बलरामपुर: यूं तो बलरामपुर जिला कई कारणों से मशहूर है. जब दिल्ली में बैठा कोई इंसान बलरामपुर के केले के स्वाद को चखता है तो उसे लगता है कि यहां के किसानों में भी वो ताकत है, जिसके जरिए वो पैसा कमा रहे हैं. साथ ही साथ जिले का नाम भी रोशन कर रहे हैं.
सादुल्लानगर ग्राम सभा इटई अब्दुल्ला चपरतलवा के रहने वाले 65 वर्षीय किसान रियाज अहमद और उनके बेटे अदील खान पिछले 30 वर्षों से केले की खेती कर रहे हैं. उन्होंने केले की खेती की शुरुआत दो बीघे से की थी, जो अब ढाई सौ बीघे में बदल चुकी है. इस खेती के जरिए न केवल वह खुद कमा रहे हैं, बल्कि तमाम लोगों के खेतों को लीज पर लेकर उन्हें बेहतर मुनाफा देते हैं.
रियाज अहमद ने इस केले की खेती से बेहतर वैज्ञानिक खेती सीखी. बाराबंकी के रहने वाले पद्मश्री से सम्मानित किसान रामशरण वर्मा से प्रेरणा लेकर उन्होंने सादुल्लाह नगर के कई छोटे-छोटे किसानों को केले की किसानी की टिप्स देकर उनकी जिंदगी भी बेहतर करने का काम किया है.
ऊंचाई वाली जमीन पर होती है खेती
वह कहते हैं कि धीरे-धीरे इसी खेती से कमाते गए. जिले की जमीन केले की किसानों के लिए सही न होने की बात पर उन्होंने कहा कि असल में केले को बस ऊंचाई वाली जमीन चाहिए होती है. इस इलाके की खेती इसलिए बेहतर होती है क्योंकि यहां पर कभी बाढ़ नहीं आती. सरकार से बहुत ज्यादा सहयोग नहीं मिलता. कई योजनाएं चल रही हैं, जिसका समय-समय पर फायदा मिलता रहता है.
कृषि विभाग कर चुका है पुरस्कृत
उन्होंने कहा कि केले की किसानी के लिए उन्हें श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र से सांसद दद्दन मिश्रा ने कई बार पुरस्कृत भी किया है. इसके अलावा कृषि विभाग और उद्यान विभाग द्वारा भी उन्हें पुरस्कृत किया जा चुका है. खेतों में पैदा होने वाले केले न केवल देश की राजधानी दिल्ली जाते हैं, बल्कि चंडीगढ़, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे जगहों पर भी जाते हैं.