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पुण्यतिथि विशेष: जब अटल जी ने कार्यकर्ता से कहा तुमने नहीं दी मेरी 'मजदूरी' - भाजपा नेता सुधाकर मिश्रा

16 अगस्त को भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री की यादों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया.

अटल बिहारी वाजपेयी फाइल फोटो.
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Published : Aug 16, 2019, 10:36 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST

बलिया: तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि है. 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में देश के एक महान व्यक्तित्व ने अंतिम सांस ली थी. आजादी की क्रांति के प्रथम नायक मंगल पांडे के जनपद बलिया से भी अटल बिहारी वाजपेयी का नाता जुड़ा हुआ है. अटल के बारे में कुछ बातें 83 वर्षीय भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्रा ने ईटीवी भारत से साझा की.

ईटीवी भारत ने वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्रा से की बातचीत-
सुधाकर मिश्र का जीवन स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपयी के तेजस्वी और ओजपूर्ण भाषण को सुनकर प्रभावित हुआ. इसके बाद साठ के दशक में बीकॉम की पढ़ाई करने के दौरान ही उन्होंने लखनऊ के अमीनदौला पार्क में कार्यकर्ता बनने की ठान लिए. सुधाकर मिश्र 70 के दशक में पटना में आयोजित हुए जनसंघ के पांचवीं अधिवेशन में दोबारा अटल जी के भाषण को सुनने का मौका मिला.

ईटीवी भारत से अटलजी के बारे में सुधाकर मिश्रा ने की बातचीत.

1974 में जनसभा को संबोधित करने आए थे अटल जी-
1974 में बलिया जिले की 8 विधानसभाओं में एक द्वाबा अब (बैरिया) से प्रत्याशी बनने की ललक को लेकर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रम को रखवाया. उस समय मुख्य अतिथि को 11 हजार रुपये देकर स्वागत करने की परंपरा थी. सुधाकर मिश्रा ने बताया कि अटल जी आए, जनसभा को संबोधित किया. लोग उनके भाषण को सुनने के लिए बलिया ही नहीं बिहार के आरा, छपरा और बक्सर से पहुंचे हुए थे. जनसभा खत्म हुई, लेकिन वो थैली नहीं दी गई. अटल जी वापस बलिया के वरिष्ठ फौजदारी वकील शिव कुमार राय के आवास पर रात्रि विश्राम करने के लिए पहुंचे.

बलिया पहुंचने पर अटल बिहारी वाजपेयी नाराज थे, क्योंकि उन्हें सम्मान के रूप में मिलने वाली थैली नहीं मिली थी. इस पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा वह प्रत्याशी कहां है? जिसके लिए मैंने इतनी अपार जनसभा को संबोधित किया उसे बुलाओ. मुझे बुलाया गया. मैं वहां पहुंचा तो अटल जी ने कहा 'तुम तो बड़े चालाक निकले, हम से मजदूरी करा ली, लेकिन हमारी मजदूरी नहीं दी मेरा थैला मुझे नहीं मिला'.

पढ़ें:- लखनऊ: बीजेपी यूपी विधानसमा उपचुनाव में समर्पित कार्यकर्ताओें को देगी टिकट

सुधाकर मिश्र ने बताया कि इस पर मैंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर आप तत्कालीन तीन जिलों के संगठन प्रभारी रहे कलराज मिश्र से बात कर सकते हैं. कलराज मिश्र ने बताया कि यह तो प्रत्याशी ही नहीं हैं, क्योंकि संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान बलिया से फोन गया था कि द्वाबा क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की जाए. यह सुनकर अटल बिहारी वाजपेयी ने तुरंत नानाजी देशमुख से संपर्क कर बलिया के द्वाबा क्षेत्र से सुधाकर मिश्रा को प्रत्याशी घोषित किए जाने की बात कही.


एक दिन में 13 जनसभाओं को किया था संबोधित-
वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्र ने बताया कि 1986 में अटल जी का एक बार और बलिया में कार्यक्रम हुआ. उस दौरान तत्कालीन जिलाध्यक्ष कृष्ण शंकर पांडे ने अटल बिहारी वाजपेयी की 1 दिन में 13 जनसभाएं जिले के अलग-अलग हिस्सों में रखवा दी. वाजपेयी जी के आने से पहले प्रदेश नेतृत्व बलिया पहुंचा तो उन्हें 13 जनसभाओं की जानकारी हुई. इस पर लोगों ने निर्णय लिया कि अटलजी के लिए सिर्फ तीन जनसभाएं रखी जाए और शेष जनसभाओं में प्रदेश का नेतृत्व पहुंचेगा.

