बहराइचः जिले के प्रसिद्ध समाजसेवी मुरलीधर अग्रवाल का गुरुवार को निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मुरलीधर ने बालिका शिक्षा और गौसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया. उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है. उनकी आयु 93 वर्ष थी.
मिहींपुरवा कस्बे में संचालित एकमात्र बालिका विद्यालय के संस्थापक
कई दशकों से मिहींपुरवा कस्बे में बालिका शिक्षा के लिए संचालित एकमात्र विद्यालय के संस्थापक मुरलीधर अग्रवाल ही थे. वह लड़कियों की शिक्षा बहुत जरूरी मानते थे, इसलिए सदा इस क्षेत्र में प्रयासरत रहते थे.
गौपालक के रूप में भी पहचान
मुरलीधर अग्रवाल ने गौपालक व समाजसेवी के रूप में मिहींपुरवा में अलग पहचान बनाई थी. जीवन के 93वें वर्ष में अपने पास दर्जनों प्रजाति की गाय रख उसकी देखभाल स्वयं करते थे. मुरलीधर का अलग ही व्यक्तित्व था.
समाज को किया जागरूक
सन 1927 में जन्मे मुरलीधर अग्रवाल ने सन 1980 के दशक में मिहींपुरवा जैसे अति पिछड़े गांव में कुछ लोगों के साथ मिलकर एक बालिका विद्यालय की स्थापना की. सन 1980 के दशक में शिक्षा के क्षेत्र मिहींपुरवा के लोग अति पिछड़े थे. कोई लड़कियों को शिक्षित करना ही नहीं चाहता था. ऐसे समय बालिका विद्यालय की स्थापना कर उसे सुचारु रूप से संचालित कराना काफी संघर्ष का काम था. काफी संघर्षों के बाद मुरलीधर अग्रवाल ने विद्यालय को स्थापित किया. घर-घर जाकर अभिभावकों को बालिकाओं को शिक्षित कराने हेतु प्रेरित किया. बालिका विद्यालय में करीब 10 वर्षों तक छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा दी गई. इस दौरान अभिभावकों से किसी तरह का शुल्क न लेने के बावजूद विद्यालय में योग्य अध्यापिकाओं से ही शिक्षण कार्य करवाया गया. सन 1992 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विद्यालय के बेहतरीन संचालन एवं उच्च शिक्षण गुणवत्ता देखकर विद्यालय को स्वतः अनुदानित कर दिया गया.
परिवार में हैं दो बेटे
मुरलीधर अग्रवाल की पत्नी का काफी समय पहले ही निधन हो चुका है. मुरलीधर के दो बेटे व एक बेटी हैं. सभी विवाहित हैं. मुरलीधर के निधन के बाद से घर में शोक-सांत्वना देने वालों का तांता लगा है. जिले के कई गणमान्य लोगों ने शोक व्यक्त किया है.