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बलिया: सरकारी योजनाओं से महरूम हैं लोग, न घर है न शौचालय - कोरोना महामारी

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. विकासखंड चिलकहर स्थित ग्राम सभा अवधि के कई लोगों को प्रधानमंत्री आवास और शौचालय नहीं उपलब्ध कराया गया. यहां लोग सरकारी योजनाओं की पहुंच से कोसों दूर हैं.

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ग्राम सभा अवधि के निवासियों को नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ.
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Published : Sep 13, 2020, 8:55 PM IST

बलिया: विकासखंड चिलकहर अंतर्गत ग्राम सभा अवधि के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. कागजों पर ग्रामीणों को सरकारी योजनाएं उपलब्ध करा दी गईं, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल जुदा है. ग्रामीणों ने बताया कि उनसे कई बार आवास और शौचालय उपलब्ध कराने के लिए आधार कार्ड लिया गया, लेकिन उन्हें ये सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गईं. ईटीवी भारत ने गांव पहुंचकर लोगों से उनकी दास्ता सुनी.

ग्राम सभा अवधि के निवासियों को नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ.

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान हमारी गरीबी का मजाक बनाता है. ग्राम प्रधान आए दिन हम लोगों से आवास और शौचालय दिलाने के नाम पर आधार कार्ड की फोटो कॉपी जमा करा लेता है, लेकिन अभी तक आवास और शौचालय उपलब्ध नहीं कराया गया. इसलिए वो खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान ने उन्हें कोरोना महामारी में भी जॉब कार्ड मुहैया नहीं कराया. उनके सामने पेट भरने का संकट गहराता जा रहा है. ऐसे हालातों के बीच वो कभी भूखे तो कभी आधे पेट ही सोने को मजबूर हैं. कागज पर जॉब सहित अन्य सुविधाएं ग्रामीणों को उपलब्ध करा दी गई हैं, लेकिन धरातल पर गांव की स्थिति बदतर है. इन सब समस्याओं के बीच अवधि गांव अपने बदहाली पर आंसू बहाने के लिए मजबूर है.

ग्रामीण अनीता बेदी खपरैल के मकान में दिन गुजार रही हैं. वो कहती हैं कि दो साल पहले उनके खपरैल के मकान का एक हिस्सा ढह गया था. उसके बाद से वो खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं. इनके पास न तो उज्ज्वला योजना का गैस सिलेंडर है, न प्रधानमंत्री आवास और न ही शौचालय. इन सभी बदतर हालातों के बीच ग्रामीण सिर्फ अपने भाग्य को कोसते रहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अच्छे दिन आ जाएंगें. फिलहाल अच्छे दिन कैसे होंगे इसका ग्रामीण इंतजार कर रहे हैं.

बलिया: विकासखंड चिलकहर अंतर्गत ग्राम सभा अवधि के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. कागजों पर ग्रामीणों को सरकारी योजनाएं उपलब्ध करा दी गईं, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल जुदा है. ग्रामीणों ने बताया कि उनसे कई बार आवास और शौचालय उपलब्ध कराने के लिए आधार कार्ड लिया गया, लेकिन उन्हें ये सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गईं. ईटीवी भारत ने गांव पहुंचकर लोगों से उनकी दास्ता सुनी.

ग्राम सभा अवधि के निवासियों को नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ.

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान हमारी गरीबी का मजाक बनाता है. ग्राम प्रधान आए दिन हम लोगों से आवास और शौचालय दिलाने के नाम पर आधार कार्ड की फोटो कॉपी जमा करा लेता है, लेकिन अभी तक आवास और शौचालय उपलब्ध नहीं कराया गया. इसलिए वो खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान ने उन्हें कोरोना महामारी में भी जॉब कार्ड मुहैया नहीं कराया. उनके सामने पेट भरने का संकट गहराता जा रहा है. ऐसे हालातों के बीच वो कभी भूखे तो कभी आधे पेट ही सोने को मजबूर हैं. कागज पर जॉब सहित अन्य सुविधाएं ग्रामीणों को उपलब्ध करा दी गई हैं, लेकिन धरातल पर गांव की स्थिति बदतर है. इन सब समस्याओं के बीच अवधि गांव अपने बदहाली पर आंसू बहाने के लिए मजबूर है.

ग्रामीण अनीता बेदी खपरैल के मकान में दिन गुजार रही हैं. वो कहती हैं कि दो साल पहले उनके खपरैल के मकान का एक हिस्सा ढह गया था. उसके बाद से वो खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं. इनके पास न तो उज्ज्वला योजना का गैस सिलेंडर है, न प्रधानमंत्री आवास और न ही शौचालय. इन सभी बदतर हालातों के बीच ग्रामीण सिर्फ अपने भाग्य को कोसते रहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में अच्छे दिन आ जाएंगें. फिलहाल अच्छे दिन कैसे होंगे इसका ग्रामीण इंतजार कर रहे हैं.

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