निर्धारित समय पर अटल बिहारी वाजपेयी बलिया पहुंचे तो कार्यकर्ताओं के माध्यम से उनको 13 की जगह 3 जनसभाएं करने की जानकारी प्राप्त हुई. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि जहां-जहां मेरे नाम पर लोगों को बुलाया गया है, मैं वहां जाऊंगा. अटल बिहारी वाजपेयी एक दिन में सभी 13 जनसभाओं को संबोधित कर बलिया जिले के लिए एक कीर्तिमान स्थापित कर दिए.

सुधाकर मिश्र ने बताया कि जनसभा समाप्त कर रात में पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले में वो रुके हुए थे, तभी कलराज मिश्र उनके कक्ष में पहुंचे. उनसे कहा कि मैं आपके पैर दबा देता हूं. इस पर अटल जी ने कहा कि आज तो मुझे किसी प्रकार की थकान ही नहीं हो रही है. आप अपने कक्ष में जाएं और आराम करें. दूसरे दिन सुबह वापस बलिया से जाते वक्त स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी अपने कमरे से बाहर निकले और भाजपा के कार्यकर्ताओं से मुस्कुराते हुए कहा 'बलिया वालो बताओ और भी कोई जनसभा रह गई हो तो उसे भी अभी करा लो'.

बलिया: तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि है. 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में देश के एक महान व्यक्तित्व ने अंतिम सांस ली थी. आजादी की क्रांति के प्रथम नायक मंगल पांडे के जनपद बलिया से भी अटल बिहारी वाजपेयी का नाता जुड़ा हुआ है. अटल के बारे में कुछ बातें 83 वर्षीय भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्रा ने ईटीवी भारत से साझा की.

ईटीवी भारत ने वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्रा से की बातचीत-
सुधाकर मिश्र का जीवन स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपयी के तेजस्वी और ओजपूर्ण भाषण को सुनकर प्रभावित हुआ. इसके बाद साठ के दशक में बीकॉम की पढ़ाई करने के दौरान ही उन्होंने लखनऊ के अमीनदौला पार्क में कार्यकर्ता बनने की ठान लिए. सुधाकर मिश्र 70 के दशक में पटना में आयोजित हुए जनसंघ के पांचवीं अधिवेशन में दोबारा अटल जी के भाषण को सुनने का मौका मिला.

ईटीवी भारत से अटलजी के बारे में सुधाकर मिश्रा ने की बातचीत.

1974 में जनसभा को संबोधित करने आए थे अटल जी-
1974 में बलिया जिले की 8 विधानसभाओं में एक द्वाबा अब (बैरिया) से प्रत्याशी बनने की ललक को लेकर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रम को रखवाया. उस समय मुख्य अतिथि को 11 हजार रुपये देकर स्वागत करने की परंपरा थी. सुधाकर मिश्रा ने बताया कि अटल जी आए, जनसभा को संबोधित किया. लोग उनके भाषण को सुनने के लिए बलिया ही नहीं बिहार के आरा, छपरा और बक्सर से पहुंचे हुए थे. जनसभा खत्म हुई, लेकिन वो थैली नहीं दी गई. अटल जी वापस बलिया के वरिष्ठ फौजदारी वकील शिव कुमार राय के आवास पर रात्रि विश्राम करने के लिए पहुंचे.

बलिया पहुंचने पर अटल बिहारी वाजपेयी नाराज थे, क्योंकि उन्हें सम्मान के रूप में मिलने वाली थैली नहीं मिली थी. इस पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा वह प्रत्याशी कहां है? जिसके लिए मैंने इतनी अपार जनसभा को संबोधित किया उसे बुलाओ. मुझे बुलाया गया. मैं वहां पहुंचा तो अटल जी ने कहा 'तुम तो बड़े चालाक निकले, हम से मजदूरी करा ली, लेकिन हमारी मजदूरी नहीं दी मेरा थैला मुझे नहीं मिला'.

