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आज़मगढ़ महोत्सव: भूले लोकगीत चइता का चढ़ा रंग, सुनो मासूमों की जुबानी - लोकगीत चइता

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में लोकगीत से परिचित करवाने के लिए डीएम की पहल पर आजमगढ़ महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इसी कार्यक्रम के अनुसार सगड़ी में आयोजित महोत्सव में मासूम बच्चों ने चइता थीम पर प्रस्तुत दी. महोत्सव में महिला स्ववालंबन से जुड़े कई स्टॉल भी लगाए गए हैं.

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लोकगीत 'चइता' की अद्भुत प्रस्तुति.
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Published : Dec 11, 2019, 5:32 PM IST

Updated : Dec 11, 2019, 7:19 PM IST

आजमगढ़ः पूर्वांचल का विलुप्त होता मशहूर लोकगीत 'चइता' अब अपने पुराने रंग में आता दिख रहा है. आज़मगढ़ महोत्सव से पहले सगड़ी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी पूरी थीम ही चइता पर आधारित है. इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने मंच पर चइता की प्रस्तुत दी. इसी दौरान ईटीवी भारत पर चइता लोकगीत भी सुनाया.

लोकगीत 'चइता' की प्रस्तुति.

'चइता' अब अपने पुराने रंग में वापस
पूर्वांचल का मशहूर लोकगीत 'चइता' नए गानों के आने के बाद विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है. वर्तमान दौर के युवा और मासूम अपने लोकगीत को भूल बॉलीवुड के गानों के दीवाने हो गए है.

ऐसे में इन्हें इनकी संस्कृति, पुरानी परंपरा और लोकगीत से परिचित करवाने के लिए आजमगढ़ डीएम की पहल पर आजमगढ़ महोत्सव का आयोजन किया जाना है. इसके पूर्व सगड़ी महोत्सव के दौरान मासूम बच्चे चइता थीम पर एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत करते नजर आए.

लोकगीत 'चइता' की अद्भुत प्रस्तुति
कार्यक्रम में प्रस्तुति करने आए मासूम बच्चों ने ईटीवी भारत पर लोकगीत 'चइता' की अद्भुत प्रस्तुति दी. उन्होंने चइत मास यानी अप्रैल महीने में किस तरह पूर्व में खेत खलियानों के कार्यों को उत्सव के रूप में लोकगीत के साथ करते थे. अब यह प्रथा और गाने विलुप्त हो गए है.

महोत्सव की खास बातें

  • सगड़ी महोत्सव में लोकगीत के साथ बच्चों ने लोकनृत्य का प्रदर्शन किया.
  • इस दौरान महिला समूह के कई स्टाल लगाए गए.
  • इस स्टाल में महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों को बेचने के लिए रखा गया.
  • इन उत्पादों में महिलाओं द्वारा बनाए गए चप्पल, मुबारकपुर की बनारसी साड़ी,अगरबत्ती और घर के साज-सज्जा के समान थे.

इसे भी पढ़ें- आज दिया जाएगा सूर्यदेव को पहला अर्घ्य, लोकगीतों से हो रहा छठ महापर्व का गुणगान

आजकल के बच्चे अपनी माटी की सुगंध से काफी दूर हो गए हैं. ऐसे में उन्हें चइता के विषय की सम्पूर्ण जानकारी देकर, उन्हें उनकी संस्कृति और माटी से जोड़ा जा रहा है.
-प्रज्ञा राय, अध्यापिका

आजमगढ़ः पूर्वांचल का विलुप्त होता मशहूर लोकगीत 'चइता' अब अपने पुराने रंग में आता दिख रहा है. आज़मगढ़ महोत्सव से पहले सगड़ी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी पूरी थीम ही चइता पर आधारित है. इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने मंच पर चइता की प्रस्तुत दी. इसी दौरान ईटीवी भारत पर चइता लोकगीत भी सुनाया.

लोकगीत 'चइता' की प्रस्तुति.

'चइता' अब अपने पुराने रंग में वापस
पूर्वांचल का मशहूर लोकगीत 'चइता' नए गानों के आने के बाद विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है. वर्तमान दौर के युवा और मासूम अपने लोकगीत को भूल बॉलीवुड के गानों के दीवाने हो गए है.

