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बलरामपुर: समाज के लिए मिसाल बनी 14 साल की जोया खान

यूपी के बलरामपुर में स्कॉलर्स अकादमी में पढ़ने वाली 14 साल की जोया खान की पसंदीदा भाषा संस्कृत है. जोया ने हरिद्वार में आयोजित भारतीय संस्कृत ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया था. अगस्त 2019 में परीक्षा का रिजल्ट आया तो जोया ने जिले में प्रथम स्थान हासिल किया.

जोया खान ने जिले में हासिल किया प्रथम स्थान
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Published : Aug 12, 2019, 8:49 PM IST

बलरामपुर: जिले के उतरौला तहसील में रहने वाली जोया खान मुस्लिम होने के बावजूद अक्टूबर 2018 में शांतिकुंज हरिद्वार में आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया. अगस्त 2019 में परीक्षा का रिजल्ट आया तो उसने जिला में प्रथम स्थान हासिल किया. जोया इन सब के पीछे अपने माता-पिता के दिए संस्कार और समाज से मिल रहे सामाजिक सद्भाव को जिम्मेदार मानती हैं.

जोया खान ने जिले में हासिल किया प्रथम स्थान.

14 साल की जोया खान की पसंदीदा भाषा संस्कृत है:

  • जोया खान उतरौला के स्कॉलर्स एकेडमी इंटर कॉलेज की कक्षा सात की छात्रा हैं.
  • भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया और जिले में प्रथम स्थान हासिल किया.
  • समाज को संदेश दिया है कि शिक्षा और सामाजिक सद्भाव के ज्ञान के लिए धर्म, जाति और मजहब का कोई मतलब नहीं होता.
  • जोया संस्कृत को न केवल धाराप्रवाह लिख लेती हैं बल्कि बोलने का भी लगातार प्रयास जारी है.
  • जोया को संस्कृत का श्लोक "त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव" बहुत पसंद है.
  • उन्हें गर्व है कि वह भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई हैं.

हमें सभी धर्मों की किताबों को पढ़ना चाहिए. इन किताबों से अच्छी शिक्षा, बड़ों का सम्मान और देश के प्रति वफादार बने रहने की सीख मिलती है. विश्व के तमाम देशों में तमाम तरह की बोलियां बोली जाती हैं और विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं, लेकिन वह हमें सिर्फ भारतीय कहकर संबोधित करते हैं. इसलिए हमें सबसे पहले भारतीय बनना चाहिए. सभी को कम्युनल माइंडसेट छोड़कर भारतीय संस्कृति की तरफ रुख करना चाहिए, इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता.
-जोया खान, टॉपर छात्रा

उन्होंने बच्चों को हिंदू-मुस्लिम से ऊपर उठाकर तालीम दी है, उनकी इच्छा है कि उनके बच्चे एक अच्छे इंसान और एक अच्छे नागरिक बनें.
-सीमा सादिया, छात्रा की मां

मैं आपके माध्यम से सभी अभिभावकों से अपील करूंगा कि अपने बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य अच्छे से अच्छा और अच्छे संस्कार जरूर दें,उसके बाद वह अपने रास्ते खुद चुन लेते हैं.
-असलम खान, छात्रा के पिता

बलरामपुर: जिले के उतरौला तहसील में रहने वाली जोया खान मुस्लिम होने के बावजूद अक्टूबर 2018 में शांतिकुंज हरिद्वार में आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया. अगस्त 2019 में परीक्षा का रिजल्ट आया तो उसने जिला में प्रथम स्थान हासिल किया. जोया इन सब के पीछे अपने माता-पिता के दिए संस्कार और समाज से मिल रहे सामाजिक सद्भाव को जिम्मेदार मानती हैं.

जोया खान ने जिले में हासिल किया प्रथम स्थान.

14 साल की जोया खान की पसंदीदा भाषा संस्कृत है:

  • जोया खान उतरौला के स्कॉलर्स एकेडमी इंटर कॉलेज की कक्षा सात की छात्रा हैं.
  • भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया और जिले में प्रथम स्थान हासिल किया.
  • समाज को संदेश दिया है कि शिक्षा और सामाजिक सद्भाव के ज्ञान के लिए धर्म, जाति और मजहब का कोई मतलब नहीं होता.
  • जोया संस्कृत को न केवल धाराप्रवाह लिख लेती हैं बल्कि बोलने का भी लगातार प्रयास जारी है.
  • जोया को संस्कृत का श्लोक "त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव" बहुत पसंद है.
  • उन्हें गर्व है कि वह भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई हैं.

हमें सभी धर्मों की किताबों को पढ़ना चाहिए. इन किताबों से अच्छी शिक्षा, बड़ों का सम्मान और देश के प्रति वफादार बने रहने की सीख मिलती है. विश्व के तमाम देशों में तमाम तरह की बोलियां बोली जाती हैं और विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं, लेकिन वह हमें सिर्फ भारतीय कहकर संबोधित करते हैं. इसलिए हमें सबसे पहले भारतीय बनना चाहिए. सभी को कम्युनल माइंडसेट छोड़कर भारतीय संस्कृति की तरफ रुख करना चाहिए, इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता.
-जोया खान, टॉपर छात्रा

उन्होंने बच्चों को हिंदू-मुस्लिम से ऊपर उठाकर तालीम दी है, उनकी इच्छा है कि उनके बच्चे एक अच्छे इंसान और एक अच्छे नागरिक बनें.
-सीमा सादिया, छात्रा की मां

मैं आपके माध्यम से सभी अभिभावकों से अपील करूंगा कि अपने बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य अच्छे से अच्छा और अच्छे संस्कार जरूर दें,उसके बाद वह अपने रास्ते खुद चुन लेते हैं.
-असलम खान, छात्रा के पिता

