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बलरामपुर में 2 साल बाद भी नहीं बन सका 'सखी' सेंटर का स्थाई भवन

यूपी के बलरामपुर में किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए निर्भया फंड के जरिए 'वन स्टॉप सेंटर' यानी सखी की स्थापना की कवायद 2018-19 में शुरू की गई. दो साल बीतने के बाद भी यहां सखी सेंटर अस्थाई रूप से शुरू किए गए जिला संयुक्त चिकित्सालय में चल रहा है. इतना समय बीतने के बाद भी पीड़ित महिलाओं को सखी सेंटर का स्थाई भवन तक नहीं नसीब हुआ है.

दो साल बाद भी नहीं  बन सका 'सखी' सेंटर का स्थाई भवन.
दो साल बाद भी नहीं बन सका 'सखी' सेंटर का स्थाई भवन.
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Published : Mar 29, 2020, 9:17 PM IST

बलरामपुर: देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 के एक फिजियोथेरेपी की छात्रा का 5 लड़कों ने जघन्य तरीके से सामुहिक दुष्कर्म किया. इस मामले में 'निर्भया' अपनी जिंदगी की जंग सिंगापुर के एक अस्पताल में हार गई. इसके बाद पूरे देश में महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए. तमाम विरोध प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार जागी. तमाम तरह की कवायदों को शुरू किया गया.

दो साल बाद भी नहीं बन सका 'सखी' सेंटर का स्थाई भवन.

'निर्भया फण्ड' के जरिए की गई स्थापना
सरकार ने 'निर्भया फण्ड' के जरिए महिलाओं को बेहतर और सुरक्षित माहौल देने के लिए तमाम तरह की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का वायदा किया किया. सीसीटीवी कैमरे, महिला थानों का उच्चीकरण, महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कॉलिंग सेंटरों की स्थापना, पुलिसिंग में सुधार और अन्य तमाम तरह के वायदे सरकार द्वारा किये गए. इन्हीं वायदों में एक वायदा 'सखी' यानी वन स्टॉप सेंटरों की स्थापना भी था.

वन स्टॉप सेंटरों की स्थिति है बदहाल
केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद देश के सभी 725 जिलों में 2018-19 के बजट में इसे स्थापित करने की कवायद शुरू की गई, लेकिन जिलों में इस परियोजना की स्थिति आज भी बदहाल है. बलरामपुर जिले के डीसीएच यानी जिला संयुक्त चिकित्सालय में यह सेंटर अस्थाई तौर पर संचालित है. वहीं, स्थाई भवन इसी माह से बनना शुरू हुआ है. डीएम कृष्णा करुणेश के अनुसार यह अप्रैल तक बन कर तैयार हो जाएगा और यहां पर हिंसा और उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं को तमाम सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी.

क्या है 'सखी' यानी वन स्टॉप सेंटर
महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा संचालित और देश भर के 724 जिलों में स्थापित किए गए 728 वन स्टॉप सेंटर के जरिए अभी तक तकरीबन ढाई लाख महिलाओं को लाभ देने की बात कही जा रही है. वन स्टॉप सेंटरों का उद्देश्य परिवार, समुदाय और कार्यस्थल पर हिंसा से प्रभावित, निजी और सार्वजनिक स्थानों में प्रभावित, महिलाओं का न केवल समर्थन करना है बल्कि उम्र, वर्ग, जाति, शिक्षा की स्थिति, वैवाहिक स्थिति, सामाजिक और संस्कृति स्थिति को बिना देखें, बिना सहायता प्रदान करना है.

