ETV Bharat / state

UP Election 2022: अमेठी विधानसभा का जानिए चुनावी समीकरण

author img

By

Published : Nov 16, 2021, 10:01 AM IST

Updated : Nov 23, 2021, 9:39 AM IST

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सियासत तेज हो गई है. हर पार्टी जनता के बीच जाकर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है. वहीं, भावी उम्मीदवारों ने क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने के लिए लोगों से मिलना-जुलना शुरू कर दिया है. आइए जानते हैं अमेठी विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट.

अमेठी विधानसभा.
अमेठी विधानसभा.

अमेठी: यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान जारी है. जहां एक-एक सीट पर नेता चुनावी बिसात बिछाने में जुट गए हैं. इसमें से एक सीट है अमेठी विधानसभा की. ये सीट प्रदेश की राजनीति में काफी अहम मानी जाती है. यहां की राजनीति ज्यादातर राजपरिवार के इर्द गिर्द ही रहती है.

अमेठी विधानसभा से अब तक 9 बार राज परिवार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वर्तमान समय में राजघराने की बहू गरिमा सिंह बीजेपी से अमेठी सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. इस बार देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या इस सीट से दूसरी बार महारानी गरिमा सिंह जीत दर्ज करती हैं या अमेठी की अवाम सत्ता की चाभी किसी अन्य को सौंपेगी. हालांकि इसके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और अमेठी के राजा संजय सिंह और रानी अमिता सिंह को इस सीट से हार का सामना करना पड़ा है.

अमेठी गांधी परिवार का चुनावी क्षेत्र होने के चलते विश्व की राजनीतिक पटल पर चर्चित है. इस विधान सभा का गठन 1962 में हुआ था. यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. यहां लगभग 30 साल तक कांग्रेस ने अपना परचम लहराया. फिलहाल अमेठी विधान सभा की राजनीति राज परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है. इस समय भी यहां राजघराने से महरानी गरिमा सिंह बीजेपी से विधायक है. उन्होंने 2017 में सपा के विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति को चुनाव में हराया था. जिन्हें हाल में ही न्यायालय ने गैंग रेप के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी अब पूरी तरह से भगवामय हो चुकी है. बीजेपी से विधान सभा का प्रतिनिधित्व राजघराने की बहू गरिमा सिंह कर रही हैं. रानी गरिमा सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत वर्ष 2017 के चुनाव से किया था.

जातीय समीकरण रहता है प्रभावी

अमेठी में जातीय समीकरण प्रभावी रहता है. यहां सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है. वहीं, दूसरे पायदान पर पिछड़ा वर्ग और तीसरे पर अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या आंशिक है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 1962 से से लेकर अब तक 9 बार सामान्य वर्ग के लोग चुनाव जीते है. वहीं, 2 बार पिछड़े वर्ग के लोगों ने अमेठी का प्रतिनिधित्व किया है.

राज परिवार का रहा है दबदबा

अमेठी की राजनीति में राजपरिवार हमेशा से हावी रहा है. भाजपा या कांग्रेस दोनो पार्टियों में राज परिवार ही समय-समय पर चुनाव जीतता रहा है. यहां की जनता ने दलगत भावना से उठकर राज परिवार के हाथों में ही प्रतिनिधित्व सौंपने में विश्वास किया है. 1977 से अब तक राज परिवार 7 बार अमेठी विधान सभा से प्रतिनिधित्व कर चुका है. राज परिवार में राजनीति की शुरुआत 1977 में महराज रणंजय सिंह ने किया था. अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधान सभा चुनाव में पुनः राज परिवार के हाथ में सत्ता जाएगी या 2012 की तरह किसी अन्य को चुनाव जीतवाकर जनता सदन में भेजेगी.

