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अलीगढ़ के ताले पर महंगाई का संकट, कारोबार हुआ 'लॉक' - Locks price increased in Aligarh

लॉकडाउन के संकट के बाद ताला कारोबार पर महंगाई का संकट आ खड़ा हुआ है. जिसके चलते ताला निर्माताओं ने 15 से 20 फीसदी तक उत्पादन के रेट बढ़ा दिये हैं. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित ट्रेडर हो रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट-

ताला कारोबार पर महंगाई का संकट.
ताला कारोबार पर महंगाई का संकट.
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Published : Jan 15, 2021, 7:57 AM IST

अलीगढ़ : देशभर में अपनी अलग पहचान रखने वाले अलीगढ़ के ताले एक बार फिर महंगे हो गए हैं. दरअसल, लॉकडाउन के संकट के बाद ताला कारोबार पर महंगाई की मार पड़ी है. कच्चे माल की कीमत 35 फीसदी तक बढ़ गई है. इसका ताले के बाजार पर असर दिखने लगा है. ताला निर्माताओं ने 15 से 20 फीसदी तक उत्पादन के रेट बढ़ा दिये हैं. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित ट्रेडर हो रहे हैं. वहीं, ताले की कीमतों में इजाफा होने से बाजार से ग्राहक गायब हैं. मंदी की मार झेल रहे ताला कारोबारी अब दाम बढ़ने से बिक्री का संकट झेल रहे हैं.

तालों के दाम बढ़ने की वजह

मार्च 2019 से ही लॉक इंडस्ट्री तमाम झंझावतों से जूझ रही है. रियल स्टेट डाउन होने के चलते डोर, फर्नीचर फिटिंग के आर्डर नहीं मिल रहे हैं. देश के विभिन्न राज्यों में ताला, हार्डवेयर उत्पादन की सप्लाई करने वाले सप्लायर्स व ट्रेडर्स को पहले की तरह न तो आर्डर मिल रहे थे और न ही एक मुश्त भुगतान मिल रहा था. बाजार में बुक ऑर्डर भी रोक दिए गए थे. इससे मैन्युफैक्चरिंग धराशायी हो गई. देशी-विदेशी बाजार में ताले के मांग की कमी रही. जुलाई 2019 से वाणिज्यिक गतिविधियां जब तेज हुई तो अगस्त से कच्चे माल पर दो से पांच रुपये प्रति किलो तक दाम बढ़ते चले गए. देखते ही देखते लोहा, पीतल, जस्ता और निकिल के रेट आसमान पर पहुंच गए.

अलीगढ़ में ताले की कीमत बढ़ी.

धातुओं की कीमत तेजी से बढ़ी

अगस्त 2019 में टाटा की प्राइम सीट 45 हजार रुपये टन थी. वह अब 70 हजार रुपये टन बिक रही है. हार्डवेयर में प्रयोग की जाने वाली आयरन की रॉड पहले 40 हजार रुपये टन थी. यह दिसंबर में 52 हजार रुपये टन की बिकी है. आयरन, स्क्रेप और मेल्डिंग पहले 25 हजार रुपये टन थी. अब 40 हजार रुपये टन बिक रही है. जस्सा अगस्त में 170 रुपये प्रति किलो था. दिसंबर में यह 230 रुपये प्रति किलो बिका. निकिल 1050 रुपये प्रति किलो थी. अब यह 1450 रुपये प्रति किलो बिक रही है.

ताला कारोबार प्रभावित

लॉक्स की ट्रेडिंग करने वाले मोहम्मद सलीम ने बताया कि मंदी की वजह से ताला कारोबार डाउन है. मेटल के दाम बढ़ने से तालों के दाम में उछाल आया है. पहले चार-पांच साल में ताले का दाम एक रुपये या दो रुपये बढ़ते थे, लेकिन अब एक ताले पर करीब 15 रुपये बढ़ गये हैं. अब ताले के काम में दम नहीं बचा है. वहीं, सेचुरी लॉक की ट्रेडिंग करने वाले राजेश ने बताया कि बाजार से ग्राहक गायब हैं. 15 फीसदी तालों के दाम में इजाफा हुआ है. पहले एक या दो प्रतिशत तालों के दाम बढ़ते थे, लेकिन इस बार ताला कारोबार बहुत प्रभावित है.

