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बाराबंकी: बादल फटने का हादसा याद कर सिहर उठ रहे हैं अमरनाथ दर्शन को गए श्रद्धालु, अब ऐसी है स्थिति - अमरनाथ में फटा बादल

अमरनाथ धाम की गुफा के पास शुक्रवार शाम को बादल फटने से 15 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो गई. बाराबंकी से बाबा के दर्शन करने गए दर्जनों श्रद्धालु हादसे के बाद वहां फंस गए. हालांकि हादसे के 24 घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी उनकी आंखों के सामने कभी न भूलने वाला मंजर है.

बाराबंकी.
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Published : Jul 10, 2022, 11:15 AM IST

बाराबंकी: अमरनाथ धाम की गुफा के पास शुक्रवार शाम को बादल फटने से हुए भीषण हादसे को याद कर बाराबंकी के दर्जनों श्रद्धालु सिहर उठते हैं. फोन पर अपने परिजनों को वहां के हालात बताते हुए कहते हैं कि ये बाबा की ही कृपा थी जो वे आज सही सलामत हैं. हालांकि हादसे के 24 घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अभी भी उनकी आंखों के सामने कभी न भूलने वाला मंजर नजर आ रहा है.

दरअसल, पिछले कई सालों से बाराबंकी शहर के रहने वाले कैलाश शर्मा अमरनाथ के बालटाल में लंगर लगाकर भंडारे का आयोजन करते आ रहे हैं. बाबा बर्फानीश्वर सेवा समिति के बैनर तले कैलाश शर्मा अपनी 24 सदस्यीय टीम के साथ बालटाल पहुंचते हैं और लंगर चलाते हैं. अमरनाथ धाम दर्शन को जाने वाले श्रद्धालु इनके लंगर से गुजरते हैं. जहां लोग रुककर अपना सामान रखते हैं, विश्राम करते हैं और भोजन-पानी के बाद फिर चढ़ाई चढ़ते हुए बाबा अमरनाथ दर्शन को पहुंचते हैं. हर बार की तरह इस बार भी शहर के घण्टाघर, सत्यप्रेमी नगर, रसूलपुर और धनोखर चौराहे के अलावा उधौली और छेदनगर के करीब 70 श्रद्धालु दर्शन के लिए गए थे, जो कैलाश शर्मा के लंगर पर पहुंचे थे. उसके बाद ये लोग दर्शन के लिए निकल गए थे. अमरनाथ शर्मा ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि तमाम श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे. जबकि कुछ लोग दर्शन नहीं कर पाए थे जब ये हादसा हुआ.

बाबा बर्फानीश्वर सेवा समिति के सेवादार शहर के रहने वाले सुनील ने फोन पर बताया कि उनके लंगर से गुफा महज 8 किमी की दूरी पर है. शुक्रवार को सेवादारों की उनकी टीम अपने लंगर पर मौजूद थी.उन्होंने देखा कि गुफा की तरफ करीब साढ़े 5 बजे अचानक मौसम खराब हो गया और घने बादल छा गए. अचानक तेज आवाज के साथ धड़ाम की आवाज आई. पता चला कि बादल फट गया है. शहर के ही तेज नरायन सोनी, रामप्रकाश, मनोज और घनश्याम ने बताया कि वे लोग अपने जत्थे के साथ हादसे वाली जगह से कुछ दूरी पर थे. अचानक तेज आवाज के साथ बादल फटा और सैलाब आ गया. पानी का बहाव इतना तेज था कि देखते ही देखते कई लंगर उखड़ गए और पानी के बहाव में बह गए. तमाम श्रद्धालु भी उसी में बह गए. लोगों ने अपने सामान की फिक्र छोड़ किसी तरह अपने को बचाया. वे लोग भी फंस गए, लेकिन बाबा का आशीर्वाद रहा कि वे सुरक्षित हैं. कई लोगों का सामान बह गया. सेना ने रेस्क्यू कर लोगों को बचाया. सेना की मदद के बाद करीब 30 घंटे बाद वे लोग सुरक्षित अपने लंगर पर पहुंचे.

सेवादार सुनील ने बताया कि शुक्रवार को यात्रा तेज थी जिसमें जबरदस्त भीड़ थी. पहलगाम और बालटाल की तरफ से जत्थे गुफा की तरफ पहुंच रहे थे. अब हालात काबू में हैं. प्रशासन श्रद्धालुओं को सुरक्षित कर उन्हें वापस कर रहा है. सुनील ने बताया कि बाराबंकी से आए कुछ लोग दर्शन नहीं कर सके. कैलाश शर्मा ने बताया कि उनके लंगर से जाने वाले 70 लोगों में से 58 लोग वापस आ गए थे, लेकिन 12 लोगों का कोई पता नहीं चल पा रहा था. शनिवार को उनकी लोकेशन मिल गई है और वे लंगर पर पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके लंगर से जाने वाले सभी श्रद्धालु सुरक्षित हैं.