ओवर ब्रिज और बाईपास का बीजेपी को मिलेगा लाभ

विकास कार्यों की बात करें तो अमेठी में 2 बड़ी समस्याएं थी. जिनसे लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. इनमें एक प्रमुख समस्या थी काकवा रोड पर रेलवे क्रासिंग का ओवर ब्रिज. यहां विधायक गरिमा सिंह के अथक प्रयास से सरकार ने इस समस्या को संज्ञान लिया. ओवर ब्रिज पर युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है जो जल्द ही बन जाएगा. इस ओवर ब्रिज के पूर्ण हो जाने से लगभग 40 हजार से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा. छात्र-छात्राएं सहित आम लोगों को अब क्रासिंग पर जाम में नहीं रेंगना पड़ेगा.

अमेठी विधान सभा में बाईपास भी एक बड़ी समस्या थी. जिसे चुनावी मुद्दा बनाया गया था. विधायक गरिमा सिंह के प्रयास से बाईपास का कार्य लगभग पूरा होने को है. बाईपास बन जाने से कस्बे में जाम की समस्या से लोगों को निजात मिल जाएगी. ये दो ऐतिहासिक कार्य सरकार की खास उपलब्धियां हैं.

यातायात और बेरोजगारी से जनता है परेशान

इतना होने के बावजूद भी अभी अमेठी के लोगों को कई मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. जिसमें यातायात के लिए सरकार की तरफ से कोई खास ध्यान नहीं दिया गया. लोगों के लोकल आवागमन के लिए सरकारी बसों की व्यवस्था न के बराबर है. डग्गामार वाहन ही जनपद में जाने के लिए साधन है. जिसका खामियाजा आम जनता को अपनी जेब ढीली कर देनी पड़ रही है. वहीं, बात करें रोजगार की तो सरकार की तरफ से रोजगार के साधन नहीं उपलब्ध न होने से लोग रोजी-रोटी के लिए अन्य प्रांतों में जाने को मजबूर हैं.

गायत्री प्रजापति को सजा होने से प्रत्याशी का संकट

आगामी चुनाव को लेकर बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा के अतरिक्त आम आदमी पार्टी भी सक्रिय हो गई है. बीजेपी में मौजूदा विधायक के अतरिक्त लगभग आधा दर्जन नेता टिकट के दावेदारी में है. जिनमें वर्तमान विधायक के अतरिक्त आशीष शुक्ला, काशी तिवारी, रश्मि सिंह, सहित अन्य नाम शामिल हैं. वहीं, बात करें बसपा की तो पार्टी हाशिए पर दिखाई पड़ रही है. कोई बड़ा चेहरा पार्टी में नहीं बचा है. फिलहाल टिकट के दौड़ में पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजीव शुक्ला, नम्रता जायसवाल, अखिलेश शुक्ला सहित अन्य दावेदार टिकट की दौड़ में शामिल हैं.

वहीं, कांग्रेस नेता अपनी खोई हुई जमीन वापस लाने की लड़ाई लड़ रही है. इसमें प्रमुख दावेदार डॉ. देवमणि तिवारी, नरेंद्र मिश्र, रवि शुक्ला सहित कई अन्य चेहरे शामिल हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी में टिकट के दावेदार तो बहुत हैं परंतु गायत्री प्रसाद प्रजापति को आजीवन कारावास होने से अब कोई बड़ा चेहरा पार्टी के पास नहीं बचा. प्रमुख दावेदारों में शिव प्रताप यादव, सुनील सिंह यादव, गुंजन सिंह सहित कई लोग अपने अपने टिकट के दावे कर रहे हैं.