वन स्टॉप सेंटर पर दी जाती हैं पीड़ितों को मदद
उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, महिला तस्करी, सम्मान संबंधी अपराधों, एसिड हमलों, भूत-प्रेत के शिकार के कारण परेशान या अन्य किसी प्रकार की हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को वन स्टॉप सेंटर में भेजा जाता है. यहां उन्हें मनोवैज्ञानिक, चिकित्सीय, पुलिस सहायता, कानूनी सहायता और अन्य तमाम तरह की सहायता प्रदान की जाती है.
कुल मिलाकर वन स्टॉप सेंटरों का उद्देश्य है कि किसी भी तरह की हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही छत के नीचे एकीकृत समर्थन और सहायता प्रदान की जाए. वन स्टॉप सेंटरों में महिला पुलिस की नियुक्ति तथा रिपोर्टिंग चौकियों के स्थापना का भी प्रावधान है. जिससे उन्हें यौन उत्पीड़न सहित तमाम तरह की सामाजिक हिंसा को रिपोर्ट करने के लिए कहीं अलग दौड़ना भागना ना पड़े.

क्या है बलरामपुर की स्थिति
बलरामपुर जिले के संयुक्त जिला चिकित्सालय में अस्थाई तौर पर सखी यानी वन स्टॉप सेंटर को संचालित किया जा रहा है. महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार संयुक्त जिला चिकित्सालय के नर्सेज हॉस्टल में आवंटित चार कमरों के आस्था सेंटर में 31 मार्च 2019 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक कुल 129 महिलाओं को अब तक सहायता प्रदान की जा चुकी है.

वही संयुक्त जिला चिकित्सालय में ही एक भवन का निर्माण किया जा रहा है, जो अप्रैल-मई तक बनकर तैयार हो जाएगा. इसके बाद से यहां पर तमाम तरह की सुविधाएं पीड़ित महिलाओं को मिलनी शुरू हो जाएंगी. बलरामपुर जिले में अभी तक इस सेंटर पर पहुंचने वाली महिलाओं को 181 के जरिए लाभान्वित किया जाता था. जबकि इसी माह 11 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है. जो अस्थाई तौर पर जिला संयुक्त चिकित्सालय में आवंटित कमरों में ही काम कर रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी
ईटीवी से बात करते हुए जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा कि अभी अस्थाई तौर पर वन स्टॉप सेंटर संयुक्त जिला चिकित्सालय में निर्भया फंड और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन संचालित किया जा रहा है. यहां पर अभी तक कई महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है. वहीं स्थाई सेंटर की स्थापना भी संयुक्त जिला चिकित्सालय में ही की जा रही है. जो अप्रैल मई तक बनकर तैयार हो जाएगा.

बलरामपुर: देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 के एक फिजियोथेरेपी की छात्रा का 5 लड़कों ने जघन्य तरीके से सामुहिक दुष्कर्म किया. इस मामले में 'निर्भया' अपनी जिंदगी की जंग सिंगापुर के एक अस्पताल में हार गई. इसके बाद पूरे देश में महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा के लिए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए. तमाम विरोध प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार जागी. तमाम तरह की कवायदों को शुरू किया गया.

दो साल बाद भी नहीं बन सका 'सखी' सेंटर का स्थाई भवन.

'निर्भया फण्ड' के जरिए की गई स्थापना
सरकार ने 'निर्भया फण्ड' के जरिए महिलाओं को बेहतर और सुरक्षित माहौल देने के लिए तमाम तरह की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का वायदा किया किया. सीसीटीवी कैमरे, महिला थानों का उच्चीकरण, महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कॉलिंग सेंटरों की स्थापना, पुलिसिंग में सुधार और अन्य तमाम तरह के वायदे सरकार द्वारा किये गए. इन्हीं वायदों में एक वायदा 'सखी' यानी वन स्टॉप सेंटरों की स्थापना भी था.

