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बदायूं: अपराधियों के गांव की कहानी, उनकी जिंदगी बदलने वाले सीओ की जुबानी

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के धनुपुरा गांव में कच्ची शराब बनाने का काम और अन्य अपराध खुलेआम होता था. जब से इस क्षेत्र के सीओ अनिरुद्ध सिंह ने यहां के ग्रामीणों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का उठाया बीड़ा उठाया तब से यहां की तस्वीर बदल रही है. सीओ के अथक प्रयास के बाद ग्रामवासियों ने इन्हीं कुलदेवी की कसम खाकर अपराध न करने का फैसला किया है.

सीओ अनिरुद्ध सिंह.
सीओ अनिरुद्ध सिंह.
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Published : Oct 1, 2020, 6:52 PM IST

बदायूं: जिले के कादरचौक ब्लॉक में एक गांव है धनुपुरा, यह गांव देश के मानचित्र पर अपराधों के लिए जाना जाता है. यहां के घरों में कच्ची शराब का कारोबार खुलेआम होता था. यहां विभिन्न प्रदेशों से पुलिस अपराधियों की धरपकड़ के लिए अक्सर छापे मारती रहती है, लेकिन अब इस गांव की तस्वीर बदलने जा रही है. इस क्षेत्र के सीओ अनिरुद्ध सिंह ने ग्रामवासियों की मदद से गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य शुरू कर दिया है.

घरों में बनाई जाती थी कच्ची शराब
जिले के कादरचौक विकास क्षेत्र का ग्राम धनपुरा अक्सर विवादों में रहता है. कहा जाता है कि जरायम की दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जो इस गांव में न होता हो. इस गांव को बावरियों के गांव के नाम से देशभर की पुलिस जानती है. गांव के तमाम घरों में कच्ची शराब बनाई जाती है और उसकी सप्लाई तमाम जगहों पर की जाती है. यहां के पुरुष भी अन्य प्रदेशों में जाकर चोरी और लूट की घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं, जिसके चलते अन्य प्रदेशों की पुलिस द्वारा अक्सर उनकी धरपकड़ के लिए यहां पर छापेमारी भी की जाती है. गांव के तमाम घरों में कच्ची शराब की वजह से पुरुषों की मौत हो चुकी है.

जानकारी देते सीओ अनिरुद्ध सिंह.

सीओ ने मुख्यधारा से जोड़ने का उठाया बीड़ा
सीओ अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि लगभग डेढ़ सौ साल पहले इस गांव में राजस्थान से माइग्रेंट होकर बावरिया जाति के लोग बस गए थे. इनका मुख्य पेशा अपराध था. उन्होंने बताया कि आज तक इस गांव के लोगों ने आधार कार्ड तक नहीं बनवाया है. इस गांव के लोगों की कौन सी जाति है, यह भी किसी को नहीं पता क्योंकि यहां पर किसी के पास कोई भी जाति प्रमाण पत्र नहीं है, जिससे इन्हें उसका लाभ भी नहीं मिल पाता है. पूरे देश की विभिन्न जेलों में इस गांव के 40 से ज्यादा लोग बंद हैं. बदायूं और बरेली की जेलों में यहां के लगभग 15 लोग विभिन्न अपराधों में सजा काट रहे हैं.

सीओ ने बताया कि पूरे गांव में कच्ची शराब का धंधा होता था. पुरुषों के जेल चले जाने के बाद महिलाएं इस धंधे को चलाती थीं और दूर-दूर तक यहां से सप्लाई जाया करती थी. महिलाओं ने कच्ची शराब का धंधा बिल्कुल बंद कर दिया है. पहले जो पुरुष पुलिस की गाड़ी देखकर भाग जाया करते थे और गांवभर में सिर्फ महिलाएं ही नजर आती थीं, वह पुरुष गांव की ओर वापस लौटने लगे हैं और पुलिस पर उनका विश्वास फिर से जमने लगा है.

