बलरामपुर: दिल्ली में शुक्रवार की शाम को पकड़ा गया आईएस आतंकी अबू यूसुफ उर्फ़ मुस्तकीम बलरामपुर जिले का रहने वाला है. लिहाजा, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल व यूपी एटीएस की टीम उसे लेकर थाना कोतवाली उतरौला क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम बढ़या भैंसाही पहुंची, जहां पर उसके परिजनों सहित आस-पड़ोस के लोगों से पूछताछ की गई.
तीन लोगों को हिरासत में लिया गया
अबू यूसुफ की निशानदेही पर उतरौला कस्बे के गोंडा मोड़ तिराहे के पास से दो और ईदगाह से एक शख्स को हिरासत में लिया गया था. यूपी एटीएस और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उनसे गहन पूछताछ की. इस दौरान यह पता चला कि यहीं से अबू यूसुफ ने बारूद का सामान खरीदा था. हिरासत में लिए गए लोग शादी-विवाह में आतिशबाजी सप्लाई का काम करते थे. उनके पास इस काम को करने के लिए लाइसेंस है.
साइकिल की दुकानों पर की गई छापेमारी
यूपी एटीएस व दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रविवार को दोपहर में उतरौला कस्बे की दो साइकिल की दुकानों पर छापेमारी की और उनके मालिकों से गहन पूछताछ की. इसके बाद उनसे कुछ कागजों पर दस्तखत करवाए गए. साइकिल की दुकानों पर छापेमारी इसलिए की गई थी क्योंकि यहीं से उसने बम बनाने के लिए छर्रे खरीदे थे. वहीं, पुलिस, एटीएस और दिल्ली स्पेशल सेल ने अबू यूसुफ के घर जाकर लगभग सभी कमरों में गहन जांच की. इस दौरान घर से तकरीबन 15 किलो बारूद व बम बनाने का सामान मिला. इसके साथ ही कुछ साहित्य व अन्य चीजें भी मिलीं.
दो वर्षों से आतंकी गतिविधियों में लिप्त था यूसुफ
ईटीवी भारत से बात करते हुए अबू यूसुफ के परिजनों ने कहा कि वह इस तरह के काम में पिछले दो वर्षों से लिप्त था. उसकी पत्नी ने बताया कि मैंने इस तरह के काम न करने के लिए उसे कई बार कहा, लेकिन वह नहीं माना. जब भी हम उसे समझाने की कोशिश करते तो वह कहता कि हम सबका अल्लाह हाफिज है, वही हमारा ख्याल रखेगा.
'अबू यूसुफ नहीं, मुस्तकीम है असली नाम'
आतंकी अबू यूसुफ की पत्नी ने बताया कि अबू यूसुफ उसका नाम नहीं बल्कि हमारे बेटे का नाम है. उसका असली नाम मुस्तकीम है. अब उसने क्यों अपने नाम को छिपाने की कोशिश की और क्यों उसने अपने बेटे का नाम लिया, यह तो वही बता सकता है. वहीं ग्रामीणों ने कहा कि लॉकडाउन के शुरुआती दौर में हमें पास के कब्रिस्तान में एक धमाका सुनाई दिया था और एक जोरदार रोशनी पैदा हुई थी. शाम का समय था इसलिए लोगों ने इसे अल्लाह का अज़ाब कह कर टाल दिया था. हमें यूसुफ के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वह बेहद सीधा शख्स था.
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पत्नी ने जैकेट और सामान को तालाब में फेंका
पुलिस टीम को तब ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी, जब आतंकी यूसुफ की पत्नी आयशा ने उसके द्वारा खरीदे गए एक जैकेट और उससे बनाए गए आत्मघाती हमले के सामान को घर के पीछे तालाब में फेंक दिया. पूछताछ के बाद यूपी एटीएस व दिल्ली पुलिस की टीम को जब इस बात का पता लगा तो गोताखोरों की मदद से उस सामान को बाहर निकलवाया गया. वहीं, फैजाबाद से बम निरोधी दस्ते ने आकर उसके घर से बरामद हुए विस्फोटक सामग्रियों की जांच पड़ताल की, जिसे दिल्ली पुलिस व एटीएस के लोग अपने साथ ले गए.
एनआरसी और राम मंदिर शिलान्यास से नाराज था यूसुफ
खबरों के मुताबिक अबू यूसुफ एनआरसी व राम मंदिर शिलान्यास जैसे मुद्दे से काफी नाराज़ था. वह कुछ बड़ा प्लान करके अपना विरोध जताना चाहता था. वह एक हमले के जरिए ऐसा संदेश देना चाहता था, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे. वहीं अगर अधिकारिक सूत्रों की मानें तो आईएस आतंकी अबू यूसुफ केवल डिलीवरी ब्वॉय का काम कर रहा था, जो किसी सामान को किसी दूसरी जगह पहुंचाने के लिए शुक्रवार तड़के निकला था.
घर से मिला आईएस का झंडा
सूत्रों के मुताबिक आतंकी यूसुफ के घर से आईएस का झंडा व अन्य चीजें भी बरामद हुई हैं, जिसे साक्ष्य के तौर पर यूपी एटीएस व दिल्ली पुलिस की टीम अपने साथ ले गई है. यूपी एटीएस और दिल्ली स्पेशल सेल की टीम जिले में शनिवार शाम 6:30 से रविवार शाम करीब 7 बजे तक रही. इस दौरान टीम द्वारा आतंकी की निशानदेही पर तमाम जगहों पर छापेमारी की गई.
स्थानीय पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल
कुल मिलाकर अगर इस मामले को देखें तो बलरामपुर जिले में इस तरह के स्लीपर सेल का एक्टिव होना अपने आप में एक बड़ा सवाल है. वहीं स्थानीय प्रशासन, पुलिस और इंटेलिजेंस के ऊपर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह भी यह घटना छोड़कर जाती है.
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