इसे भी पढे़ं- 43 दिन चलेगी अमरनाथ यात्रा, 20 हजार श्रद्धालु रोज कर सकेंगे दर्शन

बाराबंकी: अमरनाथ धाम की गुफा के पास शुक्रवार शाम को बादल फटने से हुए भीषण हादसे को याद कर बाराबंकी के दर्जनों श्रद्धालु सिहर उठते हैं. फोन पर अपने परिजनों को वहां के हालात बताते हुए कहते हैं कि ये बाबा की ही कृपा थी जो वे आज सही सलामत हैं. हालांकि हादसे के 24 घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अभी भी उनकी आंखों के सामने कभी न भूलने वाला मंजर नजर आ रहा है.

दरअसल, पिछले कई सालों से बाराबंकी शहर के रहने वाले कैलाश शर्मा अमरनाथ के बालटाल में लंगर लगाकर भंडारे का आयोजन करते आ रहे हैं. बाबा बर्फानीश्वर सेवा समिति के बैनर तले कैलाश शर्मा अपनी 24 सदस्यीय टीम के साथ बालटाल पहुंचते हैं और लंगर चलाते हैं. अमरनाथ धाम दर्शन को जाने वाले श्रद्धालु इनके लंगर से गुजरते हैं. जहां लोग रुककर अपना सामान रखते हैं, विश्राम करते हैं और भोजन-पानी के बाद फिर चढ़ाई चढ़ते हुए बाबा अमरनाथ दर्शन को पहुंचते हैं. हर बार की तरह इस बार भी शहर के घण्टाघर, सत्यप्रेमी नगर, रसूलपुर और धनोखर चौराहे के अलावा उधौली और छेदनगर के करीब 70 श्रद्धालु दर्शन के लिए गए थे, जो कैलाश शर्मा के लंगर पर पहुंचे थे. उसके बाद ये लोग दर्शन के लिए निकल गए थे. अमरनाथ शर्मा ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि तमाम श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे. जबकि कुछ लोग दर्शन नहीं कर पाए थे जब ये हादसा हुआ.

बाबा बर्फानीश्वर सेवा समिति के सेवादार शहर के रहने वाले सुनील ने फोन पर बताया कि उनके लंगर से गुफा महज 8 किमी की दूरी पर है. शुक्रवार को सेवादारों की उनकी टीम अपने लंगर पर मौजूद थी.उन्होंने देखा कि गुफा की तरफ करीब साढ़े 5 बजे अचानक मौसम खराब हो गया और घने बादल छा गए. अचानक तेज आवाज के साथ धड़ाम की आवाज आई. पता चला कि बादल फट गया है. शहर के ही तेज नरायन सोनी, रामप्रकाश, मनोज और घनश्याम ने बताया कि वे लोग अपने जत्थे के साथ हादसे वाली जगह से कुछ दूरी पर थे. अचानक तेज आवाज के साथ बादल फटा और सैलाब आ गया. पानी का बहाव इतना तेज था कि देखते ही देखते कई लंगर उखड़ गए और पानी के बहाव में बह गए. तमाम श्रद्धालु भी उसी में बह गए. लोगों ने अपने सामान की फिक्र छोड़ किसी तरह अपने को बचाया. वे लोग भी फंस गए, लेकिन बाबा का आशीर्वाद रहा कि वे सुरक्षित हैं. कई लोगों का सामान बह गया. सेना ने रेस्क्यू कर लोगों को बचाया. सेना की मदद के बाद करीब 30 घंटे बाद वे लोग सुरक्षित अपने लंगर पर पहुंचे.

सेवादार सुनील ने बताया कि शुक्रवार को यात्रा तेज थी जिसमें जबरदस्त भीड़ थी. पहलगाम और बालटाल की तरफ से जत्थे गुफा की तरफ पहुंच रहे थे. अब हालात काबू में हैं. प्रशासन श्रद्धालुओं को सुरक्षित कर उन्हें वापस कर रहा है. सुनील ने बताया कि बाराबंकी से आए कुछ लोग दर्शन नहीं कर सके. कैलाश शर्मा ने बताया कि उनके लंगर से जाने वाले 70 लोगों में से 58 लोग वापस आ गए थे, लेकिन 12 लोगों का कोई पता नहीं चल पा रहा था. शनिवार को उनकी लोकेशन मिल गई है और वे लंगर पर पहुंच रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके लंगर से जाने वाले सभी श्रद्धालु सुरक्षित हैं.

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