बलिया: एक बार फिर जिला अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है. जहां एक मासूम बच्चे को बुखार की दवा देने के बाद उसकी आंख की रोशनी चली गई. इस घटना से अस्पताल में हड़कंप मच गया. सीएमएस ने आनन-फानन में नेत्र चिकित्सक से मासूम की जांच कराई और उसे बेहतर इलाज के लिए वाराणसी रेफर कर दिया. सीएमएस का कहना है कि मस्तिष्क ज्वर में अक्सर आंख की रोशनी चली जाती है.
बुखार की दवा लेने गया था मासूम
बलिया जिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग सिंह के पास 6 वर्षीय मासूम को बुखार की शिकायत लेकर उसके परिजन पहुंचे थे. चिकित्सक ने बुखार की दवाई देकर उसे घर भेज दिया.
दवा खाने के बाद गई आंखों की रोशनी
रात में दवाई की एक खुराक देने के बाद सुबह बच्चे को आंख से दिखना धीरे-धीरे कम हो गया. उसके बाद वह पूरी तरीके से कुछ भी देखने में असमर्थ हो गया. इतना ही नहीं परिजनों का कहना है कि डॉक्टर की दवाई खाने के बाद उसके पेशाब करने में भी दिक्कत आने लगी.
अस्पताल में मचा हड़कंप
परिजन बच्चे को लेकर जिला अस्पताल के इमरजेंसी पहुंचे. मामले की जानकारी होते ही अस्पताल में हड़कंप मच गया. मामले पर सीएमएस का कहना है कि मस्तिष्क ज्वर में अक्सर आंख की रोशनी चली जाती है.
मां ने डॉ. पर लगाया आरोप
बच्चे की मां का आरोप है कि डॉ. अनुराग सिंह को बुखार की समस्या को लेकर दिखाया था. उन्होंने एक खुराक दवाई दी, जिसे खाने के बाद बच्चे की आंख की रोशनी चली गई.
नेत्र चिकित्सक से बच्चे की जांच कराई तो उसके आंख की परत में समस्या सामने आई है. जिसके बाद मासूम को बेहतर इलाज के लिए वाराणसी के आईएमएस रेफर किया गया है. बच्चे को मस्तिष्क ज्वर की शिकायत थी और अक्सर मस्तिष्क ज्वर में आंख की रोशनी जाने का खतरा बना रहता है.
- बीपी सिंह, सीएमएस, जिला अस्पताल
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