बलरामपुर: जिले के उतरौला तहसील में रहने वाली जोया खान मुस्लिम होने के बावजूद अक्टूबर 2018 में शांतिकुंज हरिद्वार में आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया. अगस्त 2019 में परीक्षा का रिजल्ट आया तो उसने जिला में प्रथम स्थान हासिल किया. जोया इन सब के पीछे अपने माता-पिता के दिए संस्कार और समाज से मिल रहे सामाजिक सद्भाव को जिम्मेदार मानती हैं.
14 साल की जोया खान की पसंदीदा भाषा संस्कृत है:
- जोया खान उतरौला के स्कॉलर्स एकेडमी इंटर कॉलेज की कक्षा सात की छात्रा हैं.
- भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया और जिले में प्रथम स्थान हासिल किया.
- समाज को संदेश दिया है कि शिक्षा और सामाजिक सद्भाव के ज्ञान के लिए धर्म, जाति और मजहब का कोई मतलब नहीं होता.
- जोया संस्कृत को न केवल धाराप्रवाह लिख लेती हैं बल्कि बोलने का भी लगातार प्रयास जारी है.
- जोया को संस्कृत का श्लोक "त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव" बहुत पसंद है.
- उन्हें गर्व है कि वह भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई हैं.
हमें सभी धर्मों की किताबों को पढ़ना चाहिए. इन किताबों से अच्छी शिक्षा, बड़ों का सम्मान और देश के प्रति वफादार बने रहने की सीख मिलती है. विश्व के तमाम देशों में तमाम तरह की बोलियां बोली जाती हैं और विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं, लेकिन वह हमें सिर्फ भारतीय कहकर संबोधित करते हैं. इसलिए हमें सबसे पहले भारतीय बनना चाहिए. सभी को कम्युनल माइंडसेट छोड़कर भारतीय संस्कृति की तरफ रुख करना चाहिए, इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता.
-जोया खान, टॉपर छात्राउन्होंने बच्चों को हिंदू-मुस्लिम से ऊपर उठाकर तालीम दी है, उनकी इच्छा है कि उनके बच्चे एक अच्छे इंसान और एक अच्छे नागरिक बनें.
-सीमा सादिया, छात्रा की मांमैं आपके माध्यम से सभी अभिभावकों से अपील करूंगा कि अपने बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य अच्छे से अच्छा और अच्छे संस्कार जरूर दें,उसके बाद वह अपने रास्ते खुद चुन लेते हैं.
-असलम खान, छात्रा के पिता