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मंत्री जी सुनिए..दिल के दर्द वाले किसको दिखाएं अपना दर्द - problem of cardiologist

पिछले पांच महीने से बाराबंकी के सरकारी जिला अस्पताल कार्डियोलोजिस्ट की समस्या से जूझ रहा है. ऐसे में हृदय रोग के मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तमाम लिखा-पढ़ी के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

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सरकारी जिला अस्पताल
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Published : May 29, 2022, 4:00 PM IST

बाराबंकी : पिछले पांच महीने से बाराबंकी का जिला अस्पताल हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलोजिस्ट-cardiologist) की समस्या से जूझ रहा है. ऐसे में हृदय रोग के मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तमाम लिखा-पढ़ी के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

बाराबंकी का सरकारी जिला अस्पताल पिछले पांच महीनों से यहां के हृदय रोग विशेषज्ञ के कमरे में और जांच मशीनों वाले कमरों में ताला लटक रहा है. दरअसल 31 दिसम्बर को हृदय रोग विशेषज्ञ के रिटायर हो जाने के बाद से यहां किसी भी विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हो सकी. ऐसे में दिल के मरीजों को या तो बैरंग वापस होना पड़ रहा है या फिर उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया जाता है.

कार्डियोलोजिस्ट की समस्या से जूझ रहा है अस्पताल

इसे भी पढ़ेंः भाजपा सांसद वरुण गांधी ने फिर साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा- रेलवे में पद समाप्‍त करना निजीकरण की तरफ बढ़ता कदम

अस्पताल प्रशासन भी इस बड़ी समस्या को लेकर खास गम्भीर नहीं है. यही वजह है कि अब तक निदेशालय को तीन बार पत्र भेजा जा चुका है. किसी भी कार्डियोलोजिस्ट की तैनाती नही हो सकी. जाने-अनजाने अस्पताल आने वाले हृदय रोग के मरीजों को ओपीडी में फिजिशियन देखकर दवाइयां लिख देते हैं लेकिन गंभीर मरीजों और आकस्मिक सेवा में आने वाले मरीजों को रेफर कर दिया जाता है.

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ब्रजेश कुमार ने बताया कि हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलोजिस्ट) न होने से एक बड़ी समस्या है. गंभीर मरीजों का इलाज नहीं हो पाता. कम गंभीर मरीजों को फिजिशियन देख लेते हैं. उन्होंने बताया कि हृदय रोग विशेषज्ञ-कार्डियोलोजिस्ट न होने से हृदय रोग के इलाज में काम आने वाली करोड़ों की मशीनें भी प्रयोग न किए जाने से खराब हो रही हैं. सीएमएस ने बताया कि इस समस्या को लेकर शासन को कई बार लिखा गया है.

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बाराबंकी : पिछले पांच महीने से बाराबंकी का जिला अस्पताल हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलोजिस्ट-cardiologist) की समस्या से जूझ रहा है. ऐसे में हृदय रोग के मरीजों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तमाम लिखा-पढ़ी के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

बाराबंकी का सरकारी जिला अस्पताल पिछले पांच महीनों से यहां के हृदय रोग विशेषज्ञ के कमरे में और जांच मशीनों वाले कमरों में ताला लटक रहा है. दरअसल 31 दिसम्बर को हृदय रोग विशेषज्ञ के रिटायर हो जाने के बाद से यहां किसी भी विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हो सकी. ऐसे में दिल के मरीजों को या तो बैरंग वापस होना पड़ रहा है या फिर उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया जाता है.

कार्डियोलोजिस्ट की समस्या से जूझ रहा है अस्पताल

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अस्पताल प्रशासन भी इस बड़ी समस्या को लेकर खास गम्भीर नहीं है. यही वजह है कि अब तक निदेशालय को तीन बार पत्र भेजा जा चुका है. किसी भी कार्डियोलोजिस्ट की तैनाती नही हो सकी. जाने-अनजाने अस्पताल आने वाले हृदय रोग के मरीजों को ओपीडी में फिजिशियन देखकर दवाइयां लिख देते हैं लेकिन गंभीर मरीजों और आकस्मिक सेवा में आने वाले मरीजों को रेफर कर दिया जाता है.

जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ब्रजेश कुमार ने बताया कि हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलोजिस्ट) न होने से एक बड़ी समस्या है. गंभीर मरीजों का इलाज नहीं हो पाता. कम गंभीर मरीजों को फिजिशियन देख लेते हैं. उन्होंने बताया कि हृदय रोग विशेषज्ञ-कार्डियोलोजिस्ट न होने से हृदय रोग के इलाज में काम आने वाली करोड़ों की मशीनें भी प्रयोग न किए जाने से खराब हो रही हैं. सीएमएस ने बताया कि इस समस्या को लेकर शासन को कई बार लिखा गया है.

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