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सरकारी मालखाने में 'वनवास' काट रहे प्रभु श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण - nizamabad taposthali

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के निजामाबाद में स्थित मंदिर की प्रतिमा आज भी सरकारी मालखाने में रखी हुई है. यह प्रतिमा प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और माता जानकी की है. साल 1998 में इन प्रतिमाओं को चोरी कर लिया गया था. हालांकि उस समय तो इन्हें बरामद कर लिया गया, लेकिन तभी से आज तक यह प्रतिमाएं सरकारी मालखाने में ही हैं. सुरक्षा के अभाव में इन प्रतिमाओं को आज तक मंदिर में स्थापित नहीं किया जा सका है.

मालखाने में प्रभु श्रीराम
मालखाने में प्रभु श्रीराम
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Published : Dec 27, 2020, 2:05 PM IST

आजमगढ़: अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर का जहां निर्माण शुरू हो गया है, तो वहीं आजमगढ़ के निजामाबाद में स्थापित दत्तात्रेय ऋषि के आश्रम में अष्ठधातु की राम जानकी और लक्ष्मण की मूर्ति 20 साल से सुरक्षा के अभाव में सरकारी मालखाने में वनवास काट रही है. यह प्रतिमाएं अपने मंदिर लौटने का आज भी इंतजार कर रही है.

मंदिर की बाट जोह रही प्रतिमाएं.

त्रेता युग में जिस प्रभु श्रीराम पर ऋषि-मुनियों और प्रजा की रक्षा का दायित्व था, वह कलयुग में खुद ही सुरक्षा के आभाव में सरकारी मालखाने में वनवास काट रहे हैं. सति अनसुईया के पुत्र दत्तात्रेय ऋषि ने शहर से 20 किलोमीटर दूर निजामाबाद में अपना आश्रम स्थापित किया था. वहीं पर उन्होंने तपस्या की और उनके बाद तमाम ऋषि-मुनियों ने भी यहीं पर साधना और तपस्या की, जिससे यह धाम अलौकिक हो गया.

सरकारी मालखाने में वनवास काट रही मूर्ति

मंदिर के पुजारी राजू दास की मानें तो 1998 में यहां स्थापित श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण की स्थापित अष्टधातु की मूर्ति को चोरों ने चुरा लिया. इसके बाद काफी प्रयास से पुलिस ने मूर्ति को बरामद किया था, जिसकी कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये थी. मूर्ति बरामद होने के बाद इसे सरकारी मालखाने में जमा करवा दिया गया था. वहीं अब इस घटना के 20 साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी मूर्ति को अभी तक मंदिर में स्थापित नहीं किया जा सका है.

प्राचीन मान्यताओं से जुड़ा है मंदिर

सती अनसुईया के तीन पुत्रों दुर्वाशा ऋषि, चंद्रमा ऋषि और दत्तात्रेय ऋषि ने तमसा किनारे स्थित आजमगढ़ को अपनी तपोस्थली बनाया. इसमे दत्तात्रेय धाम निजामाबाद में स्थापित हुआ. मान्यता है कि यह ऋषि भगवान विष्णु के अवतार थे, इसलिए इस धाम की महत्ता और लोकप्रियता काफी ज्यादा है.

पुजारियों ने बताया सुरक्षा का आभाव

मंदिर के पुजारी राजू दास ने बताया कि दत्तात्रेय ऋषि भगवान विष्णु के अवतार थे. उन्होंने इस धाम की स्थापना की थी. यहां पर उनके बाद तमाम ऋषि-मुनियों ने साधना की, लेकिन आज यह धाम अपने राम के बिना है. उन्होंने बताया कि यहां स्थापित राम, जानकी और लक्ष्मण की मूर्ति सरकारी मालखाने में रखी हुई है.

वहीं मंदिर के दूसरे पुजारी ओमकार दास का कहना है कि यह धाम अलौकिक है. इसके बाद भी यहां के लिए कोई सरकार या अधिकारी कुछ नहीं सोच रहे. उनका कहना है कि मंदिर के राम सुरक्षा के अभाव में मालखाने में हैं. अयोध्या के राम की तरह यहां भी राम को जल्द ही मंदिर में स्थापित किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने मूर्ति की सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी बनाए जाने की भी मांग की है.

आजमगढ़: अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर का जहां निर्माण शुरू हो गया है, तो वहीं आजमगढ़ के निजामाबाद में स्थापित दत्तात्रेय ऋषि के आश्रम में अष्ठधातु की राम जानकी और लक्ष्मण की मूर्ति 20 साल से सुरक्षा के अभाव में सरकारी मालखाने में वनवास काट रही है. यह प्रतिमाएं अपने मंदिर लौटने का आज भी इंतजार कर रही है.

मंदिर की बाट जोह रही प्रतिमाएं.

त्रेता युग में जिस प्रभु श्रीराम पर ऋषि-मुनियों और प्रजा की रक्षा का दायित्व था, वह कलयुग में खुद ही सुरक्षा के आभाव में सरकारी मालखाने में वनवास काट रहे हैं. सति अनसुईया के पुत्र दत्तात्रेय ऋषि ने शहर से 20 किलोमीटर दूर निजामाबाद में अपना आश्रम स्थापित किया था. वहीं पर उन्होंने तपस्या की और उनके बाद तमाम ऋषि-मुनियों ने भी यहीं पर साधना और तपस्या की, जिससे यह धाम अलौकिक हो गया.

सरकारी मालखाने में वनवास काट रही मूर्ति

मंदिर के पुजारी राजू दास की मानें तो 1998 में यहां स्थापित श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण की स्थापित अष्टधातु की मूर्ति को चोरों ने चुरा लिया. इसके बाद काफी प्रयास से पुलिस ने मूर्ति को बरामद किया था, जिसकी कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में करोड़ों रुपये थी. मूर्ति बरामद होने के बाद इसे सरकारी मालखाने में जमा करवा दिया गया था. वहीं अब इस घटना के 20 साल से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी मूर्ति को अभी तक मंदिर में स्थापित नहीं किया जा सका है.

प्राचीन मान्यताओं से जुड़ा है मंदिर

सती अनसुईया के तीन पुत्रों दुर्वाशा ऋषि, चंद्रमा ऋषि और दत्तात्रेय ऋषि ने तमसा किनारे स्थित आजमगढ़ को अपनी तपोस्थली बनाया. इसमे दत्तात्रेय धाम निजामाबाद में स्थापित हुआ. मान्यता है कि यह ऋषि भगवान विष्णु के अवतार थे, इसलिए इस धाम की महत्ता और लोकप्रियता काफी ज्यादा है.

पुजारियों ने बताया सुरक्षा का आभाव

मंदिर के पुजारी राजू दास ने बताया कि दत्तात्रेय ऋषि भगवान विष्णु के अवतार थे. उन्होंने इस धाम की स्थापना की थी. यहां पर उनके बाद तमाम ऋषि-मुनियों ने साधना की, लेकिन आज यह धाम अपने राम के बिना है. उन्होंने बताया कि यहां स्थापित राम, जानकी और लक्ष्मण की मूर्ति सरकारी मालखाने में रखी हुई है.

वहीं मंदिर के दूसरे पुजारी ओमकार दास का कहना है कि यह धाम अलौकिक है. इसके बाद भी यहां के लिए कोई सरकार या अधिकारी कुछ नहीं सोच रहे. उनका कहना है कि मंदिर के राम सुरक्षा के अभाव में मालखाने में हैं. अयोध्या के राम की तरह यहां भी राम को जल्द ही मंदिर में स्थापित किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने मूर्ति की सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी बनाए जाने की भी मांग की है.

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