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किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं मेधा पाटेकर, कहा- सबसे खतरनाक है गैर बराबरी का वायरस - under construction international airport

आजमगढ़ में निर्माणाधीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. अब इन किसानों को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर का साथ मिला है.

किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं मेधा पाटेकर
किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं मेधा पाटेकर
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Published : Nov 9, 2022, 4:14 PM IST

आजमगढ़: जनपद में निर्माणाधीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अब इन किसानों को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर का साथ मिला है. मेधा पाटेकर ने किसानों के आंदोलन में शामिल होकर उनके हक के लिए आवाज उठाने की बात कही.

किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं मेधा पाटेकर ने केंद्र सरकार और प्रसिद्ध व्यवसायी अडानी/अंबानी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अडानी और अंबानी धनी लोगों की सूची में चौथे और पांचवें नंबर पर आए थे. आज उनकी एक दिन की कमाई एक हजार करोड़ से अधिक है. उन्होंने दावा कि बीजेपी सरकार संविधान को नहीं मानती है. बीजेपी सरकार श्रमिकों के कानून को बदलकर आम आदमी से हक छीनने की कोशिश कर रही है. मेधा पाटेकर ने कहा कि बीजेपी की सरकार पहले अकड़ दिखाती है, लेकिन जब चुनाव आता है तो झुक जाती है. पाटेकर ने कहा कि वह आंदोलन कर रहे किसानों के साथ हैं.

किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं मेधा पाटेकर


मेधा ने कहा कि हम नेता नहीं हैं और ना ही हमारा कोई घोषणा पत्र है. उन्होंने बताया कि नर्मदा आंदोलन 37 साल चला, तब जमीन के बदले जमीन मिली. वह भी कम से कम 5 एकड़, अभी हजारों लोगों के हक की लड़ाई जारी है. उन्होंने कहा कि जरा सोचिए गुजरात में मोदी जी को नर्मदा का मुद्दा क्यों याद आता है. क्योंकि वे समझ गए हैं कि गुजरात ने नर्मदा के मुद्दे पर उन्हें फंसाया है. लोग आंदोलन की राह तय करते हैं नेता नहीं.

किसानों को मिला सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर का साथ
किसानों को मिला सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर का साथ

यह आंदोलन हमारा जन आंदोलन है. पाटेकर ने आजमगढ़ के डीएम द्वार दिए गए बयान पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ग्राम पंचायत को नकार रही है. ग्राम सभा को भारत सरकार नहीं मानती है. आज की सरकार संविधान और कानून को नहीं मानती है, यह दुख की बात है. कोरोना से भी बड़े वायरस आ जाएंगे, लेकिन ये गैर बराबरी का वायरस सबसे खतरनाक है.
विस्थापन और विनाश का वायरस सबसे खतरनाक है. इसलिए लोगों की जान बचाने के लिए हम उनके साथ हैं. उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन अहिंसक होगा. हम अंबेडकर और गांधी को मानते हैं. आज देश में बड़े आंदोलन की जरूरत है. किसानों ने 7 महीनें के आंदोलन में 713 शहादत दी. इसके बाद कृषि कानून वापस लिया गया. अभी श्रम कानून वापस ले रहे हैं, आजादी के बाद श्रमिकों को न्याय देने के लिए जो कानून बने उसे यह कमजोर कर 4 कानून थोप रहे हैं.

इसे पढ़ें- सीएम योगी की गाड़ी गड्ढे में फंसी, अधिकारियों का हाथ पांव फूले

आजमगढ़: जनपद में निर्माणाधीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अब इन किसानों को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर का साथ मिला है. मेधा पाटेकर ने किसानों के आंदोलन में शामिल होकर उनके हक के लिए आवाज उठाने की बात कही.

किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं मेधा पाटेकर ने केंद्र सरकार और प्रसिद्ध व्यवसायी अडानी/अंबानी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अडानी और अंबानी धनी लोगों की सूची में चौथे और पांचवें नंबर पर आए थे. आज उनकी एक दिन की कमाई एक हजार करोड़ से अधिक है. उन्होंने दावा कि बीजेपी सरकार संविधान को नहीं मानती है. बीजेपी सरकार श्रमिकों के कानून को बदलकर आम आदमी से हक छीनने की कोशिश कर रही है. मेधा पाटेकर ने कहा कि बीजेपी की सरकार पहले अकड़ दिखाती है, लेकिन जब चुनाव आता है तो झुक जाती है. पाटेकर ने कहा कि वह आंदोलन कर रहे किसानों के साथ हैं.

किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं मेधा पाटेकर


मेधा ने कहा कि हम नेता नहीं हैं और ना ही हमारा कोई घोषणा पत्र है. उन्होंने बताया कि नर्मदा आंदोलन 37 साल चला, तब जमीन के बदले जमीन मिली. वह भी कम से कम 5 एकड़, अभी हजारों लोगों के हक की लड़ाई जारी है. उन्होंने कहा कि जरा सोचिए गुजरात में मोदी जी को नर्मदा का मुद्दा क्यों याद आता है. क्योंकि वे समझ गए हैं कि गुजरात ने नर्मदा के मुद्दे पर उन्हें फंसाया है. लोग आंदोलन की राह तय करते हैं नेता नहीं.

किसानों को मिला सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर का साथ
किसानों को मिला सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर का साथ

यह आंदोलन हमारा जन आंदोलन है. पाटेकर ने आजमगढ़ के डीएम द्वार दिए गए बयान पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ग्राम पंचायत को नकार रही है. ग्राम सभा को भारत सरकार नहीं मानती है. आज की सरकार संविधान और कानून को नहीं मानती है, यह दुख की बात है. कोरोना से भी बड़े वायरस आ जाएंगे, लेकिन ये गैर बराबरी का वायरस सबसे खतरनाक है.
विस्थापन और विनाश का वायरस सबसे खतरनाक है. इसलिए लोगों की जान बचाने के लिए हम उनके साथ हैं. उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन अहिंसक होगा. हम अंबेडकर और गांधी को मानते हैं. आज देश में बड़े आंदोलन की जरूरत है. किसानों ने 7 महीनें के आंदोलन में 713 शहादत दी. इसके बाद कृषि कानून वापस लिया गया. अभी श्रम कानून वापस ले रहे हैं, आजादी के बाद श्रमिकों को न्याय देने के लिए जो कानून बने उसे यह कमजोर कर 4 कानून थोप रहे हैं.

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