी बच्चियों और किशोरियों को यह भी बताया जा रहा है कि वह कैसे अपने आसपास से ही आयरन को प्राकृतिक रूप से प्राप्त कर सकती हैं? सभी सेंटर पर मौजूद एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सभी को यह सलाह भी दे रही हैं कि सब्जी इत्यादि पकाते वक्त लोहे की कड़ाही का प्रयोग करें, जिससे उन्हें प्राकृतिक रूप से आयरन मिल सकता है.

क्या कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी का
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमेश चंद्र का कहना है कि इस कार्यक्रम में पहली बार रक्त जांच करके उन्हें उचित सलाह देने का काम इतने बड़े स्तर पर किया जा रहा है. इस प्रकार की योजनाओं से निश्चित रूप से छोटी बच्चियों और किशोरियों में आयरन और कैल्शियम इत्यादि की कमी को दूर किया जा सकता है और जागरूक किया जा सकता है. इस प्रकार की जागरूकता के माध्यम से उन्हें आने वाली समस्याओं से दूर रखा जा सकता है, जिससे वह स्वस्थ भारत का निर्माण करने में सहायक हो.

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कुपोषण को तो दूर करना है ही, साथ ही आने वाले समय में किसी भी प्रकार का कुपोषण न हो, इसके लिए जागरूक करना भी है.

बाराबंकी : 8 मार्च से 22 मार्च तक बच्चियों और किशोरियों में कुपोषण खत्म करने का 15 दिनों का अभियान चलाया जा रहा है. शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की एएनएम कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी की कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से दूसरे दिन अभियान चलाकर अपने-अपने क्षेत्र की बच्चियों और किशोरियों की जांच की. जिले के 353 केंद्रों पर यह कार्यक्रम चल रहा है.

एएनएम कार्यकर्ता ने दी जानकारी

बाराबंकी के जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम यह कोशिश कर रही है कि बच्चियों और किशोरियों में कुपोषण की समस्या खासकर आयरन की कमी इत्यादि को दूर किया जाए, जिससे कि वह स्वस्थ रहें. बड़ी संख्या में लोगों को यह मालूम ही नहीं होता है कि उनके शरीर में आयरन की कमी है. इसी समस्या से निपटने और पहले से तैयार रहने के लिए ही इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.

कुपोषण मुक्त अभियान के इस पखवाड़े में खून की जांच करके यह देखा जा रहा है कि जिनके रक्त नमूने में 9 मिलीग्राम से कम हिमोग्लोबिन हैं, उन्हें आयरन की गोली दी जा रही है. ऐसी बच्चियों और किशोरियों को यह भी बताया जा रहा है कि वह कैसे अपने आसपास से ही आयरन को प्राकृतिक रूप से प्राप्त कर सकती हैं? सभी सेंटर पर मौजूद एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सभी को यह सलाह भी दे रही हैं कि सब्जी इत्यादि पकाते वक्त लोहे की कड़ाही का प्रयोग करें, जिससे उन्हें प्राकृतिक रूप से आयरन मिल सकता है.

क्या कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी का
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमेश चंद्र का कहना है कि इस कार्यक्रम में पहली बार रक्त जांच करके उन्हें उचित सलाह देने का काम इतने बड़े स्तर पर किया जा रहा है. इस प्रकार की योजनाओं से निश्चित रूप से छोटी बच्चियों और किशोरियों में आयरन और कैल्शियम इत्यादि की कमी को दूर किया जा सकता है और जागरूक किया जा सकता है. इस प्रकार की जागरूकता के माध्यम से उन्हें आने वाली समस्याओं से दूर रखा जा सकता है, जिससे वह स्वस्थ भारत का निर्माण करने में सहायक हो.

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कुपोषण को तो दूर करना है ही, साथ ही आने वाले समय में किसी भी प्रकार का कुपोषण न हो, इसके लिए जागरूक करना भी है.

