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अयोध्याः जानें...जिले में बनी 100 शैय्या हॉस्पिटल की हकीकत - कुमारगंज में 100 शैया हॉस्पिटल

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में आज भी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर नहीं हो पायी है. जिले के मिल्कीपुर स्थित कुमारगंज में 100 शैया हॉस्पिटल सिर्फ सर्दी जुकाम का सीएचसी बनकर रह गया है.

जिले के हॉस्पिटल की हकीकत.
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Published : Oct 5, 2019, 10:34 AM IST

अयोध्या: डेढ़ दशक से उम्मीद लगाए बैठे लोगों की प्रतीक्षा अब भी समाप्त नहीं हुई है. कागजों पर दर्ज रिकॉर्ड शायद उन गरीबों के दर्द के आंसू पोछने के नहीं हैं, जिनके लिए नौकरशाहों को उत्तरदायी बनाया गया है. अयोध्या जिले के मिल्कीपुर क्षेत्र के 100 शैया अस्पताल को देखकर कुछ ऐसा ही लगता है.

जानें... जिले के 100 शैय्या हॉस्पिटल की हकीकत.


आपको बता दें कि यह हॉस्पिटल फैजाबाद रायबरेली राजमार्ग 330A पर स्थित है. हॉस्पिटल आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के मुख्य गेट से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है. यह वह क्षेत्र है जहां ऐसे हॉस्पिटल की अत्यधिक आवश्यकता है. करीब डेढ़ दशक पहले इस हॉस्पिटल की नीव रखी गई थी इसे बनने में एक लंबा वक्त लगा.


इस बीच क्षेत्रवासी हॉस्पिटल के बनने से मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं को लेकर काफी उत्साहित थे. लेकिन शायद अब भी उनका इंतजार पूरा नहीं हुआ है. हॉस्पिटल तो संचालित हो गया है, लेकिन मरीजों के लिए जो व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है, उसे देखकर लगता है कि चिकित्सा विभाग और सरकार आमजन की समस्याओं को लेकर कितना गंभीर है.

पढ़ेंः-अयोध्या: परिवहन निगम की बसों में RFID जरूरी, बिना डिवाइस नहीं मिलेगा फ्यूल


इस हॉस्पिटल की स्थिति मरीजों को निराश करने वाली है. हॉस्पिटल समय से खुलता है, लेकिन स्टाफ और चिकित्सा कर्मियों की कमी के अभाव में महज ओपीडी ही संचालित हो रही है. ओपीडी का समय 2:00 बजे समाप्त हो जाता है, जिसके बाद अस्पताल के गेट में ताला लग जाता है.

अयोध्या: डेढ़ दशक से उम्मीद लगाए बैठे लोगों की प्रतीक्षा अब भी समाप्त नहीं हुई है. कागजों पर दर्ज रिकॉर्ड शायद उन गरीबों के दर्द के आंसू पोछने के नहीं हैं, जिनके लिए नौकरशाहों को उत्तरदायी बनाया गया है. अयोध्या जिले के मिल्कीपुर क्षेत्र के 100 शैया अस्पताल को देखकर कुछ ऐसा ही लगता है.

जानें... जिले के 100 शैय्या हॉस्पिटल की हकीकत.


आपको बता दें कि यह हॉस्पिटल फैजाबाद रायबरेली राजमार्ग 330A पर स्थित है. हॉस्पिटल आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के मुख्य गेट से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है. यह वह क्षेत्र है जहां ऐसे हॉस्पिटल की अत्यधिक आवश्यकता है. करीब डेढ़ दशक पहले इस हॉस्पिटल की नीव रखी गई थी इसे बनने में एक लंबा वक्त लगा.


इस बीच क्षेत्रवासी हॉस्पिटल के बनने से मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं को लेकर काफी उत्साहित थे. लेकिन शायद अब भी उनका इंतजार पूरा नहीं हुआ है. हॉस्पिटल तो संचालित हो गया है, लेकिन मरीजों के लिए जो व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है, उसे देखकर लगता है कि चिकित्सा विभाग और सरकार आमजन की समस्याओं को लेकर कितना गंभीर है.

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इस हॉस्पिटल की स्थिति मरीजों को निराश करने वाली है. हॉस्पिटल समय से खुलता है, लेकिन स्टाफ और चिकित्सा कर्मियों की कमी के अभाव में महज ओपीडी ही संचालित हो रही है. ओपीडी का समय 2:00 बजे समाप्त हो जाता है, जिसके बाद अस्पताल के गेट में ताला लग जाता है.

Intro:अयोध्या: डेढ़ दशक से उम्मीद लगाए बैठे लोगों की प्रतीक्षा अब भी समाप्त नहीं हुई है. आयुष्मान भारत जैसी महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत करके भारत सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा ले, लेकिन जमीनी हकीकत देख कर कुछ और ही लगता है. कागजों पर दर्ज रिकॉर्ड शायद उन गरीबों की दर्द के आंसू पोछने के नहीं हैं, जिनके लिए नौकरशाहों को उत्तरदायी बनाया गया है. अयोध्या जिले के मिल्कीपुर क्षेत्र के एक 100 शैया अस्पताल को देखकर कुछ ऐसा ही लगता है.


