अयोध्याः राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट क्षेत्र द्वारा खरीदी गई जमीन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. आप आदमी पार्टी संजय सिंह द्वारा उठाए गए सवाल के बाद अब पूरा विपक्ष ट्रस्ट की कार्यशैली को लेकर हमलावर है. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष के आरोपों में कई कड़ियां ऐसी हैं, जिन पर भी सवाल उठ रहे हैं.
बड़ी बात यह है कि इस मामले को लेकर पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया और ठीक उसी समय अयोध्या से पूर्व विधायक और सपा की सरकार में राज्य मंत्री रहे तेज नारायण पांडे पवन ने भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और उससे जुड़े सदस्यों को भ्रष्टाचार के मामले में कठघरे में खड़ा किया. बड़ा सवाल यह है कि जमीन का सौदा करने वाले प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी के समाजवादी पार्टी के साथ गहरे तालुकात हैं. मामला उठने के बाद से ही सुल्तान अंसारी अपने घर से गायब है. ऐसे में आरोपों की टाइमिंग और आरोपों पर सवाल उठना लाजमी है.
मेयर ने जारी किया बयान
अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा जमीन का एग्रीमेंट कराए जाने के मामले में अब एक नया मोड़ सामने आ रहा है. इस एग्रीमेंट में गवाह बने अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने एक बयान जारी करते हुए मीडिया कर्मियों से कहा है कि कोई जमीन का दो वर्ष पूर्व में प्रॉपर्टी डीलर के जरिए एग्रीमेंट हुआ था, जो पुराने रेट पर था. जमीन को आज के रेट पर ट्रस्ट को बेचा गया है, इसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है बाकी की जानकारी प्रॉपर्टी डीलर से जाकर ली जानी चाहिए.
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2 साल पहले जमीन बेचने का एग्रीमेंट, वर्तमान कीमत पर जमीन बेचने पर हो रहा है विवाद
बड़ी बात यह है कि अभी तक एक पत्र जारी करने के अलावा ट्रस्ट ने सामने आकर इस पूरे मामले पर कोई बयान नहीं दिया है. ट्रस्ट ने महासचिव चंपत राय के हवाले से जो बयान जारी किया उसमें भी मेयर ऋषिकेश उपाध्याय की ही बात को दोहराया गया है, जिसमें ट्रस्ट ने यह दावा किया है कि उस जमीन का पहले से एग्रीमेंट कराया गया था. अयोध्या में राम जन्म भूमि का फैसला आने के बाद जमीन की कीमतें बढ़ गई. इसलिए ट्रस्ट ने वर्तमान की कीमत को देखते हुए जमीन का सौदा किया है. जिसमें कोई अनियमितता नहीं की गई है.
समाजवादी पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता है जमीन बेचने वाला प्रॉपर्टी डीलर
इस पूरे मामले में कई कड़ियां ऐसी हैं जिन पर सवाल भी उठ रहे हैं. बड़ी बात यह है कि इस मामले को लेकर पहले आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया और ठीक उसी समय अयोध्या से पूर्व विधायक और सपा की सरकार में राज्य मंत्री रहे तेज नारायण पांडे ने भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और उससे जुड़े सदस्यों को भ्रष्टाचार के मामले को लेकर कठघरे में खड़ा किया. बड़ा सवाल यह है कि जमीन का सौदा करने वाले प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी के तालुकात समाजवादी पार्टी से भी गहरे रहे हैं. उसकी कई तस्वीरें सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और स्वयं पवन पांडे के साथ भी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है.
पहले कम थी जमीन की कीमत
वहीं सूत्रों की माने तो साल 2019 में बस्ती जनपद के पटकापुर के रहने वाले हरी पाठक उर्फ बाबा हरिदास ने यह जमीन दो करोड़ में सुल्तान अंसारी बिल्डर और अन्य 8 पार्ट्नर को बेचने के लिए एक रजिस्टर्ड करार नामा किया, जिसके एवज़ में पचास लाख रुपये भी दिए जाने की चर्चा है. बात यह है कि उस समय तक अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले को लेकर कोर्ट का फैसला नहीं आया था. इसलिए जमीनों की कीमतें भी कई जगहों पर बेहद कम थी. यही वजह है की हरी पाठक ने भी शहर के बाहरी हिस्से में मौजूद उस जमीन का सौदा प्रॉपर्टी डीलरों से दो करोड़ में तय कर लिया था.
