प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ फेसबुक पर अभद्र फोटो पोस्ट करने के आरोपी भाटपार रानी, देवरिया के इफ्तेखार निवासीइफ्तेखारअहमद की याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र. लोक सेवा आयोग प्रयागराज को सलाह दी है कि वह डाक विभाग की लापरवाही के कारण निर्धारित तिथि की जगह देर से पहुंचने वाले मेधावी अभ्यर्थियों को भर्ती में शामिल होने की अनुमति दें.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ फेसबुक पोस्ट सांप्रदायिक भवनाएं भड़काने वाली हैं जो कानून व्यवस्था बिगाड़ सकती है. कोर्ट ने प्राथमिकी पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने दिया है. पोस्ट पर भाटपार रानी थाने में धारा 153ए और 504 भारतीय दंड संहिता के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है.
याचिकाकर्ता का कहना था कि पोस्ट किसी धर्म, जाति या समुदाय को लेकर नहीं है. इसलिए यह कोई अपराध नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि पोस्ट को उनके फोन से उनके नाबालिग बेटे ने अनजाने में फारवर्ड किया है. राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोदकांत नीरज कान्त का कहना था कि मुख्यमंत्री एक धर्म गुरु भी हैं, उनका पहनावा भी धर्म गुरु का है. यह पोस्ट धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली है. पोस्ट नाबालिग ने की या याची ने, लेकिन यहां तथ्य का विषय है जिसे हाई कोर्ट में नहीं सुना जा सकता.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की उ.प्र लोक सेवा आयोग को सलाह
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र लोक सेवा आयोग प्रयागराज को सलाह दी है कि वह डाक विभाग की लापरवाही के कारण निर्धारित तिथि के बाद कुछ देरी से पहुंचने वाली डाक स्वीकार करने का विवेकाधिकार के प्रयोग का नियम बनाए. ताकि डाक विभाग की देरी के कारण मेधावी अभ्यर्थियों को भर्ती में शामिल होने से वंचित न होना पड़े.
कोर्ट ने डाक विभाग के मुख्य महाप्रबंधक को डाक पहुंचाने में देरी के मुआवजे की दर में समुचित बदलाव करें. कोर्ट न्यायिक सेवा के अभ्यर्थी का अंतिम तिथि से 10 दिन पहले भेजी गयी डाक को तिथि बीतने के बाद आयोग को सौंपने के लिए याची को 25 हजार हर्जाना देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने मुख्य डाक महाप्रबंधक लखनऊ को हर्जाना राशि 2 हफ्ते में याची को भुगतान कर एक माह में हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को सूचित करने का भी निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने हापुड़ की सेतु सिंह की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने डाक विभाग की लापरवाही से देरी से डाक पहुंचने के कारण याची की जवाबदेही न मानते हुए आयोग को परीक्षा परिणाम घोषित करने का निर्देश देने से इंकार कर दिया है. साथ ही कहा है कि डाक विभाग याची का एजेंट है, जिसकी गलती के लिए आयोग को निर्देश नहीं दिया जा सकता. कोर्ट ने हर्जाना दिलाते हुए याचिका खारिज कर दी है.