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बाराबंकी: बैंकों की लापरवाही से कर्ज में डूबे किसान की मौत, परिजनों ने लगाया आरोप

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Published : Mar 7, 2020, 9:56 AM IST

यूपी के बाराबंकी के कोठी थाना क्षेत्र के मवैया मजरे सादुल्लापुर में 28 फरवरी को बैंक कर्ज के चलते हुए किसान की मौत मामले में बैंकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. शुक्रवार को इस बड़ी लापरवाही पर कार्रवाई के लिए पीड़ित किसान के परिजनों समेत ने एडीएम से गुहार लगाई. परिजनों का आरोप है कि राजस्व कर्मियों की लापरवाही से किसान की मौत हुई है.

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बैंकों की लापरवाही से कर्ज में डूबे किसान की मौत.

बाराबंकी: जिले में बीती 28 फरवरी को बैंक कर्ज के चलते हुए किसान की मौत मामले में बैंकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. हैरानी की बात तो यह कि एक बैंक का लोन अदा हुए बिना तीन और बैंकों ने अलग-अलग लोन कैसे दे दिया. शुक्रवार को इस बड़ी लापरवाही पर कार्रवाई के लिए पीड़ित किसान के परिजनों समेत किसान यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने एडीएम से गुहार लगाई. मामले की गंभीरता को देखते हुए एडीएम ने संबंधित बैंकों के अधिकारी एलडीएम और हैदर गढ़ एसडीएम तहसीलदार समेत तमाम अधिकारियों को बुलाकर पड़ताल शुरू की. घंटों चली वार्ता के बाद एडीएम ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की बात कही है.

बैंकों की लापरवाही से कर्ज में डूबे किसान की मौत.
कोठी थाना क्षेत्र के मवैया मजरे सादुल्लापुर के रहने वाले जगजीवन वर्मा के घर बीती 28 फरवरी की शाम हैदरगढ़ तहसील के नायब तहसीलदार और संग्रह अमीन पहुंचे थे. इन्होंने जगजीवन से बैंक कर्ज अदा करने की बात कही थी. किसान जगजीवन द्वारा असमर्थता जताई गई तो इन लोगों ने उसे अपनी गाड़ी में बैठा लिया और थाना कोठी लाकर पुलिस के हवाले कर दिया. थोड़ी देर बाद कोठी पुलिस ने जगजीवन के घर उसकी तबीयत खराब होने की खबर भेजी. परिजनों के थाने पर पहुंचने पर नायब तहसीलदार और अमीन सूचना पाकर लौटे और सब ने मिलकर जगजीवन को सीएचसी में भर्ती कराया.

इस दौरान नायब तहसीलदार ने बताया कि जगजीवन ने जहर खा लिया है. हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां से लखनऊ भेज दिया गया. अगले दिन यानी 29 फरवरी को किसान जगजीवन की मौत हो गई थी. परिजनों ने इसके लिए सीधे तौर पर नायब तहसीलदार और अमीन को जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. इस मामले में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह थी कि मृतक किसान का तीन बैंकों से 40 लाख रुपये कर्ज था, जबकि केवल एक ही बैंक से लोन हो सकता है. दूसरे ये कि जगजीवन की तबियत खराब होने पर अधिकारी उसे छोड़कर चले गए थे.

इसे भी पढ़ें-बाराबंकी: जिले में चीन और थाईलैंड से आए हैं 18 लोग, सभी पर है स्वास्थ्य विभाग की नजर

बीती 29 फरवरी को किसानों ने हंगामा किया था उस दिन प्रशासन ने कार्रवाई करने की बात कही थी. शुक्रवार को इसी बाबत किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने एडीएम से गुहार लगाई. मामले की गम्भीरता को देखते हुए सम्बंधित बैंकों के अधिकारियों, लीड बैंक के प्रबंधक समेत तमाम राजस्व कर्मियों के साथ घण्टों वार्ता हुई, जिसमें बैंकों की लापरवाही उजागर हुई.