वन स्टॉप सेंटरों की स्थिति है बदहाल
केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद देश के सभी 725 जिलों में 2018-19 के बजट में इसे स्थापित करने की कवायद शुरू की गई, लेकिन जिलों में इस परियोजना की स्थिति आज भी बदहाल है. बलरामपुर जिले के डीसीएच यानी जिला संयुक्त चिकित्सालय में यह सेंटर अस्थाई तौर पर संचालित है. वहीं, स्थाई भवन इसी माह से बनना शुरू हुआ है. डीएम कृष्णा करुणेश के अनुसार यह अप्रैल तक बन कर तैयार हो जाएगा और यहां पर हिंसा और उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं को तमाम सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी.

क्या है 'सखी' यानी वन स्टॉप सेंटर
महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा संचालित और देश भर के 724 जिलों में स्थापित किए गए 728 वन स्टॉप सेंटर के जरिए अभी तक तकरीबन ढाई लाख महिलाओं को लाभ देने की बात कही जा रही है. वन स्टॉप सेंटरों का उद्देश्य परिवार, समुदाय और कार्यस्थल पर हिंसा से प्रभावित, निजी और सार्वजनिक स्थानों में प्रभावित, महिलाओं का न केवल समर्थन करना है बल्कि उम्र, वर्ग, जाति, शिक्षा की स्थिति, वैवाहिक स्थिति, सामाजिक और संस्कृति स्थिति को बिना देखें, बिना सहायता प्रदान करना है.

वन स्टॉप सेंटर पर दी जाती हैं पीड़ितों को मदद
उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, महिला तस्करी, सम्मान संबंधी अपराधों, एसिड हमलों, भूत-प्रेत के शिकार के कारण परेशान या अन्य किसी प्रकार की हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को वन स्टॉप सेंटर में भेजा जाता है. यहां उन्हें मनोवैज्ञानिक, चिकित्सीय, पुलिस सहायता, कानूनी सहायता और अन्य तमाम तरह की सहायता प्रदान की जाती है.
कुल मिलाकर वन स्टॉप सेंटरों का उद्देश्य है कि किसी भी तरह की हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही छत के नीचे एकीकृत समर्थन और सहायता प्रदान की जाए. वन स्टॉप सेंटरों में महिला पुलिस की नियुक्ति तथा रिपोर्टिंग चौकियों के स्थापना का भी प्रावधान है. जिससे उन्हें यौन उत्पीड़न सहित तमाम तरह की सामाजिक हिंसा को रिपोर्ट करने के लिए कहीं अलग दौड़ना भागना ना पड़े.

क्या है बलरामपुर की स्थिति
बलरामपुर जिले के संयुक्त जिला चिकित्सालय में अस्थाई तौर पर सखी यानी वन स्टॉप सेंटर को संचालित किया जा रहा है. महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार संयुक्त जिला चिकित्सालय के नर्सेज हॉस्टल में आवंटित चार कमरों के आस्था सेंटर में 31 मार्च 2019 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक कुल 129 महिलाओं को अब तक सहायता प्रदान की जा चुकी है.

वही संयुक्त जिला चिकित्सालय में ही एक भवन का निर्माण किया जा रहा है, जो अप्रैल-मई तक बनकर तैयार हो जाएगा. इसके बाद से यहां पर तमाम तरह की सुविधाएं पीड़ित महिलाओं को मिलनी शुरू हो जाएंगी. बलरामपुर जिले में अभी तक इस सेंटर पर पहुंचने वाली महिलाओं को 181 के जरिए लाभान्वित किया जाता था. जबकि इसी माह 11 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है. जो अस्थाई तौर पर जिला संयुक्त चिकित्सालय में आवंटित कमरों में ही काम कर रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी
ईटीवी से बात करते हुए जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने कहा कि अभी अस्थाई तौर पर वन स्टॉप सेंटर संयुक्त जिला चिकित्सालय में निर्भया फंड और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन संचालित किया जा रहा है. यहां पर अभी तक कई महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है. वहीं स्थाई सेंटर की स्थापना भी संयुक्त जिला चिकित्सालय में ही की जा रही है. जो अप्रैल मई तक बनकर तैयार हो जाएगा.

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