बलरामपुर : तकरीबन 3 साल से सैलरी ना मिलने के कारण मदरसा शिक्षक अब भुखमरी के कगार पर है. आंदोलन कर रहे मदरसा शिक्षकों का सालों से कोई सुनवाई नहीं कर रहा है. ऐसी स्थिति में कोई शिक्षक अपने स्कूल टाइम के बाद कोचिंग पढ़ा रहा है तो कोई अन्य काम कर रहा है. कुछ के सामने अपने परिवार को पालने के लिए हालात ऐसे बिगड़ें हैं कि अब वह पान की दुकान चलाने और ई-रिक्शा चलाने पर मजबूर हैं.
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बहराइच रोड पर एक मदरसे में तैनात शिक्षक कामेश्वर नाथ कश्यप बताते हैं कि नौकरी जॉइन करने के बाद तीन-चार महीने तो सब बेहतर चला, लेकिन उसके बाद से केंद्र द्वारा दिए जा रहे 12 हजार रुपए आने बंद हो गए. जबकि राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा तीन हजार रुपये का मानदेय भी कई-कई महीनों पर मिलता है.
वह कहते हैं कि इसी स्थिति में घर चलाने के लिए कुछ न कुछ तो करना था. इसलिए बस स्टैंड के सामने एक छोटी दुकान चलाना शुरू कर दिया. पहली शिफ्ट में बच्चे बैठते हैं फिर उसके बाद वह स्कूल से आने के बाद. वह कहते हैं कि हमने सालों से अपनी बात सरकार के सामने रखी है लेकिन कोई नहीं है जो सुन सके. वास्तव में परेशान हैं. इसलिए ही इस तरह के काम कर रहे हैं.
वहीं, जिला अल्पसंख्यक अधिकारी पवन कुमार सिंह कहते हैं कि जिले में 310 मदरसे आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत संचालित हैं. जिनमें 910 शिक्षक कार्यरत हैं. राज्य सरकार ने अपने हिस्से की सैलरी अगस्त माह तक इस वित्त वर्ष में भी दे रखी है. केन्द्रांश कमी के कारण शिक्षकों को पूरी सैलरी नहीं दी जा पा रहे हैं जैसे ही शिक्षकों की सैलरी आती है. हम उन्हें देने का काम करेंगे.
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जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश का कहना है कि मदरसा शिक्षकों द्वारा कई बार ज्ञापन वगैरह दिया गया है. हमने उनकी बात को राज्य सरकार तक पहुंचा दिया है. केंद्र और राज्य को लेकर जो भी मामला लंबित है. शासन द्वारा उसका निपटारा जल्द से जल्द कर लिया जाएगा. जिले स्तर पर इन से जुड़ा कोई मामला किसी तरह से लंबित नहीं है. जैसे ही सैलरी आती है. हम उन्हें देने का काम करेंगे.