पढ़ें:- लखनऊ: बीजेपी यूपी विधानसमा उपचुनाव में समर्पित कार्यकर्ताओें को देगी टिकट

सुधाकर मिश्र ने बताया कि इस पर मैंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर आप तत्कालीन तीन जिलों के संगठन प्रभारी रहे कलराज मिश्र से बात कर सकते हैं. कलराज मिश्र ने बताया कि यह तो प्रत्याशी ही नहीं हैं, क्योंकि संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान बलिया से फोन गया था कि द्वाबा क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की जाए. यह सुनकर अटल बिहारी वाजपेयी ने तुरंत नानाजी देशमुख से संपर्क कर बलिया के द्वाबा क्षेत्र से सुधाकर मिश्रा को प्रत्याशी घोषित किए जाने की बात कही.


एक दिन में 13 जनसभाओं को किया था संबोधित-
वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्र ने बताया कि 1986 में अटल जी का एक बार और बलिया में कार्यक्रम हुआ. उस दौरान तत्कालीन जिलाध्यक्ष कृष्ण शंकर पांडे ने अटल बिहारी वाजपेयी की 1 दिन में 13 जनसभाएं जिले के अलग-अलग हिस्सों में रखवा दी. वाजपेयी जी के आने से पहले प्रदेश नेतृत्व बलिया पहुंचा तो उन्हें 13 जनसभाओं की जानकारी हुई. इस पर लोगों ने निर्णय लिया कि अटलजी के लिए सिर्फ तीन जनसभाएं रखी जाए और शेष जनसभाओं में प्रदेश का नेतृत्व पहुंचेगा.

निर्धारित समय पर अटल बिहारी वाजपेयी बलिया पहुंचे तो कार्यकर्ताओं के माध्यम से उनको 13 की जगह 3 जनसभाएं करने की जानकारी प्राप्त हुई. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि जहां-जहां मेरे नाम पर लोगों को बुलाया गया है, मैं वहां जाऊंगा. अटल बिहारी वाजपेयी एक दिन में सभी 13 जनसभाओं को संबोधित कर बलिया जिले के लिए एक कीर्तिमान स्थापित कर दिए.

सुधाकर मिश्र ने बताया कि जनसभा समाप्त कर रात में पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले में वो रुके हुए थे, तभी कलराज मिश्र उनके कक्ष में पहुंचे. उनसे कहा कि मैं आपके पैर दबा देता हूं. इस पर अटल जी ने कहा कि आज तो मुझे किसी प्रकार की थकान ही नहीं हो रही है. आप अपने कक्ष में जाएं और आराम करें. दूसरे दिन सुबह वापस बलिया से जाते वक्त स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी अपने कमरे से बाहर निकले और भाजपा के कार्यकर्ताओं से मुस्कुराते हुए कहा 'बलिया वालो बताओ और भी कोई जनसभा रह गई हो तो उसे भी अभी करा लो'.

Intro:बलिया
तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की आज पहली पुण्यतिथि है 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में देश के एक महान व्यक्तित्व ने अंतिम सांस ली थी आजादी की क्रांति के प्रथम नायक मंगल पांडे के जनपद बलिया से भी अटल बिहारी वाजपेई का नाता जुड़ा हुआ है अटल जी से जुड़ी हुई कुछ अनसुनी कहानियां 83 वर्षीय भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्रा ने ईटीवी भारत से साझा की


Body:सुधाकर मिश्र बलिया जनपद के वह शख्सियत जिनका जीवन स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपई के तेजस्वी और ओजपूर्ण भाषण को सुनकर प्रभावित हुआ इसके बाद साठ के दशक में बीकॉम की पढ़ाई करने के दौरान ही लखनऊ के अमीनदौला पार्क उनका कार्यकर्ता बनने की ठान लिए

सुधाकर मिश्र 70 के दशक में पटना में आयोजित हुए जनसंघ के पांचवी अधिवेशन में दोबारा अटल जी के भाषण को सुनें और तब तक पूरी तरह जनसंघ के एक सक्रिय कार्यकर्ता बन चुके थे


पहली घटना


1974 में बलिया जिले की 8 विधानसभाओं में एक द्वाबा अब (बैरिया) से प्रत्याशी बनने की ललक को लेकर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यक्रम को रखवाया उस समय मुख्य अतिथि को ₹11000 की थैली देकर स्वागत करने की परंपरा थी सुधाकर मिश्रा ने बताया कि अटल जी आए जनसभा को संबोधित किया लोग उनके भाषण को सुनने के लिए बलिया ही नहीं बिहार के आरा, छपरा और बक्सर से पहुंचे हुए थे जनसभा खत्म हुई लेकिन वो थैली नही दी गई .अटल जी वापस बलिया के वरिष्ठ फौजदारी वकील शिव कुमार राय के आवास पर रात्रि विश्राम करने के लिए पहुंचे

