अयोध्या : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने अयोध्या कार्यक्रम के अंतर्गत शुक्रवार को बड़ा भक्तमाल मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने बड़ा भक्तमाल आश्रम के महंत और उनके शिष्यों के सहयोग से भगवान राम और मां सीता को मुकुट और छत्र अर्पित किया. जिसके बाद उन्होंने संतों से मुलाकात की. इस दौरान सीएम योगी ने राम मंदिर आंदोलन को लेकर संतों की भूमिका पर प्रकाश डाला और आने वाले समय में अयोध्या में आने वाले राम भक्तों की सेवा भाव को लेकर अयोध्या वासियों को नसीहत दी.
पूर्वजों ने दिया प्राणों का बलिदान, विश्व स्तर पर बने अयोध्या की पहचान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरु शिष्य की परंपरा कैसी होती है और भगवान और भक्त के बीच में किस प्रकार का संबंध होता है, यह समारोह उसका एक उदाहरण है. कहा कि 22 जनवरी 2024 को जब अयोध्या में लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद रामलला अपने मंदिर में विराजमान होंगे, वह समय पूरी दुनिया के लिए एक अद्भुत क्षण होगा. अयोध्या वासियों की जिम्मेदारी बनती है कि पूर्वजों ने अपना सब कुछ समर्पित किया, भगवान के प्रति जो आपके मन में भावना थी, वह मूर्त रूप ले रही है. हम सब का दायित्व बनता है कि इस कार्यक्रम को सफलता की नई ऊंचाई तक पहुंचाएं. विश्व स्तर पर अयोध्या की पहचान बने.
श्रद्धालुओं और पर्यटकों के प्रति सेवा भाव की नसीहत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन अयोध्या आने वाले हैं. यह कार्यक्रम लगातार चलेगा. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री अयोध्या पधारेंगे. अन्य विशिष्ट अतिथिगण आएंगे, लेकिन 22, 23 जनवरी के बाद से लेकर लगातार अयोध्यावासियों को आतिथ्य और सत्कार का एक उदाहरण प्रस्तुत करना पड़ेगा. जो जहां पर है, वह उस जगह की व्यवस्था को सुंदर और व्यवस्थित करने में अपना योगदान देता है तो प्रभु के इस कार्य में सबकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी. श्रद्धालु की सेवा, स्वागत मठ मंदिर की भी जिम्मेदारी है.
दीपोत्सव कार्यक्रम से 52 देशों में अयोध्या को मिला प्रचार
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब हम एक नए भारत का दर्शन कर रहे हैं. पहले कुछ लोगों को खुद को हिंदू बताने में संकोच होता था. भारत माता की जय बोलने में संकोच होता था. आज वह सभी व्यक्ति सनातन धर्म के प्रति बल्कि भारत और भारतीयता के प्रति सम्मान का भाव रखते हैं. आज दुनिया का दृष्टिकोण बदला है. इस दृष्टिकोण में हमारा क्या योगदान होना चाहिए, हम क्या कर सकते हैं, यह भी तय करने का कार्य अभी से शुरू करना होगा. अयोध्या दुनिया की सुंदर नगरी बने, इसके लिए सभी को योगदान देना होगा. इस बार दीपोत्सव कार्यक्रम में 52 देश के राजदूत यहां पर आए थे और दीपोत्सव कार्यक्रम में जो भी सहभागी बना यहां से अभिभूत होकर गया. आप समझिए कि 52 देश में सीधे अयोध्या का प्रचार हो गया.