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अयोध्या: भरतकुंड महोत्सव की तैयारियां पूरी, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा करेंगे उद्घाटन

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भरतकुंड महोत्सव को लेकर प्रशासन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. योगीराज की तपोस्थली को जोन में बांटकर सुरक्षा की कमान सेक्टर मजिस्ट्रेट के हवाले कर दी गई है.

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दिनेश शर्मा (फाइल फोटो).
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Published : Jan 14, 2020, 11:50 PM IST

अयोध्या: राम नगरी में योगीराज भरत की तपोस्थली पर 15 जनवरी से भरतकुंड महोत्सव की शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए प्रशासन की तैयारियां अंतिम दौर में हैं. इस महोत्सव का उद्घाटन करने उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा अयोध्या पहुंच रहे हैं. इसको देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर ली है.

भरतकुंड महोत्सव के उद्घाटन समारोह को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है. भरतकुंड महोत्सव की शुरुआत से एक दिन पहले 14 जनवरी यानी मंगलवार की शाम बीकापुर की उपजिलाधिकारी ज्योति सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया.

एसडीएम ज्योति सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया.

उन्होंने कहा कि संपूर्ण मेला क्षेत्र को जोन में बांटकर सुरक्षा की कमान संबंधित मजिस्ट्रेट को सौंप दी गई है. एसडीएम ने कहा कि उपमुख्यमंत्री के आने से पहले तैयारी में जो कमियां रह गई हैं, उन्हें पूरा कर लिया जाएगा.

क्या है भरतकुंड की मान्यता
अयोध्या से करीब 16 किलोमीटर दूर भरत की तपोभूमि भरतकुंड है. मान्यता है कि भगवान राम के वनवास के दौरान भरतजी ने उनकी खड़ाऊं रखकर यहीं 14 वर्ष तक तप किया था. यही वह स्थल है, जो वनवास से लौटे राम और भरत के मिलन का साक्षी रहा. प्रभु राम ने अपने पिता का श्राद्ध यहीं किया था. इसी मान्यता के चलते पितृपक्ष में पूरे देश से यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं.

भरतकुंड में भगवान राम की जटा विवराई का जटाकुंड है. मानस तीर्थ है. पिशाच योनि से मुक्ति दिलाने वाला पिशाच मोचन कुंड भी यहीं है. यही वह कूप है, जिसमें 27 तीर्थों का जल है. 45 बीघे में सरोवर भी है. माना जाता है कि वनवास से लौटने पर भगवान राम ने भरतकुंड में ही अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था.

ये भी पढ़ें- श्री रामलला के मंदिर में भजन गाना ही अंतिम इच्छा: अनुराधा पौडवाल

माना जाता है कि तभी से यहां पिंडदान की परंपरा की शुरुआत हुई. इस मान्यता को प्रबल करने के लिए यहां भरतकुंड महोत्सव का आयोजन किया जाता है. शायद इसी मंशा के चलते प्रदेश सरकार इस स्थल पर भरतकुंड महोत्सव को बढ़ावा देने जा रही है.

अयोध्या: राम नगरी में योगीराज भरत की तपोस्थली पर 15 जनवरी से भरतकुंड महोत्सव की शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए प्रशासन की तैयारियां अंतिम दौर में हैं. इस महोत्सव का उद्घाटन करने उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा अयोध्या पहुंच रहे हैं. इसको देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर ली है.

भरतकुंड महोत्सव के उद्घाटन समारोह को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है. भरतकुंड महोत्सव की शुरुआत से एक दिन पहले 14 जनवरी यानी मंगलवार की शाम बीकापुर की उपजिलाधिकारी ज्योति सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया.

एसडीएम ज्योति सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया.

उन्होंने कहा कि संपूर्ण मेला क्षेत्र को जोन में बांटकर सुरक्षा की कमान संबंधित मजिस्ट्रेट को सौंप दी गई है. एसडीएम ने कहा कि उपमुख्यमंत्री के आने से पहले तैयारी में जो कमियां रह गई हैं, उन्हें पूरा कर लिया जाएगा.