अमेठी विधान सभा का जातीय समीकरण

बाह्मण- 92 हजार
क्षत्रिय-40 हजार के आसपास
अनुसूचित जाति- 1 लाख 20 हजार
ओबीसी- 1 लाख 7 हजार
यादव- 42 हजार
वर्मा- 25 हजार
मोर्या- 30 हजार
कश्यप- 20 हजार
मुस्लिम- 22 हजार के आस पास
अन्य- लगभग 50 हजार

अमेठी की कुल जनसंख्या 1 जनवरी 2021 तक जनगणना के अनुसार

टोटल- 5,19,583

पुरुष- 2,59,767

महिला-2,59,819

इसे भी पढे़ं- UP Election 2022: प्रयागराज की मेजा विधानसभा का जानिए चुनावी समीकरण

अमेठी: यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान जारी है. जहां एक-एक सीट पर नेता चुनावी बिसात बिछाने में जुट गए हैं. इसमें से एक सीट है अमेठी विधानसभा की. ये सीट प्रदेश की राजनीति में काफी अहम मानी जाती है. यहां की राजनीति ज्यादातर राजपरिवार के इर्द गिर्द ही रहती है.

अमेठी विधानसभा से अब तक 9 बार राज परिवार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. वर्तमान समय में राजघराने की बहू गरिमा सिंह बीजेपी से अमेठी सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. इस बार देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या इस सीट से दूसरी बार महारानी गरिमा सिंह जीत दर्ज करती हैं या अमेठी की अवाम सत्ता की चाभी किसी अन्य को सौंपेगी. हालांकि इसके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और अमेठी के राजा संजय सिंह और रानी अमिता सिंह को इस सीट से हार का सामना करना पड़ा है.

अमेठी गांधी परिवार का चुनावी क्षेत्र होने के चलते विश्व की राजनीतिक पटल पर चर्चित है. इस विधान सभा का गठन 1962 में हुआ था. यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी. यहां लगभग 30 साल तक कांग्रेस ने अपना परचम लहराया. फिलहाल अमेठी विधान सभा की राजनीति राज परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है. इस समय भी यहां राजघराने से महरानी गरिमा सिंह बीजेपी से विधायक है. उन्होंने 2017 में सपा के विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति को चुनाव में हराया था. जिन्हें हाल में ही न्यायालय ने गैंग रेप के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी अब पूरी तरह से भगवामय हो चुकी है. बीजेपी से विधान सभा का प्रतिनिधित्व राजघराने की बहू गरिमा सिंह कर रही हैं. रानी गरिमा सिंह ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत वर्ष 2017 के चुनाव से किया था.

जातीय समीकरण रहता है प्रभावी

अमेठी में जातीय समीकरण प्रभावी रहता है. यहां सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है. वहीं, दूसरे पायदान पर पिछड़ा वर्ग और तीसरे पर अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या आंशिक है. जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 1962 से से लेकर अब तक 9 बार सामान्य वर्ग के लोग चुनाव जीते है. वहीं, 2 बार पिछड़े वर्ग के लोगों ने अमेठी का प्रतिनिधित्व किया है.

राज परिवार का रहा है दबदबा

अमेठी की राजनीति में राजपरिवार हमेशा से हावी रहा है. भाजपा या कांग्रेस दोनो पार्टियों में राज परिवार ही समय-समय पर चुनाव जीतता रहा है. यहां की जनता ने दलगत भावना से उठकर राज परिवार के हाथों में ही प्रतिनिधित्व सौंपने में विश्वास किया है. 1977 से अब तक राज परिवार 7 बार अमेठी विधान सभा से प्रतिनिधित्व कर चुका है. राज परिवार में राजनीति की शुरुआत 1977 में महराज रणंजय सिंह ने किया था. अब देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधान सभा चुनाव में पुनः राज परिवार के हाथ में सत्ता जाएगी या 2012 की तरह किसी अन्य को चुनाव जीतवाकर जनता सदन में भेजेगी.

ओवर ब्रिज और बाईपास का बीजेपी को मिलेगा लाभ

विकास कार्यों की बात करें तो अमेठी में 2 बड़ी समस्याएं थी. जिनसे लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. इनमें एक प्रमुख समस्या थी काकवा रोड पर रेलवे क्रासिंग का ओवर ब्रिज. यहां विधायक गरिमा सिंह के अथक प्रयास से सरकार ने इस समस्या को संज्ञान लिया. ओवर ब्रिज पर युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है जो जल्द ही बन जाएगा. इस ओवर ब्रिज के पूर्ण हो जाने से लगभग 40 हजार से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा. छात्र-छात्राएं सहित आम लोगों को अब क्रासिंग पर जाम में नहीं रेंगना पड़ेगा.