बलिया पहुंचने पर अटल बिहारी वाजपेई खासे नाराज थे क्योंकि उन्हें सम्मान के रूप में मिलने वाली थैली नहीं मिली इस पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से पूछा वह प्रत्याशी कहां है जिसके लिए मैंने इतनी अपार जनसभा को संबोधित किया उसे बुलाओ.मुझे बुलाया गया मैं वहां पहुंचा तो अटल जी ने कहा "तुम तो बड़े चालाक निकले हम से मजदूरी करा ली लेकिन हमारी मजदूरी नहीं दी मेरा थैला मुझे नहीं मिला"

सुधाकर मिश्र ने बताया कि इस पर मैंने कहा कि इस पूरे मामले को लेकर आप तत्कालीन 3 जिलों के संगठन प्रभारी रहे कलराज मिश्र से बात कर सकते हैं कलराज मिश्र ने बताया कि यह तो प्रत्याशी ही नहीं है क्योंकि संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान बलिया से फोन गया था कि द्वाबा क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा नही की जाए यह सुनकर अटल बिहारी वाजपेई ने तुरंत नानाजी देशमुख से संपर्क कर उन्हें कहा कि कल सुबह बलिया के द्वाबा क्षेत्र से सुधाकर मिश्रा को प्रत्याशी घोषित किया जाए इसके बाद मुझे प्रत्याशी बनाया गया


दूसरी घटना


वरिष्ठ नेता सुधाकर मिश्र ने बताया कि 1986 में अटल जी का एक बार और बलिया में कार्यक्रम लगा उस दौरान तत्कालीन जिलाध्यक्ष कृष्ण शंकर पांडे ने अटल बिहारी वाजपेई की 1 दिन में 13 जनसभाएं जिले के अलग-अलग हिस्सों में रखवा दी वाजपेई जी के आने से पहले प्रदेश नेतृत्व बलिया पहुंचा तो उन्हें 13 जनसभाओं की जानकारी हुई जिस पर लोगों ने निर्णय लिया कि अटलजी के लिए सिर्फ 3 जनसभाएं रखी जाए और शेष जनसभाओं में प्रदेश का नेतृत्व पहुंचेगा

निर्धारित समय पर अटल बिहारी वाजपेई बलिया पहुंचे तो कार्यकर्ताओं के माध्यम से उनको 13 की जगह 3 जनसभाएं करने की जानकारी प्राप्त हुई जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेई ने कहा कि जहां-जहां मेरे नाम पर लोगों को बुलाया गया है मैं वहां जाऊंगा और अटल बिहारी वाजपेई 1 दिन में सभी 13 जनसभाओं को संबोधित कर बलिया जिले के लिए एक कीर्तिमान स्थापित कर दिए




Conclusion:सुधाकर मिश्र बताते हैं कि जनसभा समाप्त कर रात्रि में पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले में वो रुके हुए थे तभी कलराज मिश्र उनके कक्ष में पहुंचे और उनसे कहा कि मैं आपके पैर दबा देता हूं इस पर अटल जी ने कहा कि आज तो मुझे किसी प्रकार की थकान ही नहीं हो रही है आप अपने कक्ष में जाएं और आराम करें दूसरे दिन सुबह वापस बलिया से जाते वक्त स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई अपने कमरे से बाहर निकले और भाजपा के कार्यकर्ताओं से मुस्कुराते हुए कहा "बलिया वालों बताओ और भी कोई जनसभा रह गई हो तो उसे भी अभी करा लो"

सुधाकर मिश्रा ने बताया कि अटल जी के यह बातें सुनकर हम बलिया वासी लज्जित हो गए और अटलजी मुस्कुराते हुए अपनी गाड़ी में बैठे और रवाना हो गए

ऐसे सरल स्वभाव और कार्य के प्रति लगन शील पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की कमी भारतीय जनता पार्टी में ही नहीं बल्कि पूरे संपूर्ण भारतवर्ष को हमेशा होती रहेगी जिसकी पूर्ति भविष्य में नहीं हो सकती

one 2 one---सुधाकर मिश्र----वरिष्ठ भाजपा नेता

प्रशान्त बनर्जी
बलिया
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:25 PM IST
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