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राम मंदिर के लिए दादा जी ने कांग्रेस से दिया था इस्तीफा, पोती ने दिलाई रामलला को जीत - अयोध्या ताजा खबर

श्रीराम जन्मभूमि मामले की पैरवी करने एडवोकेट वकील स्वरूपमा चतुर्वेदी को विश्व हिन्दू परिषद ने सम्मानित किया है. स्वरूपमा का कहना है कि मेरे दादा जी ने राम मंदिर के लिए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, फैसला आने पर उनकी आंखे भर आईं.

दादा जी ने कांग्रेस से दिया था इस्तीफा.
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Published : Nov 23, 2019, 11:43 PM IST

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि मामले में रामलला की ओर से एडवोकेट रिकॉर्ड्स स्वरूपमा चतुर्वेदी लंबे समय से पैरवी कर रही हैं. सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिशनर एडवोकेट स्वरूपमा चतुर्वेदी पिछले दिनों बनाई गई श्रीराम लला मेडिएशन कमेटी में भी मुख्य तौर पर शामिल रहीं. वहीं अयोध्या मामले पर रामलला के पक्ष में फैसला आने पर विश्व हिन्दू परिषद की ओर से एडवोकेट स्वरूपमा चतुर्वेदी को भी सम्मानित किया गया है.

विश्व हिन्दू परिषद ने वकील स्वरूपमा चतुर्वेदी को किया सम्मानित.

दादा जी ने गिफ्ट की पहली कॉन्स्टिट्यूशन की बुक
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, श्रीराम लला का केस लड़ने वाले हर एक सदस्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हर किसी की जिम्मेदारी तय थी, सबका मकसद तथ्यों के साथ बात को सही दिशा में ले जानें के लिए प्रयत्न करना था. सूची में मेरा जो रोल है, वो बहुत ही मेडिएशन से लेकर फाइनल तक रहा. शुरूआत में जब मैं घर आई तो मेरे दादा जी ने बतौर गिफ्ट मुझे उनकी पहली कॉन्स्टिट्यूशन की बुक देकर कहा था, अब संभालो इन्हें.

दादा जी पांच बार रहे कांग्रेस से सांसद
स्वरूपमा चतुर्वेदी कहती हैं कि मेरे दादा जी कांग्रेस से पांच बार सांसद रहे हैं. जब कांग्रेस ने श्रीराम का विरोध करते हुए रामेश्वरम के राम सेतु तोड़ने का समर्थन किया था, उस वक्त मेरे दादा जी ने भगवान श्रीराम लला का समर्थन करते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.

फैसले से लगा कि मिल गया पढ़ाई का फल
उन्होंने बताया कि दादा जी अब काफी बुजुर्ग हो चुके हैं, इसलिए थोड़ा ऊंचा सुनने लगे हैं. 9 नवम्बर को जैसे ही रामलला के पक्ष में मुकदमा जीतने की बात उन्हें लिखकर मैंने बताई, तो वह खुशी से भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे. उस वक्त मुझे श्रीराम का एहसास हुआ जैसे हर राम भक्त की यही भावना है, यही भावना थी. मुझे दादा जी के आंसू देखकर लगा जैसे, मेरे लिए पूरी पढ़ाई, पूरी मेहनत का फल मिल गया हो.

इसे भी पढ़ें- मजबूरी का फायदा उठाकर धर्मांतरण पर कानून सही पहल: लल्लू सिंह

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि मामले में रामलला की ओर से एडवोकेट रिकॉर्ड्स स्वरूपमा चतुर्वेदी लंबे समय से पैरवी कर रही हैं. सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिशनर एडवोकेट स्वरूपमा चतुर्वेदी पिछले दिनों बनाई गई श्रीराम लला मेडिएशन कमेटी में भी मुख्य तौर पर शामिल रहीं. वहीं अयोध्या मामले पर रामलला के पक्ष में फैसला आने पर विश्व हिन्दू परिषद की ओर से एडवोकेट स्वरूपमा चतुर्वेदी को भी सम्मानित किया गया है.

विश्व हिन्दू परिषद ने वकील स्वरूपमा चतुर्वेदी को किया सम्मानित.