अलीगढ़ : देशभर में अपनी अलग पहचान रखने वाले अलीगढ़ के ताले एक बार फिर महंगे हो गए हैं. दरअसल, लॉकडाउन के संकट के बाद ताला कारोबार पर महंगाई की मार पड़ी है. कच्चे माल की कीमत 35 फीसदी तक बढ़ गई है. इसका ताले के बाजार पर असर दिखने लगा है. ताला निर्माताओं ने 15 से 20 फीसदी तक उत्पादन के रेट बढ़ा दिये हैं. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित ट्रेडर हो रहे हैं. वहीं, ताले की कीमतों में इजाफा होने से बाजार से ग्राहक गायब हैं. मंदी की मार झेल रहे ताला कारोबारी अब दाम बढ़ने से बिक्री का संकट झेल रहे हैं.

तालों के दाम बढ़ने की वजह

मार्च 2019 से ही लॉक इंडस्ट्री तमाम झंझावतों से जूझ रही है. रियल स्टेट डाउन होने के चलते डोर, फर्नीचर फिटिंग के आर्डर नहीं मिल रहे हैं. देश के विभिन्न राज्यों में ताला, हार्डवेयर उत्पादन की सप्लाई करने वाले सप्लायर्स व ट्रेडर्स को पहले की तरह न तो आर्डर मिल रहे थे और न ही एक मुश्त भुगतान मिल रहा था. बाजार में बुक ऑर्डर भी रोक दिए गए थे. इससे मैन्युफैक्चरिंग धराशायी हो गई. देशी-विदेशी बाजार में ताले के मांग की कमी रही. जुलाई 2019 से वाणिज्यिक गतिविधियां जब तेज हुई तो अगस्त से कच्चे माल पर दो से पांच रुपये प्रति किलो तक दाम बढ़ते चले गए. देखते ही देखते लोहा, पीतल, जस्ता और निकिल के रेट आसमान पर पहुंच गए.

अलीगढ़ में ताले की कीमत बढ़ी.

धातुओं की कीमत तेजी से बढ़ी

अगस्त 2019 में टाटा की प्राइम सीट 45 हजार रुपये टन थी. वह अब 70 हजार रुपये टन बिक रही है. हार्डवेयर में प्रयोग की जाने वाली आयरन की रॉड पहले 40 हजार रुपये टन थी. यह दिसंबर में 52 हजार रुपये टन की बिकी है. आयरन, स्क्रेप और मेल्डिंग पहले 25 हजार रुपये टन थी. अब 40 हजार रुपये टन बिक रही है. जस्सा अगस्त में 170 रुपये प्रति किलो था. दिसंबर में यह 230 रुपये प्रति किलो बिका. निकिल 1050 रुपये प्रति किलो थी. अब यह 1450 रुपये प्रति किलो बिक रही है.

ताला कारोबार प्रभावित

लॉक्स की ट्रेडिंग करने वाले मोहम्मद सलीम ने बताया कि मंदी की वजह से ताला कारोबार डाउन है. मेटल के दाम बढ़ने से तालों के दाम में उछाल आया है. पहले चार-पांच साल में ताले का दाम एक रुपये या दो रुपये बढ़ते थे, लेकिन अब एक ताले पर करीब 15 रुपये बढ़ गये हैं. अब ताले के काम में दम नहीं बचा है. वहीं, सेचुरी लॉक की ट्रेडिंग करने वाले राजेश ने बताया कि बाजार से ग्राहक गायब हैं. 15 फीसदी तालों के दाम में इजाफा हुआ है. पहले एक या दो प्रतिशत तालों के दाम बढ़ते थे, लेकिन इस बार ताला कारोबार बहुत प्रभावित है.

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