अमेठी : कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया थम गई है. साथ ही अर्थव्यवस्था, बाज़ार सहित लोगों की धार्मिक आस्थाओं पर भी इस महामारी का खासा असर देखने को मिल रहा है. देश में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च सहित सभी धार्मिक स्थलों पर लोगों के जाने पर पाबंदियां लगा दी गई हैं. साथ ही इस बार नवरात्रि पर भी कोराना वायरस का साया पड़ चुका है. लोगों को देवी मंदिरों के दर्शन नहीं मिल रहे हैं. अमेठी जिले के सभी प्रमुख पौराणिक मंदिरों के पट बंद किए जा चुके हैं. मुसाफिरखाना विकासखंड के दादरा गांव स्थित पौराणिक देवी हिंगलाज मंदिर के भी पट बन्द हैं.
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हिंगलाज मंदिर का पौराणिक महत्व है. साल के बारहों मास श्रद्वालु माता के दर्शन करने पहुंचते हैं. साथ ही आसपास के जिले से लोग मन्नतों की पूर्ति के लिए देवी के दरबार में माथा टेकते हैं. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी माता के दरबार में माथा टेक चुके हैं. हिंगलाज मंदिर की स्थापना करीब 600 वर्ष पूर्व बाबा पुरुषोत्तम दास ने की थी. पुरुषोत्तम दास तुलसीदास के समकालीन माने जाते हैं.
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बताते हैं कि संत तुलसीदास जी बाबा पुरुषोत्तम दास से मिलने के लिए दादरा में उनकी कुटिया में आते रहते थे. सेवक व भक्त अंजनी श्रीवास्तव के मुताबिक बाबा पुरुषोत्तम दास ने हिंगलाज नदी के किनारे हींगल पर्वत (अब पाकिस्तान में) पर 12 वर्षों तक कठोर तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था. बाबा ने क्षेत्र की सुख-शांति के लिए देवी से दादरा चलने की प्रार्थना की थी. बाबा की प्रार्थना पर देवी ने प्रतीक स्वरूप उन्हें एक त्रिशूल दिया जो आज भी मंदिर में स्थापित है. आपको बता दें कि महाष्टमी के दिन मंदिर परिसर में विशाल कन्याभोज का आयोजन और दीपयज्ञ सहित आदि कार्यक्रम होते थे, लेकिन इस बार कोरोना लॉकडाउन के चलते सभी कार्यक्रम स्थगित हो गए हैं.
क्या कहते हैं पुजारी
हिंगलाज पुजारी पं. शेष राम मिश्र बताते हैं कि सभी भक्तजन अपने घर में नवरात्रि के दिनों में माता रानी की पूजा करें. अपने जीवन को सफल बनाएं और देश हित के लिए सुख-समृद्धि की कामना करें. यही देवी मां की सच्ची भक्ति और आराधना है.