क्या है भरतकुंड की मान्यता
अयोध्या से करीब 16 किलोमीटर दूर भरत की तपोभूमि भरतकुंड है. मान्यता है कि भगवान राम के वनवास के दौरान भरतजी ने उनकी खड़ाऊं रखकर यहीं 14 वर्ष तक तप किया था. यही वह स्थल है, जो वनवास से लौटे राम और भरत के मिलन का साक्षी रहा. प्रभु राम ने अपने पिता का श्राद्ध यहीं किया था. इसी मान्यता के चलते पितृपक्ष में पूरे देश से यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं.

भरतकुंड में भगवान राम की जटा विवराई का जटाकुंड है. मानस तीर्थ है. पिशाच योनि से मुक्ति दिलाने वाला पिशाच मोचन कुंड भी यहीं है. यही वह कूप है, जिसमें 27 तीर्थों का जल है. 45 बीघे में सरोवर भी है. माना जाता है कि वनवास से लौटने पर भगवान राम ने भरतकुंड में ही अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था.

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माना जाता है कि तभी से यहां पिंडदान की परंपरा की शुरुआत हुई. इस मान्यता को प्रबल करने के लिए यहां भरतकुंड महोत्सव का आयोजन किया जाता है. शायद इसी मंशा के चलते प्रदेश सरकार इस स्थल पर भरतकुंड महोत्सव को बढ़ावा देने जा रही है.

Intro:अयोध्या: भरतकुण्ड महोत्सव को लेकर प्रशासन की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. योगिराज की तपोस्थली को जोन में बांटकर सुरक्षा की कमान सेक्टर मजिस्ट्रेट के हवाले कर दी गई है. प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर ली है.
Body:राम नगरी में योगिराज भरत की तपोस्थली पर 15 जनवरी से भरतकुंड महोत्सव की शुरुआत होने जा रही है. इसके लिए प्रशासन की तैयारियां अंतिम दौर में है. इस महोत्सव का उद्घाटन करने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा अयोध्या पहुंच रहे हैं.

भरतकुंड महोत्सव के उद्घाटन समारोह को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है. भरतकुंड महोत्सव की शुरुआत से एक दिन पहले 14 जनवरी यानी आज शाम बीकापुर की उपजिलाधिकारी ज्योति सिंह ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया है. उन्होंने कहा है कि संपूर्ण मेला क्षेत्र को जोन में बांटकर सुरक्षा की कमान संबंधित मजिस्ट्रेट को सौंप दी गई है. एसडीएम ने कहा है कि उपमुख्यमंत्री के आने से पहले तैयारी में जो कमियां रह गई हैं उन्हें पूरा कर लिया जाएगा.

क्या है भरतकुंड की मान्यता?
अयोध्या से करीब 16 किलोमीटर दूर भरत की तपोभूमि भरतकुंड है. मान्यता है कि भगवान राम के वनवास के दौरान भरतजी ने उनकी खड़ाऊं रखकर यहीं 14 वर्ष तक तप किया था. यही वह स्थल है, जो वनवास से लौटे राम और भरत के मिलन का साक्षी रहा. प्रभु राम ने अपने पिता का श्राद्ध यहीं किया था. इसी मान्यता के चलते पितृपक्ष में पूरे देश से यहां श्रद्धालु जुटते हैं.

भरतकुंड में भगवान राम की जटा विवराई का जटाकुंड है. मानस तीर्थ है. पिशाच योनि से मुक्ति दिलाने वाला पिशाच मोचन कुंड भी यहीं है. यही वह कूप है, जिसमें 27 तीर्थों का जल है.  45 बीघे में सरोवर भी है. माना जाता है कि वनवास से लौटने पर भगवान राम ने भरतकुंड में ही अपने पिता राजा दशरथ का पिडदान किया था.

Conclusion:माना जाता है कि तभी से यहां पिंडदान की परंपरा की शुरुआत हुई. इस मान्यता को प्रबल करने के लिए यहां भरतकुंड महोत्सव का आयोजन किया जाता है. शायद इसी मंशा के चलते प्रदेश सरकार इस स्थल पर भरतकुंड महोत्सव को बढ़ावा देने जा रही है.

बाइट- ज्योति सिंह, एसडीएम, बीकापुर
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