बलरामपुर: कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने और बचाव के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लाॅकडाउन घोषित किया गया है. इस दौरान लोगों से केवल जरूरी काम के लिए ही बाहर निकलने का निर्देश केंद्र और राज्य सरकार की ओर से दिया गया है. इस कारण सभी बड़े शहरों में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग तेजी से अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं.
किसी के पास खाने के लिए राशन नहीं है तो किसी के पास पैसे नहीं है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से हजारों की संख्या में छोटी फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करने वाले मजदूरों और रिक्शा चालकों का अपने घरों की ओर पलायन जारी है.
ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ रिक्शा चालकों और मजदूरों से बात की जो दिल्ली से रिक्शा चलाकर अपने बिहार जा रहे हैं. इनमें 6 लोग शामिल हैं, जो बारी-बारी से रिक्शा चलाते हुए 1000 किलोमीटर का सफर तय करेंगे. इस दौरान रास्ते में कई बार उनकी पुलिस और अन्य समाजसेवी संगठनों द्वारा खाद्य पदार्थों की मदद की गई.
दिल्ली से रिक्शा चलाकर बिहार के मोतिहारी जिला जा रहे रिक्शा चालकों ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सबसे बड़ा डर रोजगार न मिलने का है. जिस दिन पहली बार जनता कर्फ्यू लगा उस दिन हमें एक पैसे की आमदनी नहीं हुई. उसके बाद लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई. हम लोग 25 तारीख को दिल्ली से अपने रिक्शों को लेकर निकले हैं. हमें घर जाना था, इसलिए हम बिना रुके दिन रात चल रहे हैं.
एक अन्य रिक्शा चालक ने बताया कि दिल्ली सरकार जो दावे कर रही है, उनमें कितनी सच्चाई है यह तो नहीं पता है. जिस दिन से लॉकडाउन की घोषणा हुई, उस दिन से हम लोगों को न तो कोई रोजगार मिला और न ही दिल्ली सरकार की तरफ से कोई सुविधा. इसलिए हम लोगों ने अपने घर जाने का फैसला किया.
वहीं दूसरे रिक्शा चालक ने बताया कि अपने घर जाकर हम मेहनत मजदूरी कर लेंगे, दूसरों की खेती कर लेंगे लेकिन इस महामारी के दौरान दिल्ली की तरफ नहीं देखेंगे. बड़े शहरों में कोई किसी के काम नहीं आता है.