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बहराइच: गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों को मत्स्य पालन प्रशिक्षण

यूपी के बहराइच जिले में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में मत्स्य पालन एवं प्रबंधन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें प्रवासी श्रमिकों को मत्स्य पालन के गुण सिखाए गए.

प्रवासी श्रमिकों के लिए मत्स्य पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम.
प्रवासी श्रमिकों के लिए मत्स्य पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम.
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Published : Aug 27, 2020, 6:32 PM IST

बहराइच: जिले में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में मत्स्य पालन एवं प्रबंधन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण में जनपद के विभिन्न विकासखण्डों के 35 प्रवासी श्रमिकों ने भाग लिया.

प्रशिक्षण का शुभारंभ करते हुए केंद्र प्रभारी डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि जनपद में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं. जिसे बढ़ावा देकर पोषण के साथ-साथ मत्स्य पालकों के आय में वृद्धि हो सकती है. डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि मत्स्य की प्रमुख प्रजातियां कतला, रोहू, नैन, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा कॉमन कार्प हैं. जिसके लिए पानी का पीएच मान 7.5 से 8.0 तथा ऑक्सीजन 5 मिली/लीटर होनी चाहिए. उन्होनें बताया कि फिश फार्म बनाने के लिए रेतीली भूमि पर तालाब न बनाएं. डॉ सिंह ने बताया कि मछली पालन में मुख्यतः जैविक और अजैविक खादों का उपयोग किया जाता है.

प्रशिक्षण के दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य गणेश प्रसाद ने विभागीय योजनाओं की विस्तृत जानकारी देते हुए, प्रवासी श्रमिकों को मछली पालन व्यवसाय हेतु तालाब की खुदाई एवं मछली पालन से पूर्व तालाब की तैयारी के सम्बंध में विस्तार से जानकारी दी. श्री प्रसाद ने बताया कि तालाब में मछली पालते समय कम से कम 3 प्रजातियों को एक साथ पालना चाहिए. केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र सिंह ने अजोला उत्पादन के बारे में विस्तृत जानकारी दी. जो मत्स्य उत्पादन में मछली के पौष्टिक आहार के रूप में उपयोग किया जाता है.

वहीं वैज्ञानिक डॉ आर. के. पाण्डेय ने मछली उत्पादन एवं मछलियों में होने वाले रोग एवं व्याधियों के बारे में प्रवासी श्रमिकों को जानकारी दी. प्रशिक्षण समन्वयक रेनू आर्या ने बताया कि मछली एक पौष्टिक आहार है. मछली में प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. मछली का सेवन करने से कई प्रकार के रोग जैसे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, अलजाइमर, आंख, कोलेस्ट्रोल आदि बीमारियों का खतरा कम होता है.

बहराइच: जिले में गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में मत्स्य पालन एवं प्रबंधन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण में जनपद के विभिन्न विकासखण्डों के 35 प्रवासी श्रमिकों ने भाग लिया.

प्रशिक्षण का शुभारंभ करते हुए केंद्र प्रभारी डॉ. एमपी सिंह ने बताया कि जनपद में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं. जिसे बढ़ावा देकर पोषण के साथ-साथ मत्स्य पालकों के आय में वृद्धि हो सकती है. डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि मत्स्य की प्रमुख प्रजातियां कतला, रोहू, नैन, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा कॉमन कार्प हैं. जिसके लिए पानी का पीएच मान 7.5 से 8.0 तथा ऑक्सीजन 5 मिली/लीटर होनी चाहिए. उन्होनें बताया कि फिश फार्म बनाने के लिए रेतीली भूमि पर तालाब न बनाएं. डॉ सिंह ने बताया कि मछली पालन में मुख्यतः जैविक और अजैविक खादों का उपयोग किया जाता है.

प्रशिक्षण के दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य गणेश प्रसाद ने विभागीय योजनाओं की विस्तृत जानकारी देते हुए, प्रवासी श्रमिकों को मछली पालन व्यवसाय हेतु तालाब की खुदाई एवं मछली पालन से पूर्व तालाब की तैयारी के सम्बंध में विस्तार से जानकारी दी. श्री प्रसाद ने बताया कि तालाब में मछली पालते समय कम से कम 3 प्रजातियों को एक साथ पालना चाहिए. केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र सिंह ने अजोला उत्पादन के बारे में विस्तृत जानकारी दी. जो मत्स्य उत्पादन में मछली के पौष्टिक आहार के रूप में उपयोग किया जाता है.

वहीं वैज्ञानिक डॉ आर. के. पाण्डेय ने मछली उत्पादन एवं मछलियों में होने वाले रोग एवं व्याधियों के बारे में प्रवासी श्रमिकों को जानकारी दी. प्रशिक्षण समन्वयक रेनू आर्या ने बताया कि मछली एक पौष्टिक आहार है. मछली में प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. मछली का सेवन करने से कई प्रकार के रोग जैसे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, अलजाइमर, आंख, कोलेस्ट्रोल आदि बीमारियों का खतरा कम होता है.

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