बहराइच: मोबाइल क्रांति के युग में युवा ही नहीं अवयस्क सहित सभी आयु वर्ग के काफी लोग इस बीमारी का शिकार है. बच्चों में मोबाइल की आदत माता-पिता उन्हें बहलाने के लिए करते हैं . धीरे-धीरे वह लत बच्चों में मोबाइल नशे का रूप ले लेती है. बहराइच में ऐसे मानसिक विकारों से ग्रसित लोगों की काउंसलिंग करने के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मन कक्ष की स्थापना की गई है.
मोबाइल का नशा छुड़ाने के लिए दवाएं उपलब्ध-
तंबाकू गांजा भांग और विभिन्न तरह के नशों के साथ मोबाइल के नशे को छुड़ाने के लिए मेडिकल कॉलेज में मन कक्ष की स्थापना की गई है. जहां विशेषज्ञों द्वारा काउंसलिंग की जाती है. आवश्यकता पड़ने पर दवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.
मानसिक रोग विशेषज्ञ ने दी जानकारी-
इन दिनों मोबाइल बड़े नशे के रूप में सामने आया है. मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से युवा अवयस्क सहित सभी आयु वर्ग के लोगों में एक नये रोग ने जन्म लिया है. बच्चों में मोबाइल की लत पड़ने की प्रमुख वजह माता पिता होते है. जो अपनी सुविधाओं के लिए बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देते हैं. जिसके चलते धीरे-धीरे वह मोबाइल के इस कदर आदी हो जाते हैं कि वह उनके हाथों से लेने पर वह आक्रोशित हो जाते हैं.
डॉक्टर विजित ने बताया कि 5 से 19 साल तक के बच्चों में इस तरह की लत मोबाइल के बड़े नशे के रूप में सामने आई है. मोबाइल की लत से परेशान माता-पिता अपने बच्चों को काउंसलिंग के लिए लाते हैं. जहां आवश्यकता पड़ने पर उन्हें दवाई उपलब्ध कराई जा रही हैं. ऐसे मानसिक विकारों से ग्रसित लोगों की काउंसलिंग करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मन कक्ष की स्थापना की गई है. जहां विशेषज्ञों की मदद से काउंसलिंग के साथ-साथ औषधि उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे प्रथम चरण में ही मानसिक विकारों को उपचारित किया जा सकता है.
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