पीड़ित किसान के परिजनों का आरोप है कि राजस्व कर्मियों की लापरवाही से किसान की मौत हुई है. साथ ही मृतक किसान जगजीवन की जानकारी के बगैर उसके नाम से बैंक कर्मियों की मिलीभगत से किसी ने कर्ज लेकर धोखाधड़ी की है. ऐसे में वह किसी भी बैंक को कर्ज अदा नहीं करेंगे. किसान यूनियन इनके साथ है.

बाराबंकी: जिले में बीती 28 फरवरी को बैंक कर्ज के चलते हुए किसान की मौत मामले में बैंकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. हैरानी की बात तो यह कि एक बैंक का लोन अदा हुए बिना तीन और बैंकों ने अलग-अलग लोन कैसे दे दिया. शुक्रवार को इस बड़ी लापरवाही पर कार्रवाई के लिए पीड़ित किसान के परिजनों समेत किसान यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने एडीएम से गुहार लगाई. मामले की गंभीरता को देखते हुए एडीएम ने संबंधित बैंकों के अधिकारी एलडीएम और हैदर गढ़ एसडीएम तहसीलदार समेत तमाम अधिकारियों को बुलाकर पड़ताल शुरू की. घंटों चली वार्ता के बाद एडीएम ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की बात कही है.

बैंकों की लापरवाही से कर्ज में डूबे किसान की मौत.
कोठी थाना क्षेत्र के मवैया मजरे सादुल्लापुर के रहने वाले जगजीवन वर्मा के घर बीती 28 फरवरी की शाम हैदरगढ़ तहसील के नायब तहसीलदार और संग्रह अमीन पहुंचे थे. इन्होंने जगजीवन से बैंक कर्ज अदा करने की बात कही थी. किसान जगजीवन द्वारा असमर्थता जताई गई तो इन लोगों ने उसे अपनी गाड़ी में बैठा लिया और थाना कोठी लाकर पुलिस के हवाले कर दिया. थोड़ी देर बाद कोठी पुलिस ने जगजीवन के घर उसकी तबीयत खराब होने की खबर भेजी. परिजनों के थाने पर पहुंचने पर नायब तहसीलदार और अमीन सूचना पाकर लौटे और सब ने मिलकर जगजीवन को सीएचसी में भर्ती कराया.

इस दौरान नायब तहसीलदार ने बताया कि जगजीवन ने जहर खा लिया है. हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां से लखनऊ भेज दिया गया. अगले दिन यानी 29 फरवरी को किसान जगजीवन की मौत हो गई थी. परिजनों ने इसके लिए सीधे तौर पर नायब तहसीलदार और अमीन को जिम्मेदार ठहराते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. इस मामले में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह थी कि मृतक किसान का तीन बैंकों से 40 लाख रुपये कर्ज था, जबकि केवल एक ही बैंक से लोन हो सकता है. दूसरे ये कि जगजीवन की तबियत खराब होने पर अधिकारी उसे छोड़कर चले गए थे.

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बीती 29 फरवरी को किसानों ने हंगामा किया था उस दिन प्रशासन ने कार्रवाई करने की बात कही थी. शुक्रवार को इसी बाबत किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने एडीएम से गुहार लगाई. मामले की गम्भीरता को देखते हुए सम्बंधित बैंकों के अधिकारियों, लीड बैंक के प्रबंधक समेत तमाम राजस्व कर्मियों के साथ घण्टों वार्ता हुई, जिसमें बैंकों की लापरवाही उजागर हुई.

पीड़ित किसान के परिजनों का आरोप है कि राजस्व कर्मियों की लापरवाही से किसान की मौत हुई है. साथ ही मृतक किसान जगजीवन की जानकारी के बगैर उसके नाम से बैंक कर्मियों की मिलीभगत से किसी ने कर्ज लेकर धोखाधड़ी की है. ऐसे में वह किसी भी बैंक को कर्ज अदा नहीं करेंगे. किसान यूनियन इनके साथ है.

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