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बाढ़ से निपटने के लिए ग्रामीण ऐसे कर रहे अपना बचाव, प्रशासन से मिल रहा सिर्फ आश्वाशन - लोगों के घरो में पानी

अम्बेडकरनगर की घाघरा नदी में बाढ़ आने के कारण गांव की तकरीबन पांच सौ से अधिक आबादी प्रभावित है.बाढ़ के पानी ने पूरे गांव को अपने आगोश में ले लिया है. बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद करने का प्रशासन दावा कर रहा है. लेकिन, ग्रामीणों के मुताबिक प्रशासन के सारे दावे हवा हवाई हैं.

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अम्बेडकरनगर की घाघरा नदी में बाढ़
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Published : Oct 15, 2022, 9:29 AM IST

Updated : Oct 15, 2022, 10:29 AM IST

अम्बेडकरनगर: घाघरा नदी में आई बाढ़ के कारण अम्बेडकरनगर के कई गांव प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत मुहैया कराने का दावा प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. प्रशासन से इतर ग्रामीणों का दावा है कि मदद के नाम पर उन्हें प्रशासन से सिर्फ आश्वाशन ही मिल रहा है. सारी व्यवस्था वे स्वयं कर रहे हैं. यहां तक कि बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित कर नाव की व्यवस्था की और फिर लोगों को बाहर निकाला.

मामला टांडा विकास खंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माझा उल्टाहवा का है. घाघरा नदी में बाढ़ आने के कारण गांव की तकरीबन पांच सौ से अधिक की आबादी प्रभावित है. ईटीवी भारत की टीम ने भी नाव से तकरीबन तीन किमी से अधिक की दूरी तय कर जमीनी वास्तविकता परखने का प्रयास किया. बाढ़ के पानी ने पूरे गांव को अपनी आगोश में ले लिया है. फसलें पूरी तरह डूब गई हैं. जहां खेती हो रही थी, वहां इतना पानी है कि पता ही नहीं चलता कि ये नदी है या खेत. गांव में लोगों के घरों में पानी घुस गया है. गांव की कुछ आबादी को गांव से दूर बंधे पर लाया गया है. जो लोग बच गए हैं वे या तो घर की छत पर हैं या फिर मचान बनाकर उस पर रह रहे हैं. इसमें छोटे बच्चों की संख्या अधिक है. पानी अधिक भर जाने के कारण जानवरों को भी कठिनाई हो रही है. जिला पंचायत अध्यक्ष साधू वर्मा गांव में प्रत्येक परिवार को तीन-तीन किलो फल वितरित कर रहे थे.

बाढ़ पीड़ितों ने दी जानकारी

इसे भी पढ़े-बाढ़ में फंसी जिंदगी, भोजन और पानी के लिए तरसे लोग


प्रभावित लोगों की मदद करने का प्रशासन दावा कर रहा है. लेकिन, ग्रामीणों के मुताबिक प्रशासन के सारे दावे हवा हवाई हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पांच दिन का समय हो गया है. अधिकारी केवल आते हैं और देखकर चले जाते हैं. कहते हैं कि आप को कोई दिक्कत नहीं होगी.

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में फंसे लोगों को निकालने के लिए हमने नाव की व्यवस्था की थी. इसके लिए 40 लीटर पेट्रोल लाया गया था और 14 हजार रुपये प्रधान और ग्रामीणों ने मिलकर एकत्रित किया था. प्रशासन से अभी तक कोई सहयोग नहीं मिला है. केवल आश्वाशन मिलता है. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि दवाओं की भी समस्या है. हम अपने खाने पीने की व्यवस्था स्वयं कर रहे हैं. ग्राम प्रधान शिव प्रसाद का कहना है कि एसडीएम और सीडीओ साहब आये थे. तब उन्होंने कहा था कि इन लोगों को कोई समस्या नहीं होगी. खाने की व्यवस्था हम कर रहे हैं. लेकिन, प्रशासन से अभी कोई सहयोग नहीं मिला है.

यह भी पढ़े-राप्ती की बाढ़ में घिरे गांवों में दो दिनों से नहीं जले चूल्हे, छतों पर पन्नी तानकर रह रहे लोग

अम्बेडकरनगर: घाघरा नदी में आई बाढ़ के कारण अम्बेडकरनगर के कई गांव प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत मुहैया कराने का दावा प्रशासन की तरफ से किया जा रहा है. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. प्रशासन से इतर ग्रामीणों का दावा है कि मदद के नाम पर उन्हें प्रशासन से सिर्फ आश्वाशन ही मिल रहा है. सारी व्यवस्था वे स्वयं कर रहे हैं. यहां तक कि बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित कर नाव की व्यवस्था की और फिर लोगों को बाहर निकाला.

मामला टांडा विकास खंड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माझा उल्टाहवा का है. घाघरा नदी में बाढ़ आने के कारण गांव की तकरीबन पांच सौ से अधिक की आबादी प्रभावित है. ईटीवी भारत की टीम ने भी नाव से तकरीबन तीन किमी से अधिक की दूरी तय कर जमीनी वास्तविकता परखने का प्रयास किया. बाढ़ के पानी ने पूरे गांव को अपनी आगोश में ले लिया है. फसलें पूरी तरह डूब गई हैं. जहां खेती हो रही थी, वहां इतना पानी है कि पता ही नहीं चलता कि ये नदी है या खेत. गांव में लोगों के घरों में पानी घुस गया है. गांव की कुछ आबादी को गांव से दूर बंधे पर लाया गया है. जो लोग बच गए हैं वे या तो घर की छत पर हैं या फिर मचान बनाकर उस पर रह रहे हैं. इसमें छोटे बच्चों की संख्या अधिक है. पानी अधिक भर जाने के कारण जानवरों को भी कठिनाई हो रही है. जिला पंचायत अध्यक्ष साधू वर्मा गांव में प्रत्येक परिवार को तीन-तीन किलो फल वितरित कर रहे थे.

बाढ़ पीड़ितों ने दी जानकारी

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प्रभावित लोगों की मदद करने का प्रशासन दावा कर रहा है. लेकिन, ग्रामीणों के मुताबिक प्रशासन के सारे दावे हवा हवाई हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पांच दिन का समय हो गया है. अधिकारी केवल आते हैं और देखकर चले जाते हैं. कहते हैं कि आप को कोई दिक्कत नहीं होगी.

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में फंसे लोगों को निकालने के लिए हमने नाव की व्यवस्था की थी. इसके लिए 40 लीटर पेट्रोल लाया गया था और 14 हजार रुपये प्रधान और ग्रामीणों ने मिलकर एकत्रित किया था. प्रशासन से अभी तक कोई सहयोग नहीं मिला है. केवल आश्वाशन मिलता है. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि दवाओं की भी समस्या है. हम अपने खाने पीने की व्यवस्था स्वयं कर रहे हैं. ग्राम प्रधान शिव प्रसाद का कहना है कि एसडीएम और सीडीओ साहब आये थे. तब उन्होंने कहा था कि इन लोगों को कोई समस्या नहीं होगी. खाने की व्यवस्था हम कर रहे हैं. लेकिन, प्रशासन से अभी कोई सहयोग नहीं मिला है.

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Last Updated : Oct 15, 2022, 10:29 AM IST
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