कुलदेवी की कसम खाकर लिया फैसला
सीओ ने बताया जब आप इस गांव में आएंगे तो आपको चारो तरफ मंदिर बने हुए दिखेंगे. पूरे गांव में लगभग 40 मंदिर हैं. यहां के ग्रामवासी कुलदेवी को मानते हैं और यह सब मंदिर अपराध के पैसों से अपराधियों द्वारा ही बनवाए गए हैं. इनका मानना है कि अपराध करने जाने से पहले वह यहां पर कुलदेवी का आशीर्वाद लेकर जाते हैं, जिससे वारदात में सफलता मिलती है. सीओ के अथक प्रयास के बाद ग्रामवासियों ने इन्हीं कुलदेवी की कसम खाकर अपराध न करने का फैसला किया है.

लड़कियों को दी गई साइकिल.
लड़कियों को दी गई साइकिल.

सीओ ने बताया कि पूरे गांव में इस समय सरकार की विभिन्न योजनाओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है. गांव में खेल का मैदान बनाया गया है. वहीं दूसरी तरफ सामुदायिक केंद्र शौचालय समेत सरकार की तमाम योजनाएं इस गांव में पहुंच रही हैं. अधिकारी और कर्मचारी कैंप लगाकर लोगों के आधार कार्ड, राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र आदि सभी कागजात गांव में ही कैंप करके बना रहे हैं, जिससे अपराध से जुड़े इस गांव में अपराध का खात्मा करके यहां के निवासियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके.

ग्रामवासियों के लिए विभिन्न योजनाओं की हुई शुरुआत
गांव में क्षेत्रीय सांसद धर्मेंद्र कश्यप, क्षेत्रीय विधायक धर्मेंद्र शाक्य, जिला अधिकारी कुमार प्रशांत, एसएसपी संकल्प शर्मा ने सीओ अनिरुद्ध सिंह द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया. यहां समाज की मुख्यधारा में ग्रामवासियों को जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की गई. इसके तहत पढ़ने वाली छात्राओं को साइकिलें दी गईं, वहीं दूसरी ओर कच्ची शराब का धंधा करने वाली महिलाओं को पुराना धंधा छोड़ने पर सिलाई मशीनें उपलब्ध करवाई गईं. इसके साथ ही उन्हें कपड़ा भी उपलब्ध करवाया गया, जिसकी सहायता से वह मास्क आदि को बनाकर उनकी सप्लाई आसपास के अस्पतालों में कर अपना जीवकोपार्जन कर सकें.

बदायूं: जिले के कादरचौक ब्लॉक में एक गांव है धनुपुरा, यह गांव देश के मानचित्र पर अपराधों के लिए जाना जाता है. यहां के घरों में कच्ची शराब का कारोबार खुलेआम होता था. यहां विभिन्न प्रदेशों से पुलिस अपराधियों की धरपकड़ के लिए अक्सर छापे मारती रहती है, लेकिन अब इस गांव की तस्वीर बदलने जा रही है. इस क्षेत्र के सीओ अनिरुद्ध सिंह ने ग्रामवासियों की मदद से गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य शुरू कर दिया है.

घरों में बनाई जाती थी कच्ची शराब
जिले के कादरचौक विकास क्षेत्र का ग्राम धनपुरा अक्सर विवादों में रहता है. कहा जाता है कि जरायम की दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जो इस गांव में न होता हो. इस गांव को बावरियों के गांव के नाम से देशभर की पुलिस जानती है. गांव के तमाम घरों में कच्ची शराब बनाई जाती है और उसकी सप्लाई तमाम जगहों पर की जाती है. यहां के पुरुष भी अन्य प्रदेशों में जाकर चोरी और लूट की घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं, जिसके चलते अन्य प्रदेशों की पुलिस द्वारा अक्सर उनकी धरपकड़ के लिए यहां पर छापेमारी भी की जाती है. गांव के तमाम घरों में कच्ची शराब की वजह से पुरुषों की मौत हो चुकी है.

जानकारी देते सीओ अनिरुद्ध सिंह.