अमेठी विधान सभा में बाईपास भी एक बड़ी समस्या थी. जिसे चुनावी मुद्दा बनाया गया था. विधायक गरिमा सिंह के प्रयास से बाईपास का कार्य लगभग पूरा होने को है. बाईपास बन जाने से कस्बे में जाम की समस्या से लोगों को निजात मिल जाएगी. ये दो ऐतिहासिक कार्य सरकार की खास उपलब्धियां हैं.

यातायात और बेरोजगारी से जनता है परेशान

इतना होने के बावजूद भी अभी अमेठी के लोगों को कई मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. जिसमें यातायात के लिए सरकार की तरफ से कोई खास ध्यान नहीं दिया गया. लोगों के लोकल आवागमन के लिए सरकारी बसों की व्यवस्था न के बराबर है. डग्गामार वाहन ही जनपद में जाने के लिए साधन है. जिसका खामियाजा आम जनता को अपनी जेब ढीली कर देनी पड़ रही है. वहीं, बात करें रोजगार की तो सरकार की तरफ से रोजगार के साधन नहीं उपलब्ध न होने से लोग रोजी-रोटी के लिए अन्य प्रांतों में जाने को मजबूर हैं.

गायत्री प्रजापति को सजा होने से प्रत्याशी का संकट

आगामी चुनाव को लेकर बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा के अतरिक्त आम आदमी पार्टी भी सक्रिय हो गई है. बीजेपी में मौजूदा विधायक के अतरिक्त लगभग आधा दर्जन नेता टिकट के दावेदारी में है. जिनमें वर्तमान विधायक के अतरिक्त आशीष शुक्ला, काशी तिवारी, रश्मि सिंह, सहित अन्य नाम शामिल हैं. वहीं, बात करें बसपा की तो पार्टी हाशिए पर दिखाई पड़ रही है. कोई बड़ा चेहरा पार्टी में नहीं बचा है. फिलहाल टिकट के दौड़ में पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजीव शुक्ला, नम्रता जायसवाल, अखिलेश शुक्ला सहित अन्य दावेदार टिकट की दौड़ में शामिल हैं.

वहीं, कांग्रेस नेता अपनी खोई हुई जमीन वापस लाने की लड़ाई लड़ रही है. इसमें प्रमुख दावेदार डॉ. देवमणि तिवारी, नरेंद्र मिश्र, रवि शुक्ला सहित कई अन्य चेहरे शामिल हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी में टिकट के दावेदार तो बहुत हैं परंतु गायत्री प्रसाद प्रजापति को आजीवन कारावास होने से अब कोई बड़ा चेहरा पार्टी के पास नहीं बचा. प्रमुख दावेदारों में शिव प्रताप यादव, सुनील सिंह यादव, गुंजन सिंह सहित कई लोग अपने अपने टिकट के दावे कर रहे हैं.

अमेठी विधान सभा का जातीय समीकरण

बाह्मण- 92 हजार
क्षत्रिय-40 हजार के आसपास
अनुसूचित जाति- 1 लाख 20 हजार
ओबीसी- 1 लाख 7 हजार
यादव- 42 हजार
वर्मा- 25 हजार
मोर्या- 30 हजार
कश्यप- 20 हजार
मुस्लिम- 22 हजार के आस पास
अन्य- लगभग 50 हजार

अमेठी की कुल जनसंख्या 1 जनवरी 2021 तक जनगणना के अनुसार

टोटल- 5,19,583

पुरुष- 2,59,767

महिला-2,59,819

इसे भी पढे़ं- UP Election 2022: प्रयागराज की मेजा विधानसभा का जानिए चुनावी समीकरण

Last Updated : Nov 23, 2021, 9:39 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.