बांदा: बुंदेलखंड के बांदा में अपने द्वारा ठुकराए या जिनका अपना कोई नहीं ऐसी बुजुर्गों को सहारा देने के लिए संचालित एकलौता वृद्ध आश्रम बुजुर्गों का सहारा नहीं बन पा रहा है. प्रचार-प्रसार के अभाव में यहां क्षमता के अनुरूप वृद्धजन नहीं है. समाज कल्याण विभाग की देखरेख में संचालित इस वृद्ध आश्रम में डेढ़ सौ लोगों के रहने की क्षमता है, जबकि यहां सिर्फ 50 बुजुर्ग ही हैं. अब विभाग द्वारा इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा.
- बांदा शहर के बाहर मेडिकल कॉलेज रोड पर सन् 2015 से एक वृद्धा आश्रम संचालित है.
- इस वृद्ध आश्रम में 150 वृद्धों के रहने की क्षमता है, जबकि यहां पर सिर्फ 50 बुजुर्ग ही हैं.
- प्रचार-प्रसार के अभाव में लोगों को इस वृद्ध आश्रम के बारे में जानकारी नहीं है.
- इस कारण से यहां पर क्षमता के अनुरूप एक तिहाई बुजुर्ग ही है.
- समाज कल्याण विभाग की देखरेख में लखनऊ की एक संस्था इस वृद्धाश्रम का संचालन कर रही है.
- प्रचार-प्रसार के अभाव में यह वृद्ध आश्रम अपनों द्वारा ठुकराए या जिनका अपना कोई नहीं है, ऐसे बुजुर्गों का सहारा नहीं बन पा रहा है.
- व्यवस्थाओं को लेकर यहां रह रहे बुजुर्गों ने बताया कि सभी व्यवस्थाएं अच्छी हैं. यहां पर किसी भी चीज की कोई कमी नहीं हैं.
यहां पर क्षमता के अनुरूप बुजुर्गों नहीं है. दूरदराज के क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार जितना होना चाहिए उतना नहीं हो सका है. जिसके चलते यहां पर बुजुर्गों की कमी है, लेकिन अब इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा और यह वृद्ध आश्रम बुजुर्गों का सहारा बनेगा.
-श्याम स्वरूप त्रिवेदी, कार्यक्रम प्रबंधक
समय-समय पर यहां पर निरीक्षण करती रहती हूं और अभी हाल ही में जब निरीक्षण किया था तो 49 वृद्ध यहां उन्हें मिले थे. प्रचार-प्रसार करवाया जाता है .अभी और व्यापक प्रचार-प्रसार करवाया जाएगा.
-गीता सिंह, समाज कल्याण अधिकारी