सीओ ने मुख्यधारा से जोड़ने का उठाया बीड़ा
सीओ अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि लगभग डेढ़ सौ साल पहले इस गांव में राजस्थान से माइग्रेंट होकर बावरिया जाति के लोग बस गए थे. इनका मुख्य पेशा अपराध था. उन्होंने बताया कि आज तक इस गांव के लोगों ने आधार कार्ड तक नहीं बनवाया है. इस गांव के लोगों की कौन सी जाति है, यह भी किसी को नहीं पता क्योंकि यहां पर किसी के पास कोई भी जाति प्रमाण पत्र नहीं है, जिससे इन्हें उसका लाभ भी नहीं मिल पाता है. पूरे देश की विभिन्न जेलों में इस गांव के 40 से ज्यादा लोग बंद हैं. बदायूं और बरेली की जेलों में यहां के लगभग 15 लोग विभिन्न अपराधों में सजा काट रहे हैं.

सीओ ने बताया कि पूरे गांव में कच्ची शराब का धंधा होता था. पुरुषों के जेल चले जाने के बाद महिलाएं इस धंधे को चलाती थीं और दूर-दूर तक यहां से सप्लाई जाया करती थी. महिलाओं ने कच्ची शराब का धंधा बिल्कुल बंद कर दिया है. पहले जो पुरुष पुलिस की गाड़ी देखकर भाग जाया करते थे और गांवभर में सिर्फ महिलाएं ही नजर आती थीं, वह पुरुष गांव की ओर वापस लौटने लगे हैं और पुलिस पर उनका विश्वास फिर से जमने लगा है.

कुलदेवी की कसम खाकर लिया फैसला
सीओ ने बताया जब आप इस गांव में आएंगे तो आपको चारो तरफ मंदिर बने हुए दिखेंगे. पूरे गांव में लगभग 40 मंदिर हैं. यहां के ग्रामवासी कुलदेवी को मानते हैं और यह सब मंदिर अपराध के पैसों से अपराधियों द्वारा ही बनवाए गए हैं. इनका मानना है कि अपराध करने जाने से पहले वह यहां पर कुलदेवी का आशीर्वाद लेकर जाते हैं, जिससे वारदात में सफलता मिलती है. सीओ के अथक प्रयास के बाद ग्रामवासियों ने इन्हीं कुलदेवी की कसम खाकर अपराध न करने का फैसला किया है.

लड़कियों को दी गई साइकिल.
लड़कियों को दी गई साइकिल.

सीओ ने बताया कि पूरे गांव में इस समय सरकार की विभिन्न योजनाओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है. गांव में खेल का मैदान बनाया गया है. वहीं दूसरी तरफ सामुदायिक केंद्र शौचालय समेत सरकार की तमाम योजनाएं इस गांव में पहुंच रही हैं. अधिकारी और कर्मचारी कैंप लगाकर लोगों के आधार कार्ड, राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र आदि सभी कागजात गांव में ही कैंप करके बना रहे हैं, जिससे अपराध से जुड़े इस गांव में अपराध का खात्मा करके यहां के निवासियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके.

ग्रामवासियों के लिए विभिन्न योजनाओं की हुई शुरुआत
गांव में क्षेत्रीय सांसद धर्मेंद्र कश्यप, क्षेत्रीय विधायक धर्मेंद्र शाक्य, जिला अधिकारी कुमार प्रशांत, एसएसपी संकल्प शर्मा ने सीओ अनिरुद्ध सिंह द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया. यहां समाज की मुख्यधारा में ग्रामवासियों को जोड़ने के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की गई. इसके तहत पढ़ने वाली छात्राओं को साइकिलें दी गईं, वहीं दूसरी ओर कच्ची शराब का धंधा करने वाली महिलाओं को पुराना धंधा छोड़ने पर सिलाई मशीनें उपलब्ध करवाई गईं. इसके साथ ही उन्हें कपड़ा भी उपलब्ध करवाया गया, जिसकी सहायता से वह मास्क आदि को बनाकर उनकी सप्लाई आसपास के अस्पतालों में कर अपना जीवकोपार्जन कर सकें.

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