आजमगढ़ः पूर्वांचल का विलुप्त होता मशहूर लोकगीत 'चइता' अब अपने पुराने रंग में आता दिख रहा है. आज़मगढ़ महोत्सव से पहले सगड़ी में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी पूरी थीम ही चइता पर आधारित है. इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने मंच पर चइता की प्रस्तुत दी. इसी दौरान ईटीवी भारत पर चइता लोकगीत भी सुनाया.
'चइता' अब अपने पुराने रंग में वापस
पूर्वांचल का मशहूर लोकगीत 'चइता' नए गानों के आने के बाद विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है. वर्तमान दौर के युवा और मासूम अपने लोकगीत को भूल बॉलीवुड के गानों के दीवाने हो गए है.
ऐसे में इन्हें इनकी संस्कृति, पुरानी परंपरा और लोकगीत से परिचित करवाने के लिए आजमगढ़ डीएम की पहल पर आजमगढ़ महोत्सव का आयोजन किया जाना है. इसके पूर्व सगड़ी महोत्सव के दौरान मासूम बच्चे चइता थीम पर एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत करते नजर आए.
लोकगीत 'चइता' की अद्भुत प्रस्तुति
कार्यक्रम में प्रस्तुति करने आए मासूम बच्चों ने ईटीवी भारत पर लोकगीत 'चइता' की अद्भुत प्रस्तुति दी. उन्होंने चइत मास यानी अप्रैल महीने में किस तरह पूर्व में खेत खलियानों के कार्यों को उत्सव के रूप में लोकगीत के साथ करते थे. अब यह प्रथा और गाने विलुप्त हो गए है.
महोत्सव की खास बातें
- सगड़ी महोत्सव में लोकगीत के साथ बच्चों ने लोकनृत्य का प्रदर्शन किया.
- इस दौरान महिला समूह के कई स्टाल लगाए गए.
- इस स्टाल में महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों को बेचने के लिए रखा गया.
- इन उत्पादों में महिलाओं द्वारा बनाए गए चप्पल, मुबारकपुर की बनारसी साड़ी,अगरबत्ती और घर के साज-सज्जा के समान थे.
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आजकल के बच्चे अपनी माटी की सुगंध से काफी दूर हो गए हैं. ऐसे में उन्हें चइता के विषय की सम्पूर्ण जानकारी देकर, उन्हें उनकी संस्कृति और माटी से जोड़ा जा रहा है.
-प्रज्ञा राय, अध्यापिका