Intro: बाराबंकी ,09 मार्च | किशोरियों में कुपोषण की समस्या को समाप्त करने के लिए अभियान चलाया. आज स्वास्थ्य विभाग की एएनएम कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी की कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से दूसरे दिन अभियान चलाकर अपने अपने क्षेत्र की किशोरियों की जांच की. इस समय 8 मार्च से 22 मार्च तक किशोरियों में कुपोषण मुक्त करने का 15 दिनों का अभियान चलाया जा रहा है. हम इस अभियान के दूसरे दिन या देखने पहुंचे की इसमें लोग कितनी संख्या में आ रहे हैं . हमने पाया कि आज दूसरे दिन भी यह कार्यक्रम उत्साह के साथ चल रहा है और इसमें बहुत सी किशोरी बालिका पहुंची और उन्होंने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया . जिले के 353 केंद्रों पर यह कार्यक्रम चल रहा है .इसके माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य संबंधित टिप्स दिए जा रहे हैं.


Body:बाराबंकी के जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम यह कोशिश कर रही है कि किशोरियों में कुपोषण की समस्या खासकर आयरन की कमी इत्यादि को दूर किया जाए जिससे कि वह स्वस्थ रहे. बड़ी संख्या में लोगों को यह मालूम ही नहीं होता है कि उनके शरीर में आयरन की कमी है. कभी-कभी लोगों मैं इस जानकारी के अभाव के कारण आने वाले समय में उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसी समस्या से निपटने के लिए और पहले से तैयार रहने के लिए ही इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कुपोषण मुक्त अभियान के इस पखवाड़े में खून की जांच करके यह देखा जा रहा है कि जिनके रक्त नमूने में 9 मिलीग्राम से कम हिमोग्लोबिन है उन्हें आयरन की गोली दी जा रही हैं. ऐसी किशोरियों को यह भी बताया जा रहा है कि वह कैसे अपने आसपास से ही आयरन को प्राकृतिक रूप से प्राप्त कर सकती है. सभी सेंटर पर मौजूद एएनएम की कार्यकर्ता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सभी को यह सलाह भी दे रही है कि सब्जी इत्यादि पकाते वक्त लोहे की कड़ाही का प्रयोग करें जिससे उन्हें प्राकृतिक रूप से आयल मिल सकती है. जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रमेश चंद्र का कहना है कि इस कार्यक्रम में पहली बार रक्त जांच करके उन्हें उचित सलाह देने का काम इतने बड़े स्तर पर किया जा रहा है. इस प्रकार की योजनाओं से निश्चित रूप से छोटी बच्चियों एवं किशोरियों में आयरन की कमी और कैल्शियम इत्यादि की कमी को दूर किया जा सकता है और जागरूक किया जा सकता है. इस प्रकार की जागरूकता के माध्यम से उन्हें आने वाली समस्याओं से दूर रखा जा सकता है जिससे वह स्वस्थ भारत का निर्माण करने में सहायक हो.


Conclusion:कुपोषण मुक्त करने के लिए आयोजित इस पखवाड़े में स्वास्थ्य विभाग ए एन एम कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा यह आयोजन चलाया जा रहा है. 8 मार्च से 22 मार्च तक चलने वाले इस कार्यक्रम के द्वारा यह लक्ष्य रखा गया है, कि किसी भी मोहल्ले में गांव में कोई किशोरी या बच्ची ना छूटे जिसे कुपोषण का दंश झेलना पड़े. स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए यह कोशिश की जा रही है . बेटियां पढ़ें यह तो जरूरी है ही लेकिन वह स्वस्थ भी रहे यह उससे भी ज्यादा जरूरी है. स्वस्थ रहेंगी बेटियां तभी तो पढ़ लिख कर देश के निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगी. इस योजना से जुड़े हुए सभी कार्यकर्ता एवं अधिकारी बहुत ही मेहनत के साथ इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कुपोषण को तो दूर करना ही है साथ ही आने वाले समय में किसी भी प्रकार का कुपोषण ना हो इसके लिए जागरूक करना भी है. निश्चित तौर पर इस प्रकार के कार्यक्रमों की सराहना होनी चाहिए और ऐसे कार्यक्रम होते ही रहने चाहिए जिससे कभी भी किसी भी बच्चे को कुपोषण का शिकार ना होना पड़े.




bite -
1- बीनू देवी , ANM स्वास्थ्य कार्यकर्ता
2- अभिलाषा, एएनएम स्वास्थ्य कार्यकर्ता
3-डा. रमेश चंद्र, मुख्य चिकित्सा अधिकारी


रिपोर्ट ,-आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी ,96284 76907
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