Body:दरअसल बात हो रही है.अयोध्या जिले के मिल्कीपुर उपखंड स्थित कुमारगंज 100 शैया हॉस्पिटल की. आपको बता दें कि यह हॉस्पिटल फैजाबाद रायबरेली राजमार्ग 330A पर स्थित है. हॉस्पिटल आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के मुख्य गेट से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है. यह वह क्षेत्र है जहां ऐसे हॉस्पिटल की अत्यधिक आवश्यकता है. करीब डेढ़ दशक पहले इस हॉस्पिटल की न्यू रखी गई थी इसे बनने में एक लंबा वक्त लगा. इस बीच क्षेत्रवासी हॉस्पिटल के बनने से मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं को लेकर काफी उत्साहित थे. लेकिन शायद अब भी उनका इंतजार पूरा नहीं हुआ है. हॉस्पिटल तो संचालित हो गया है, लेकिन मरीजों के लिए जो व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है, उसे देखकर लगता है कि चिकित्सा विभाग और सरकार आमजन की समस्याओं को लेकर कितना गंभीर है. इस हॉस्पिटल की स्थिति मरीजों को निराश करने वाली है. हॉस्पिटल समय से खुलता है, लेकिन स्टाफ और चिकित्सा कर्मियों की कमी के अभाव में महज ओपीडी ही संचालित हो रही है. ओपीडी का समय 2:00 बजे समाप्त हो जाता है, जिसके बाद अस्पताल के गेट में ताला लग जाता है. आपको बता दें कि केंद्र सरकार आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं को लांच करके गरीबों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है कई मायनों में काफी हद तक यह प्रयास सफल भी है लेकिन कुछ तस्वीरें ऐसी आती हैं जिसे देखकर लगता है कि शायद राज्य सरकारें केंद्र की मंशा पर खरा उतरना ही नहीं चाहती शायद यही स्थित कुमारगंज के 100 शैया बेड हॉस्पिटल के लिए उत्पन्न हुई है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एक हॉस्पिटल को बनाने में 1 दशक से अधिक का समय लगा और जब यह हॉस्पिटल बनकर तैयार हुआ तो जिस व्यवस्था के साथ इसे संचालित किया जा रहा है उसे देखकर तो यह पता ही नहीं लगता कि यह एक हॉस्पिटल है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यहां ना तो पानी की उचित व्यवस्था है इतने बड़े हॉस्पिटल में महज एक टंकी से लगा हुआ नल है जिसके आसपास गंदगी फैली हुई है. मरीजों के लिए शुद्ध पेयजल तक उपलब्ध नहीं है. हॉस्पिटल संचालित होने के साथ जो जेनरेटर लाइट जाने पर प्रकाश व्यवस्था के लिए रखा गया है उसे महज एक बार टेस्ट करने के लिए स्टार्ट किया गया है. बिजली चली जाने पर जनरेटर अब तक नहीं चलाया गया है. ईटीवी भारत की टीम जब स्थिति का जायजा लेने कुमारगंज के 100 शैया हॉस्पिटल पहुंची तो पहले दिन वहां मुख्य गेट पर ताला लगा मिला. जिसके चलते टीम को वापस लौटना पड़ा. स्थानीय लोगों द्वारा बताया गया कि हॉस्पिटल सुबह 10:00 बजे के आसपास खुलता है और 2:00 बजे बंद हो जाता है जिसके बाद इसके मुख्य गेट पर ताला लगा दिया जाता है. हमारी टीम जब दूसरे दिन समय से पहुंचे तो हॉस्पिटल में एंट्री मिल गई लेकिन अंदर की जो स्थिति थी वह चौंकाने वाली थी. करोड़ों खर्च कर बनाए गए इस हॉस्पिटल में स्टाफ की संख्या तो उंगलियों पर गिनने वाली थी अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर मौजूद नहीं थे उनकी कुर्सी खाली थी. एक फिजीशियन महोदय कुछ मरीजों को देख रहे थे. जब अस्पताल के कर्मचारियों से स्थिति जानने का प्रयास किया गया तो कोई कैमरे के सामने नहीं आया. लेकिन कैमरे से हटकर हमें कुछ महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई गई. वहीं अस्पताल में पहुंचे लोग कैमरे के सामने आए और उन्होंने खुलकर अपनी समस्याएं रखी. लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि हॉस्पिटल में ना तो दवाएं हैं और ना जांच की सुविधा उपलब्ध है. केवल ओपीडी के समय तक यहां डॉक्टर की सलाह उपलब्ध होती है इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध नहीं है और ना ही यहां किसी प्रकार की जांच की सुविधा है. ऐसे में मरीजों को केवल रेफर करने का काम यहां से किया जा रहा है.


Conclusion:केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत जैसी महत्वाकांक्षी योजना वह को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने के लिए है वहीं दूसरी तरफ करोड़ों खर्च करके लोगों को चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए बने संस्थान की यह तस्वीर चौंकाने वाली है. डेढ़ दशक प्रतीक्षा करने के बाद चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध ना होना लोगों के लिए निराश करने वाली बात है. यह स्थिति उत्पन्न होती है जब शायद नौकरशाहों द्वारा गरीबों के आंसू सिर्फ कागजों में पूछे जाते हैं. बाइट- 1- डॉ राजेंद्र कपूर, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अयोध्या मंडल 2- श्री चंद मिश्रा, स्थानीय निवासी 3- रामकुमार, स्थानीय निवासी 4- नरेंद्र यादव, स्थानीय निवासी
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