Intro:कहां जाता है शिक्षा के लिए धर्म, संप्रदाय और भाषा का कोई महत्व नहीं होता। ज्ञान की बातें कहीं से भी ली जा सकती हैं और इन्हें लेने से समाज, व्यक्ति का फायदा ही होता है। इस बात को सही साबित कर रही हैं जिले के उतरौला तहसील के स्कॉलर्स अकादमी में कक्षा 7 में पढ़ने वाली 14 साल की जोया खान। जोया खान की पसंदीदा भाषा संस्कृत है। भारतीय संस्कृति से इनका इतना जुड़ाव है कि इन्होंने न केवल शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया। बल्कि पूरे जिले में टॉप कर पहले स्थान पर काबिज भी हुई। जोया इन सब के पीछे अपने माता-पिता द्वारा दिए गए संस्कार और समाज से मिल रहे सामाजिक सद्भाव की बातों को जिम्मेदार मानती है।
स्कॉलर्स एकेडमी इंटर कॉलेज उतरौला के कक्षा 7 में पढ़ाई करने वाली जोया खान ने तहसील व जिला स्तर पर इस परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया है। इससे ना केवल इन्होंने अपने परिवार का नाम रोशन किया। बल्कि इन्होंने समाज को यह संदेश भी दिया है कि शिक्षा और सामाजिक सद्भाव के ज्ञान के लिए किसी धर्म, किसी जाति या किसी मजहब का कोई मतलब नहीं होता। 14 साल की जोया खान का पसंदीदा सब्जेक्ट संस्कृत है। यह संस्कृत को न केवल धाराप्रवाह पर लिख लेती हैं। बल्कि बोलने के लिए भी इन का प्रयास लगातार जारी है। जोया ने अपनी काबिलियत के मुताबिक संस्कृति ज्ञान परीक्षा में पूछे गए सवालों का जवाब दिया था। लेकिन उन्हें या नहीं पता था कि वह परीक्षा में जिला टॉप करेंगी।



Body:बलरामपुर के उतरौला तहसील में रहने वाली जोया खान मुस्लिम होने के बावजूद भी अक्टूबर 2018 में शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में हिस्सा लिया। अगस्त 2019 में जब इस परीक्षा का रिजल्ट आया तो उन्होंने जिला स्तरीय परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया। हर साल आयोजित होने वाली इस परीक्षा का उद्देश प्राइमरी स्तर से स्नातकोत्तर तक के बच्चों में भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूकता पैदा कर चिंतन, व्यवहार, शरीर, समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य का ज्ञान कराना है। यह परीक्षा यूपी के सभी जिलों में पहले तहसील स्तर पर आयोजित की जाती है।
इस परीक्षा के बारे में जोया खान का कहना है कि हमें सभी धर्मों की किताबों को पढ़ना चाहिए। इन किताबों से अच्छी शिक्षा, बड़ों का सम्मान और देश के प्रति वफादार बने रहने की सीख मिलती है।
जोया का कहना है कि विश्व के तमाम देशों में तमाम तरह की बोलियां बोली जाती हैं। और विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं। लेकिन वह में सिर्फ भारतीय कहकर संबोधित करते हैं। इसलिए हमें सबसे पहले भारतीय बनना चाहिए। फिर कुछ और।
जोया का कहना है कि उन्हें गर्व है कि वह भारत में पैदा हुई। उन्हें गर्व है कि वह भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई है और संस्कृति, इस देश और अपनी भाषाओं से उन्हें बेहद लगाव है।
जोया खान को संस्कृत का श्लोक "त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधु च सखा त्वमेव" बहुत पसंद है। उनका कहना है कि सभी को कम्युनल माइंडसेट छोड़कर भारतीय संस्कृति की तरफ रुख करना चाहिए। इससे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता।


Conclusion:जोया के पिता असलम खान स्कॉलर्स एकेडमी में प्राचार्य है और मां सीमा शादी या हाउसवाइफ है। छोटा भाई अज़हर इसी स्कूल में कक्षा 6 में पढ़ाई करता है। मां सीमा जोया की पढ़ाई में उसके साथ रहती हैं और उसे जितना हो सकता है, सहयोग करती हैं। जब उन्हें पता लगा कि बिटिया ने इस परीक्षा में टॉप किया है तो उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा।
जोया की मां सीमा का कहना है कि उन्होंने बच्चों को हिंदू-मुस्लिम से ऊपर उठाकर तालीम दी है। उनकी इच्छा है कि उनके बच्चे एक अच्छे इंसान और एक अच्छे नागरिक बनें।
वहीं, जोया खान के पिता असलम खान ने कहा कि मैं आपके माध्यम से सभी अभिभावकों से अपील करूंगा कि अपने बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य अच्छे से अच्छा और अच्छे संस्कार जरूर दें। उसके बाद वह अपने रास्ते खुद चुन लेते हैं।
उन्होंने कहा कि हम भारतीय हैं और हमारे भारत की बेहद समृद्ध संस्कृति रही है। इसके सीख को हम अपने बच्चों के अंदर जितना डाल सके, वह उनके काम आएगा। इसलिए हम सभी को यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि वह कम्युनल माइंडसेट से ऊपर उठकर सोचें और भारतीय संस्कृति को अपनाने का काम करें।
बाईट क्रमशः :-
जोया खान :- छात्रा और टॉपर
सीमा सादिया :- जोया की मां
असलम खान :- प्राचार्य स्कॉलर आकदमी और जोया के पिता
रिपोर्ट :- योगेंद्र त्रिपाठी, 09839325432
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