मंदिर पर फैसले के बाद बढ़े जमीन के रेट
जब अयोध्या में राम जन्म भूमि का फैसला आया तो जमीन की कीमतें बढ़ गई. ऐसे में करार के मुताबिक हरी पाठक को पुराने रेट पर ही प्रॉपर्टी डीलरों को जमीन बेचनी पड़ी. जिसके बाद प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी और रवी मोहन तिवारी ने इस जमीन को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को ₹185000000 में सौदा तक कर लिया. हालांकि इन सारी बातों की पुष्टि अभी तक प्रॉपर्टी डीलर और ट्रस्ट ने नहीं की है, लेकिन ट्रस्ट द्वारा जारी किए गए पत्र में इन्हीं बातों का जिक्र किया गया है. जिससे साफ है कि पूरा मामला सिर्फ पुराने रेट में जमीन खरीदने और आज की रेट में जमीन बेचने का है और यही वजह है कि ट्रस्ट बड़ी बेबाकी से पत्र जारी कर किसी भी अनियमितता के होने से इनकार कर रहा है.
ट्रस्ट को भी देने होंगे कई सवालों के जवाब
वहीं सवाल इस बात पर भी उठ रहा है कि आखिरकार प्रॉपर्टी डीलर और जमीन के मालिक हरी पाठक उर्फ बाबा हरिदास के बीच हुए बैनामे में ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय को गवाह बनने की जरूरत क्यों पड़ी. वहीं सवाल यह भी है कि आखिरकार इस बैनामे के होने के 5 मिनट बाद ही आखिरकार ट्रस्ट ने इस जमीन का एग्रीमेंट क्यों करा लिया. आखिरकार इतनी जल्दबाजी किस बात की थी. यह कई सवाल है जिनका जवाब ट्रस्ट और ट्रस्ट के पदाधिकारियों को देना है. हालांकि इस मामले की चर्चा में आने के बाद इस प्रकरण से ज्यादा जुड़े ज्यादातर लोग बात करने से कतरा रहे हैं. वहीं प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी अपने घर से गायब है. चर्चा इस बात की भी है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बहुत जल्द एक प्रेस वार्ता कर पूरे प्रकरण पर अपना पक्ष रख सकता है.
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इस समय अयोध्या में जमीन की कीमतें और कितने में ट्रस्ट ने खरीदी
वहीं अगर जमीन की कीमत ज्यादा देने की बात की जाए तो वर्तमान में अयोध्या शहर के केंद्र से 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर आमतौर पर 1500 से लेकर ₹4000 स्क्वायर फीट के बीच जमीने बेची जा रही हैं. हालांकि अब शहरी क्षेत्र में जमीन ना के बराबर बची हैं और जो जमीनें हैं उन्हें मुंह मांगी कीमत पर लोग खरीदने को तैयार हैं. वहीं ट्रस्ट द्वारा किए गए एग्रीमेंट में जमीन की जो नाम और कीमत लिखी गई है, उसके मुताबिक ट्रस्ट द्वारा कुल खरीदी गई जमीन-12080 वर्ग मीटर है. जिसे वर्ग फुट में बदलने पर 130028.04 वर्ग फिट की नाप आ रही है.
ट्रस्ट द्वारा तय की गई धनराशि-18.50 करोड़ है. जिसे जब वर्ग फ़ीट के अनुसार तय करेंगे तो 1384.3167 रुपये प्रति वर्ग फ़ीट की कीमत आ रही है. अगर अयोध्या के नजरिए से देखा जाए तो राम जन्मभूमि से 2 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद जमीन की यह कीमत ज्यादा नहीं कही जा सकती. फिर भी जब तक ट्रस्ट इन सभी मामलों पर अपनी तरफ से अधिकृत जानकारी ना दें. तब तक विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों की सच्चाई पता नहीं चल पाएगी.
ट्रस्ट द्वारा किए गए एग्रीमेंट पर क्या कहता है कानून
ईटीवी भारत ने पूरे मामले में जमीन खरीद-फरोख्त की कानूनी प्रक्रिया जानने की कोशिश की. अयोध्या बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता रवि प्रकाश पाठक ने ईटीवी भारत को बताया कि 18 मार्च 2021 को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी और रवि प्रकाश तिवारी के बीच जमीन के सौदे को लेकर जो एग्रीमेंट किया गया है. वह पूरी तरह से वैध है कोई भी प्रॉपर्टी डीलर जमीन का बैनामा करने के बाद उस बैनामे के आधार पर तत्काल या बाद में उसी संपत्ति का किसी अन्य व्यक्ति को एक नया एग्रीमेंट या चाहे तो उसी बैनामे के आधार पर एक नया बैनामा भी कर सकता है. न्यायिक रूप से या कहीं से गलत नहीं है और इस एग्रीमेंट को कहीं भी गलत नहीं ठहराया जा सकता.