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बागपत : किसान अध्यादेश को राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया किसान विरोधी - state president of national jat federation

यूपी के बागपत जिले के बिजरोल गांव में किसान अध्यादेश को लेकर किसानों की एक मीटिंग आयोजित की गई. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि कृषि अध्यादेश किसानों को स्वाबलंबी बनाएगा, लेकिन हम कहते हैं कि ये किसानों को मजदूर और मजलूम बनाकर रख देगा.

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Published : Sep 21, 2020, 9:00 AM IST

बागपत : कृषि अध्यादेश का पूरे देश में विरोध हो रहा है. इसी को लेकर जिले के बिजरोल गांव में किसानों की एक मीटिंग आयोजित की गई थी. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि कृषि अध्यादेश किसानों को स्वाबलंबी बनाएगा, लेकिन हम कहते हैं कि ये किसानों को मजदूर और मजलूम बनाकर रख देगा.

कृषि अध्यादेश पर उन्होंने कहा कि कृषि अध्यादेश में आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर जो इन्होंने दाल, गेंहू, तिलहन और चावल को रखा है, उससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि बिल में एमएसपी का जिक्र तो किया है, लेकिन एमएसपी उसमें सुनिश्चित हो. एमआरपी से नीचे कोई खरीदेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो ऐसा कोई प्रावधान इसमें नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि कृषि अध्यादेश सिर्फ एक आडंबर और प्रपंच है. जिसके जरिये देश के किसानों को ठगने काम बीजेपी की सरकार कर रही है.

उन्होंने कहा कि देश कि संसद में यहां के सांसद बैठे हुए हैं उन्हें आवाज उठानी चाहिए. नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कृषि अध्यादेश में बदलाव नहीं किया गया तो हम संसद सदस्यों को यहां घुसने नहीं देंगे.

उन्होंने युवाओं को संविदा पर नौकरी के बयान पर कहा कि सरकार युवाओं को संविदा पर रखना चाहती है, तो देश के सांसद और विधायक पांच साल के लिए क्यों निर्वाचित होते हैं. सांसद और विधायक भी संविदा पर रखे जाएंगे क्या. इसके अलावा उन्होंने फिल्म सिटी के बनाने पर बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के पास फिल्मसिटी बनाने के लिए तो पैसे हैं, लेकिन किसानों को देने के लिए पैसा नहीं है. मुख्यमंत्री पहले किसानों के गन्ने का हजारों करोड़ रुपये भुगतान करें.

बागपत : कृषि अध्यादेश का पूरे देश में विरोध हो रहा है. इसी को लेकर जिले के बिजरोल गांव में किसानों की एक मीटिंग आयोजित की गई थी. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री कहते हैं कि कृषि अध्यादेश किसानों को स्वाबलंबी बनाएगा, लेकिन हम कहते हैं कि ये किसानों को मजदूर और मजलूम बनाकर रख देगा.

कृषि अध्यादेश पर उन्होंने कहा कि कृषि अध्यादेश में आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर जो इन्होंने दाल, गेंहू, तिलहन और चावल को रखा है, उससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि बिल में एमएसपी का जिक्र तो किया है, लेकिन एमएसपी उसमें सुनिश्चित हो. एमआरपी से नीचे कोई खरीदेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो ऐसा कोई प्रावधान इसमें नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि कृषि अध्यादेश सिर्फ एक आडंबर और प्रपंच है. जिसके जरिये देश के किसानों को ठगने काम बीजेपी की सरकार कर रही है.

उन्होंने कहा कि देश कि संसद में यहां के सांसद बैठे हुए हैं उन्हें आवाज उठानी चाहिए. नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कृषि अध्यादेश में बदलाव नहीं किया गया तो हम संसद सदस्यों को यहां घुसने नहीं देंगे.

उन्होंने युवाओं को संविदा पर नौकरी के बयान पर कहा कि सरकार युवाओं को संविदा पर रखना चाहती है, तो देश के सांसद और विधायक पांच साल के लिए क्यों निर्वाचित होते हैं. सांसद और विधायक भी संविदा पर रखे जाएंगे क्या. इसके अलावा उन्होंने फिल्म सिटी के बनाने पर बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के पास फिल्मसिटी बनाने के लिए तो पैसे हैं, लेकिन किसानों को देने के लिए पैसा नहीं है. मुख्यमंत्री पहले किसानों के गन्ने का हजारों करोड़ रुपये भुगतान करें.

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