बलियाः उत्तर प्रदेश में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे आ गए हैं. इस बार कई ऐसे लोगों को हार का सामना करना पड़ा है, जिन्होंने जीतने के लिए कई तरह का जुगाड़ किया था. ऐसा ही एक गुणा गणित बलिया जिले के हाथी सिंह ने सेट किया था. जितेंद्र उर्फ हाथी सिंह ने पंचायत चुनाव जीतने के लिए वर्षों का ब्रह्मचर्य तोड़ शादी की थी, लेकिन पांच मई को पंचायत चुनाव जीतने का ख्वाब अधूरा रह गया.
पहले भी हार चुके हैं प्रधानी का चुनाव
विकासखंड मुरलीछपरा के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्ण छपरा के जितेंद्र उर्फ हाथी सिंह ने वर्ष 2015 में प्रधानी का चुनाव लड़ा था. तब वह 57 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे. इसके बाद भी हाथी सिंह ने समाज सेवा का काम रोका नहीं. वह पांच सालों से लगातार लोगों की सेवा में लगे रहे. 2021 में दोबारा पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाना चाहते थे, लेकिन इस बार सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित कर दी गई. इस कारण हाथी सिंह का चुनावी मैदान में उतरने का सपना चकनाचूर होता दिख रहा था. इस पर उनके समर्थकों ने सुझाव दिया कि वह शादी कर लें तो उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकती हैं.
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ब्रह्मचर्य का प्रण तोड़ की शादी
ब्रह्मचर्य का प्रण ले चुके 45 वर्षीय हाथी सिंह ने अपने समर्थकों के सुझाव पर अमल करते हुए शादी करने का फैसला ले लिया. नामांकन से पहले बिना मुहूर्त के ही उन्होंने निधि सिंह से पहले बिहार की अदालत में शादी की. इसके बाद 26 मार्च को गांव के धर्मनाथजी मंदिर में शादी कर ली. शादी करते ही पत्नी निधि को चुनावी मैदान में उतार दिया और खुद प्रचार में जुट गए. मेंहदी लगे हाथों से निधि सिंह भी प्रचार-प्रसार में लगी रहीं. चुनाव प्रचार के दौरान लोगों ने खूब आशीर्वाद दिया, लेकिन रिजल्ट आया तो निराशा हाथ लगी. हाथी सिंह की पत्नी चुनाव हार गईं. निधि सिंह की प्रतिद्वंदी हरि सिंह की पत्नी सोनिका देवी 564 वोट पाकर जीत गईं. वहीं हाथी सिंह की पत्नी निधि को 525 वोट मिले.