दादा जी ने गिफ्ट की पहली कॉन्स्टिट्यूशन की बुक
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, श्रीराम लला का केस लड़ने वाले हर एक सदस्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हर किसी की जिम्मेदारी तय थी, सबका मकसद तथ्यों के साथ बात को सही दिशा में ले जानें के लिए प्रयत्न करना था. सूची में मेरा जो रोल है, वो बहुत ही मेडिएशन से लेकर फाइनल तक रहा. शुरूआत में जब मैं घर आई तो मेरे दादा जी ने बतौर गिफ्ट मुझे उनकी पहली कॉन्स्टिट्यूशन की बुक देकर कहा था, अब संभालो इन्हें.

दादा जी पांच बार रहे कांग्रेस से सांसद
स्वरूपमा चतुर्वेदी कहती हैं कि मेरे दादा जी कांग्रेस से पांच बार सांसद रहे हैं. जब कांग्रेस ने श्रीराम का विरोध करते हुए रामेश्वरम के राम सेतु तोड़ने का समर्थन किया था, उस वक्त मेरे दादा जी ने भगवान श्रीराम लला का समर्थन करते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.

फैसले से लगा कि मिल गया पढ़ाई का फल
उन्होंने बताया कि दादा जी अब काफी बुजुर्ग हो चुके हैं, इसलिए थोड़ा ऊंचा सुनने लगे हैं. 9 नवम्बर को जैसे ही रामलला के पक्ष में मुकदमा जीतने की बात उन्हें लिखकर मैंने बताई, तो वह खुशी से भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे. उस वक्त मुझे श्रीराम का एहसास हुआ जैसे हर राम भक्त की यही भावना है, यही भावना थी. मुझे दादा जी के आंसू देखकर लगा जैसे, मेरे लिए पूरी पढ़ाई, पूरी मेहनत का फल मिल गया हो.

इसे भी पढ़ें- मजबूरी का फायदा उठाकर धर्मांतरण पर कानून सही पहल: लल्लू सिंह

Intro:अयोध्या. श्रीराम जन्मभूमि मामले में राम लला की ओर से एडवोकेट रिकॉर्ड्स स्वरूपमा चतुर्वेदी काफी लंबे समय से इस केस को देख रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिशनर एडवोकेट स्वरूपमा चतुर्वेदी पिछले दिनों बनाई गई श्रीराम लला मेडिएशन कमेटी में भी मुख्य तौर पर शामिल रहीं। विश्व हिन्दू परिषद की ओर से एडवोकेट स्वरूपमा चतुर्वेदी को भी सम्मानित किया गया है। ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, श्रीराम लला का केस लड़ने वाले हर एक सदस्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, हर किसी की जिम्मेदारी तय थी, सबका मकसद तथ्यों के साथ बात को सही दिशा में ले जानें के लिए प्रयत्न करना। सूची में मेरा जो रोल है, वो बहुत ही मेडिएशन से लेकर फाइनल तक रहा। शुरू शुरू में मैं जब घर आई तो मेरे दादा जी ने बतौर गिफ्ट मुझे उनकी पहली कॉन्स्टिट्यूशन की बुक देकर कहा था, अब संभालो इन्हें।



Body:स्वरूपमा चतुर्वेदी कहती हैं कि, मेरे दादा जी कांग्रेस से करीब 5बार सांसद रहे हैं, जब कांग्रेस ने श्रीराम का विरोध करते हुए रामेश्वरम के राम सेतु तोड़ने का समर्थन किया, उस वक़्त सबसे पहले मेरे दादा जी ने ही भगवान श्रीराम लला का समर्थन करते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इस वक़्त वो काफी बुजुर्ग हो चुके हैं, इसलिए थोड़ा ऊंचा सुनने लगे हैं। 9नवम्बर को जैसे ही रामलला के पक्ष में मुकदमा जीतने की बात उन्हें लिखकर मैंने बताई, तो वो खुशी से भावुक हुए, उनकी आंखों से आंसू बहने लगे, उस वक़्त मुझे श्रीराम का एहसास हुआ। ऐसा महसूस हुआ जैसे हर राम भक्त की यही भावना है। यही भावना थी। मुझे दादा जी के आंसू देखकर लगा जैसे, मेरे लिए पूरी पढ़ाई पूरी मेहनत का फल मिल गया।


Conclusion:दिनेश मिश्रा
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