ऐसे में इन्हें इनकी संस्कृति, पुरानी परंपरा और लोकगीत से परिचित करवाने के लिए आजमगढ़ डीएम की पहल पर आजमगढ़ महोत्सव का आयोजन किया जाना है. इसके पूर्व सगड़ी महोत्सव के दौरान मासूम बच्चे चइता थीम पर एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत करते नजर आए.

लोकगीत 'चइता' की अद्भुत प्रस्तुति
कार्यक्रम में प्रस्तुति करने आए मासूम बच्चों ने ईटीवी भारत पर लोकगीत 'चइता' की अद्भुत प्रस्तुति दी. उन्होंने चइत मास यानी अप्रैल महीने में किस तरह पूर्व में खेत खलियानों के कार्यों को उत्सव के रूप में लोकगीत के साथ करते थे. अब यह प्रथा और गाने विलुप्त हो गए है.

महोत्सव की खास बातें

  • सगड़ी महोत्सव में लोकगीत के साथ बच्चों ने लोकनृत्य का प्रदर्शन किया.
  • इस दौरान महिला समूह के कई स्टाल लगाए गए.
  • इस स्टाल में महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों को बेचने के लिए रखा गया.
  • इन उत्पादों में महिलाओं द्वारा बनाए गए चप्पल, मुबारकपुर की बनारसी साड़ी,अगरबत्ती और घर के साज-सज्जा के समान थे.

इसे भी पढ़ें- आज दिया जाएगा सूर्यदेव को पहला अर्घ्य, लोकगीतों से हो रहा छठ महापर्व का गुणगान

आजकल के बच्चे अपनी माटी की सुगंध से काफी दूर हो गए हैं. ऐसे में उन्हें चइता के विषय की सम्पूर्ण जानकारी देकर, उन्हें उनकी संस्कृति और माटी से जोड़ा जा रहा है.
-प्रज्ञा राय, अध्यापिका

Intro:एंकर- उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का मशहूर विलुप्त हो चुका लोकगीत "चइता" अब अपने पुराने रंग में वापस आता दिख रहा है। आज़मगढ़ महोत्सव से पूर्व सगड़ी में आयोजित महोत्सव की पूरी थीम ही चइता पर आधारित है इस दौरान अपने बड़े बुजुर्गों से चइता के विषय मे जानकारी पाने वाले मासूम बच्चे ईटीवी भारत पर चइता लोकगीत गाये।


Body:वीवो1- कभी पूर्वांचल में मशहूर रहे लोकगीत "चईता" ट्रेडिशनल गानों के आने के बाद विलुप्त हो गया था। वर्तमान दौर के युवा और मासूम बच्चे अपने लोकगीत को भूल बॉलीवुड के गानों के दीवाने हो गए है। ऐसे में इन्हें इनकी संस्कृति, पुरानी परंपरा और लोकगीत से परिचित करवाने के लिए आज़मगढ़ डीएम की पहल पर आज़मगढ़ महोत्सव का आयोजन किया जाना है इसके पूर्व सगड़ी महोत्सव के दौरान मासूम बच्चे चइता थीम पर एक से बढ़ एक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

वीवो2- कार्यक्रम में प्रस्तुति करने आये मासूम ने ईटीवी भारत के कैमरे पर लोकगीत "चइता" की अद्भुत प्रस्तुति दी जिसमे उन्होंने चइत मास यानी अप्रैल महीने में किस तरह पूर्व में परिवार घर के कामो के साथ ही खेत खलियानों के कार्यो को उत्सव के रूप में लोकगीत के साथ करते थे। अब यह प्रथा और गाने विलुप्त हो गए है।


Conclusion:ईटीवी भारत पर लोकगीत चइता गाने से पूर्व प्राइमरी की छात्रा साधना प्रजापति ने कहा कि चइता उनका लोकगीत होने के साथ लोकपरंपरा में शामिल है। वह आज चइता पर नृत्य और गाना प्रस्तुत कर खुश है।

मासूमों को चइता सिखाने वाली प्राथमिक विद्यालय की अध्यापिका प्रज्ञा राय ने बताया कि चइता उनकी लोकसंस्कृति है और आजकल के बच्चे अपनी माटी की सुगंध से काफी दूर हो गए है और अपना पूरा समय मोबाइल और इंटरनेट पर दे रहे है। ऐसे में उन्हें चइता के विषय मे सम्पूर्ण जानकारी दे कर उन्हें उनकी संस्कृति और माटी से जोड़ा जा रहा है।

प्रत्युष
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Last Updated : Dec 11, 2019, 7:19 PM IST
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